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Saturday, September 21, 2024
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पीएम मोदी और वो प्रतिमाएं

पिछले आठ साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर देश की एक बेहतरीन छवि बनाई है। देश ने वैश्विक स्तर पर जबरदस्त प्रभाव पैदा कर देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले लिया है। देश का कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं है, जहां देश ने तरक्की नहीं की हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में देश भर में कई प्रतिष्ठित स्मारकों की स्थापना की है।

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पीएम नरेंद्र मोदी भारत ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय है। आज विदेशों भारत की एक अलग छवि बनी हुई। पीएम पीएम की द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं देश में ही नहीं विदेशों में भी उसकी चर्चा होती रही हैं। उनकी स्वच्छ भारत अभियान, जनधन योजना आदि के साथ देश में देश के कोने कोने में ऐसे बढ़ी -बढ़ी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं जिनकी चर्चा होती रहती है। पीएम मोदी के आज जन्मदिन पर उन प्रसिद्ध प्रतिमाओं और स्मारकों की बात करेंगे जिन्होंने भारत के पर्यटन को एक नई दिशा दी है। जो भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आज भारत अपने सांस्कृतिक धरोहरों को संयोजते हुए एक नई पहचान कायम की है।

पिछले आठ साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर देश की एक बेहतरीन छवि बनाई है। देश ने वैश्विक स्तर पर जबरदस्त प्रभाव पैदा कर देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले लिया है। देश का कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं है, जहां देश ने तरक्की नहीं की हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में देश भर में कई प्रतिष्ठित स्मारकों की स्थापना की है। ब्रिटिश शासन के बाद देश में यह पहला मौका है जब सरकार किसी स्मारक के निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल हुई है। इनमें से कुछ स्मारक पीएम मोदी का लंबे समय से सपना रहा है। इनमें दुनिया का सबसे ऊंचा स्मारक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और नेशनल वॉर मेमोरियल शामिल हैं।

आजादी के बाद से केवल कुछ परिवारों के लिए ही नई चीजों का निर्माण किया गया था, लेकिन अब समय बदल गया है क्योंकि मोदी सरकार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का निर्माण कर रही है। आज पर्यटन केंद्रों का विकास केवल सरकारी योजना का हिस्सा नहीं है, बल्कि जनभागीदारी का अभियान है। हमारी सांस्कृतिक विरासत का विकास एक बेहतरीन उदाहरण है

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
इस प्रतिमा का मकसद सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है, जिन्होंने अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत को एकता के सूत्र में बांधने में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की है, जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे और अब वे आसमान की भी शोभा बढ़ा रहे हैं। मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है. बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है. यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रह सकता है। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है. सरदार पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी. स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है . दिखने में जितनी खास ये प्रतिमा है, उतनी ही खास इसकी बनावट है. यह कॉम्पोजिट प्रकार का स्ट्रक्चर है और सरदार पटेल की मूर्ति के ऊपर ब्रॉन्ज की क्लियरिंग है. इस प्रोजेक्ट में एक लाख 70 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगा है. साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है. पीएम मोदी की इस प्रतिमा बनाने पर लोगों की कड़ी झेलनी पड़ी। लेकिन आज सरदार पटेल की यह प्रतिमा एकता और समृद्ध भारत को प्रदर्शित करती है। इस प्रतिमा के निर्माण में हर गांव और हर धातु ली गई।

स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी
हैदराबाद में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी ने कुछ ही महीनों में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी के नाम से मशहूर रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन किया. इस प्रतिमा का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उस स्थान पर यज्ञ किया था। यह यज्ञ देश के 130 करोड़ लोगों को समर्पित था। रामानुजाचार्य ने जाति, पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार का प्रसार किया। वह एक भारतीय हिंदू दार्शनिक, गुरु और समाज सुधारक थे। उन्हें हिंदू धर्म की श्री वैष्णव परंपरा का सबसे प्रमुख प्रतिपादक माना जाता है। पीएम मोदी भी देश सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ काम कर रहे हैं।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा।दिल्ली में इंडिया गेट से लेकर जो रास्ता राष्ट्रपति भवन तक जाता है उस पूरे इलाके को सेंट्रल विस्टा के नाम से जाना जाता है. इस इलाके राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक (इन दोनों ब्लॉक्स में विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय है), इंडिया गेट, नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया समेत कई ऑफिस हैं. इन्हें सामूहिक रूप से सेंट्रल विस्टा कहते हैं. इसकी लंबाई लगभग 3.2 किलो मीटर है. सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को पूरी तरह से 2026 तक पूरा किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा भारत के गौरवशाली और वैभवपूर्ण इतिहास को समेटे हुए है। यह नए भारत की नई पहचान को परिपूर्ण करता है।

सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
नरेंद्र मोदी की सरकार देश के गौरवशाली इतिहास के गौरव गान को सामाजिक-राजनीतिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण बताती है। इसी क्रम में सरकार ने महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति इंडिया गेट पर स्थापित करने का ऐलान किया है। नेताजी ने देश को ब्रिटिश शासन की दासता से मुक्ति दिलाने के लिए क्रांति की ऐसी मशाल जलाई जिसने एक-एक भारतीय को आंदोलित कर दिया। इंडिया गेट पर मूर्ति स्थापित किए जाने का मकसद नेताजी के इसी गौरवशाली योगदान को सम्मानित करना है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा पूरी नहीं हो जाती, उनकी एक होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद की गई थी।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के दूसरी तरफ 400 मीटर दूरी पर स्थित है। इस स्मारक को इंडिया गेट के पास मौजूद छतरी (चंदवा) के आसपास बनाया गया है। स्मारक में 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। इस युद्ध स्मारक में 1947-48 के युद्ध से गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक शहीद हुए सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। स्मारक में उन सैनिकों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने आतंकवादी विरोधी अभियान में जान गंवाई है। इससे पहले सशस्त्र सेना के शहीद हुए सैनिकों के सम्मान के लिए कोई भी स्मारक नहीं था। प्रधान मंत्री ने 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन और 1999 में कारगिल संघर्ष में लड़ने वाले सैनिकों को याद करने के लिए एक युद्ध स्मारक बनाया गया।

4 धाम परियोजना
4 धाम परियोजना के तहत भारत के चारो दिशाओ में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
इस योजना में 4 मूर्तियों में से यह दूसरी प्रतिमा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमान जयंती के अवसर पर गुजरात के मोरबी में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया। इस प्रतिमा का उद्घाटन उन्होंने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये की थी। पीएमओ ने कहा था कि भगवान हनुमान से संबंधित चार धाम परियोजना के तहत देश के चारों दिशाओं में हनुमान की मूर्ति स्थापित की जानी है। इस कड़ी में यह हनुमान की दूसरी मूर्ति होगी जो पश्चिम दिशा में होगी। इस श्रृंखला की पहली मूर्ति वर्ष 2010 में उत्तर दिशा में यानी शिमला में स्थापित की गई है। पीएमओ ने कहा था कि दक्षिण दिशा में यह मूर्ति रामेश्वरम में स्थापित की जानी है और इसका काम भी आरंभ हो गया है।

श्रीलंका, भूटान और सिंगापुर यह देश पूरी तरह से टूरिज्म पर निर्भर है। अब भारत भी टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा है। भारत पहले से मेडिकल टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध है। टूरिज्म बढ़ रहा है इसलिए फॉरेन करेंसी भी आ रही है भारत में उसी के साथ टूरिज्म प्लेसेस डेवलप हो रहे है तो उस वजह से लोकल लोगो को रोजगार मिल रहा है उसके साथ ही आसपास डेवलप हो रहे है। टूरिज्म के साथ साथ स्वच्छ भारत अभियान को भी गति मिल रही है जो मोदी जी ने 2 अक्टूबर २०१४ को लांच किया था.

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