30 C
Mumbai
Wednesday, December 24, 2025
होमब्लॉगकन्फ्यूज हैं राहुल गांधी 

कन्फ्यूज हैं राहुल गांधी 

Google News Follow

Related

राहुल गांधी यानी एक कन्फ्यूजन वाला व्यक्ति। राहुल गांधी 50 साल के हो गए हैं ,लेकिन आज तक वे क्लियर नहीं कर पाए कि उन्हें करना क्या है ? उन्हें कहना क्या है ? बड़ी बेचारगी है कांग्रेस में। कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुद उलझन में जीते है और दूसरों को जीने को मजबूर करते हैं। शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हुआ, राहुल गांधी ने सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में महंगाई और बेरोजगारी से की, लेकिन शाम होते-होते यह मुद्दा आरएसएस, जांच एजेंसी, काला कपडा से होते हुए हिंदुत्व पर आकर टिक गया। बड़ी अजीब बिडंबना है, कांग्रेस के लिए यह दुखदायी है।

राहुल गांधी के साथ लोगों की सिम्पैथी हो सकती है. लेकिन समर्थन नहीं। क्योंकि राहुल गाँधी पूरी तरह से उलझे हुए व्यक्ति हैं। राहुल गांधी तय नहीं कर पाते हैं कि किस पर बोलना है। क्या बोलना है। कितना बोलना है ? राहुल गांधी बोलते-बोलते हिटलर को याद करते हैं तो खुद हिटलर बन भी जाते हैं।

दरअसल, राहुल गांधी के साथ अब पूरी तरह कांग्रेस भी उलझ गई है। 2022 की तरह 2021 में भी जयपुर में महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस ने एक रैली आयोजित की थी. लेकिन राहुल गांधी ने इस रैली में महंगाई की बात कम करते हैं हिंदुत्व का पाठ ज्यादा पढ़ाये थे। इस रैली का नाम ‘महंगाई हटाओ रैली’ दिया गया था। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि 2014 से हिंदूवादी सत्ता में हैं ,जबकि हिन्दू सत्ता से बाहर हैं, हमें हिंदूवादियों को हटाकर हिन्दुओं की सत्ता लाना है।

ऐसे में सवाल उठता है कि कौन हिंदूवादी है और कौन हिन्दू ? राहुल गांधी खुद को हिन्दू बताया था, हिंदूवादी नहीं। राहुल गांधी के अनुसार, मारने वाला हिंदूवादी है. नहीं मारने वाला हिन्दू है। उन्होंने इसका जवाब गोडसे के जरिये दिया था। याद रहे ये बातें महंगाई की रैली में की गई थी। हिन्दू धर्म की रैली नहीं थी। तो आगे बढ़ते हैं। तो क्या अपने धर्म के लिए कोई अपशब्द कहे तो हमें सुनकर चुप हो जाना चाहिए। क्या ऐसा राहुल गांधी इस्लाम के लिए कह सकते हैं। राहुल गांधी हिंदूवादी बनने के लिए ही तो जनेऊ पहना था। ऐसे भी उनके कहे अनुसार लोग उन्हें हिन्दू ही मानते थे। क्या जरूरत पड़ी राहुल को खुद को हिन्दू साबित करने की। राहुल गांधी बात करने जाते हैं महंगाई और बेरोजगारी की, लेकिन करने लगते हैं हिन्दू और हिंदुत्व की।

राहुल को कौन समझाये कि उन्हें सत्ता हिन्दू ही सौंपती थी। लेकिन जब से उनसे हिन्दू अलग हुए हैं कांग्रेस सत्ता में फिर नहीं आई। ये सच्चाई राहुल गांधी कान खोलकर सुन लें। अन्यथा वे कभी भी पीएम की कुर्सी तक नहीं पहुँच पाऐंगे। केवल सपने देखते रह जाएंगे पीएम के। तो, शुक्रवार को भी राहुल गांधी ने वही सब कहा जो उन्होंने जयपुर की रैली में कहा था। उन्होंने इस दौरान आरएसएस, पीएम मोदी और ईडी पर निशाना साधा। यही बात उन्होंने जयपुर की रैली में भी कही थी। उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान के सब संस्थाओं पर आरएसएस के लोग बैठे हुए हैं। यहां तक की मंत्री के दफ्तर में भी। इस देश को जनता नहीं तीन चार पूंजीपति चला रहे हैं। इसके आगे राहुल अब तक कुछ नहीं बोल पाए हैं।

उन्हें क्या पता आटा- चावल के भाव धर्म के बराबर है। एक दिन लोग खाली पेट रह जाएंगे, लेकिन उसी भगवान को अगरबत्ती जलाकर मदद की गुहार लगाएंगे। यह भारत की संस्कृति है। सच कहा जाए तो राहुल गाँधी को कुछ भी पता नहीं है।  राहुल गांधी ने महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन उन्होंने इस दौरान आरएसएस की बात की। उन्होंने इस दौरान जांच एजेंसी के सामने नहीं झुकने की भी बात की.लेकिन क्या राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड की बात कर रहे थे। इस केस में वे खुद आरोपी है। उन्हें कौन डरायेगा। अगर ईडी की कार्रवाई गलत है तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए। आखिर कांग्रेस नेशनल हेराल्ड के मुद्दे को लेकर कोर्ट में क्यों नहीं जाती। यह सवाल जनता को पूछना चाहिए। राहुल ने कहा कि वे जनता की आवाज उठा रहे हैं, जनता,राहुल गांधी से जाना चाहती है कि शुक्रवार को काले कपड़े में कितने आम नागरिक थे। अंगुली पर गिनने पर एक भी नहीं मिलेंगे। राहुल आम नागरिक की आवाज नहीं हो सकते हैं। जनता सब जानती है। यह वही राहुल गांधी है जो अमेठी की जनता को मूर्ख समझते है।

इस मोर्चा पर अमित शाह ने आरोप लगाया कि क्या कांग्रेस का हिंदुत्व के खिलाफ छुपा कोई अजेंडा हैं। दरअसल, महंगाई और बेरोजगारी की आड़ में कांग्रेस नेता काले कपड़ें में ईडी का विरोध कर रहे थे। महंगाई और बेरोजगारी सिर्फ बहाना था. जब से सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी पूछताछ की है। कांग्रेस और इसके नेता परेशान है। लेकिन, अमित शाह के बयान के बाद सवाल उठने लगे थे कि आखिर इस 5 अगस्त को यह नौटंकी कांग्रेस क्यों कर रही थी। हर रोज सामान्य कपड़ों में विरोध जताती थी,लेकिन 5 अगस्त को काला कपडा पहना संयोग था या प्रयोग।

दरअसल ,5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया था। इतना ही नहीं 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 भी हटाई गई थी। जिसको इस साल तीन साल पूरे हुए। लेकिन, कांग्रेस जिस तरह से हिन्दू और हिंदूवादी की बात करती है। वैसे ही हिन्दुओं का अपमान भी करती है। कांग्रेस ने अयोध्या में रामंदिर बनाये जाने पर कभी ख़ुशी जाहिर नहीं की।न ही कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने इसका समर्थन किया।

ये भी पढ़ें 

शिवसेना की गुंडागर्दी और पेडा  

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,580फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
285,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें