राहुल के विदेश में भारत विरोधी बोल

राहुल के विदेश में भारत विरोधी बोल

नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग के आठवें संस्करण में भाग लेने के लिए दुनिया भर के तमाम नेताओं ने शिरकत किया। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को इटली की नई प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी भारत पहुंची। यहाँ उन्होंने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। जियोर्जिया मेलोनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रमुख विश्व नेता होने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी “दुनिया भर के नेताओं में सबसे पसंदीदा” हैं। गौरतलब है कि इटली भारत के साथ अपने रिश्तों को नए स्तर पर ले जाने को उत्सुक दिख रहा है।

वहीं इसी कड़ी में एक दिन पहले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी इसमें शामिल हुए। टोनी ब्लेयर ने साफ तौर पर कहा है कि भारत की स्थिति पहले से कई गुना अधिक बेहतर हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में उल्लेखनीय प्रगति की है। अपने संबोधन में ब्रिटेन के पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर ने कहा कि आज वास्तविक चुनौती यह है कि बदलती भू-राजनीति को कैसे समझा जाए, और उस स्थिति में भारत नितांत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रगति उल्लेखनीय रही है।

वहीं इससे पहले ब्रिटिश सांसद लॉर्ड बिलिमोरिया ने 19 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने पीएम मोदी को ग्रह पर सबसे शक्तिशाली शख्स में से एक बताया। इस दौरान उन्होंने दुनिया में बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था के साथ यूके के संबंधों का जिक्र किया। लॉर्ड बिलिमोरिया ने कहा कि हर पहलू में भारत पहले से ताकतवर होता जा रहा है।

हालांकि इन सब से हटकर राहुल के उस भाषण पर ध्यान देते है जो उन्होंने ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दिया है। इस विश्वविद्यालय में राहुल ने वो सारी बातें कहीं है जो भारत को कमजोर करती है। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करती है। भाषण के दौरान उन्होंने वो सारे मुददें उठायें जिसका सबूत उनके पास नहीं है। उन्होंने भारत के केंद्र सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाएं हैं। जिसका कोई भी सबूत उनके पास मौजूद नहीं है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की विदेशी धरती से केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी की हो। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं कब-कब राहुल ने विदेशों में ऐसी टिप्पणियां कीं।

साल 2022 की बात है। राहुल गांधी तब भी लंदन में थे। उस दौरान भी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में उन्होंने छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान राहुल के साथ अन्य विपक्षी नेता भी थे। जिनमें राजद के तेजस्वी यादव, मनोज झा, टीएमसी की महुआ मोइत्रा और सीपीआई के सीताराम येचुरी थे। राहुल ने इसकी एक फोटो भी शेयर की थी। राहुल ने यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत की तुलना पाकिस्तान से की थी। इसके अलावा लद्दाख को यूक्रेन की तरह बताया था। राहुल ने केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए भारत की तुलना पाकिस्तान से की थी।
सोचनेवाली बात यह है कि राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी स्वयं हेराल्ड केस में आरोपी है बावजूद वो जमानत पर है। सीबीआई कैसे गलत हो सकती है क्यूंकी इस हेराल्ड केस की कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही हुआ है। पाकिस्तान में पनपने वाले आतंकी संगठन जो आयें दिन भारत के लोगों को निशाना बनाते है ऐसे में पाकिस्तान से भारत की तुलना यह राहुल गाँधी के घटिया मानसिकता को दर्शाता है।

वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने 2017 में अमेरिका का दौरा किया था उस समय उन्होंने एक बयान दिया था। तब वह अमेरिका के डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव रखने वाली थिंक टैंक सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट की संपादकीय टीम के साथ ऑफ दि रिकॉर्ड बातचीत के दौरान भारत में असहिष्णुता बढ़ने का आरोप लगाया था। राहुल ने कहा था कि भारत में दो बड़ी समस्याएं हैं। एक असहिष्णुता और दूसरा बेरोजगारी। कहा कि ये दोनों समस्याएं भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए चुनौती पैदा कर रहीं हैं।

राहुल गाँधी का ये आरोप सरासर गलत है। भारत के केंद्र सरकार की तरफ से रोजगार को लेकर कई योजनाएं लागू की गई है। वहीं वर्तमान में केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री रोजगार योजना 2022-23 लागू की गई। भारत सरकार प्रधान मंत्री रोजगार योजना के तहत, देश के बेरोजगार युवाओं के लिए अपना रोजगार शुरू करने का सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है। जो भी इच्छुक उम्मीदवार अपना खुद का रोजगार स्थापित करना चाहते हैं वह इस योजना के तहत लाभ ले सकते हैं और अपना रोजगार स्थापित कर सकते हैं। इस प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत, देश के बेरोजगार युवाओं को कम ब्याज दर पर अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न बैंकों के माध्यम से ऋण प्रदान किया जाएगा। केंद सरकार की तरफ से देश के युवाओं के लिए समय समय पर रोजगार से संबंधित योजना लाई जाती है। यह नीति राहुल गाँधी के झूठे आरोंपों पर हमला थी तरह से करता है।

मार्च 2018 में राहुल गाँधी द्वारा मलेशिया में दिया गया बयान जिसमें भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में उच्च मूल्य के नोटों को विमुद्रीकृत करने के अचानक निर्णय पर कटाक्ष किया। इसपर राहुल गाँधी ने कहा कि अगर मैं प्रधान मंत्री होता और किसी ने मुझे नोटबंदी की फाइल दी होती, तो मैं उसे कूड़ेदान में फेंक देता।

लेकिन शायद राहुल गाँधी को पता नहीं की नोटबंदी ने देश में काला धन कमाने वाले गिरोहों का पर्दाफाश किया। इन गिरोहों में कई दिग्गजों का नाम सामने आया था। बैंकों में होनेवाले वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता आ गई। साथ ही डिजिटल वित्तीय लेन-देन को बढ़ावा मिला। आतंकवाद के आर्थिक स्रोतों पर लगाम कसा। नोट बंदी से नुकसान जरूर हुए होंगे पर फायदे उससे ज्यादा। दरअसल  आजादी के बाद से ही देश की जनता एक ऐसे फैसले और नीति की बाट जोह रही थी जो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाए और एक साफ सुथरे तंत्र को विकसित करे। नोटबंदी का नीति इस भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में कई हद तक सफल साबित हुई।

उनका साल 2018 में दिया गया बयान जिसमें सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एक पैनल चर्चा में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में डराने-धमकाने का सामान्य माहौल है और चुनाव जीतने के लिए लोगों को विभाजित करने की राजनीति की जा रही है।

लेकिन राहुल गाँधी यह भूल गए है कि भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। भारत में सभी को बोलने की आजादी है, हर कोई अपने मन की बात कहता है। कॉंग्रेस की तरफ से समय समय पर देश के पीएम को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया जाता है। क्या कभी आप पर कोई एक्शन लिया गया नहीं? तो आप कैसे कह सकते हो कि देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है। यहाँ डराने धमकाने वाली राजनीति करने का अर्थ नहीं निकलता क्यूंकी भारत में सभी को समानता का अधिकार प्राप्त है।
राहुल ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान पुलवामा हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को ‘तथाकथित हिंसक जगह’ बता दिया। उन्होंने कहा मेरे फोन में पेगासस था। मुझे अधिकारियों ने सलाह दी थी कि मैं फोन पर सावधानी से बात करूं। क्योंकि फोन की रिकॉर्डिंग की जा रही है।

भारत के जवानों का मजाक उनके सौर्य पर उंगली उठाने का काम हमेशा से ही कॉंग्रेस ने किया है। पुलवामा के मुददें को लेकर राहुल गाँधी क्या साबित करना चाहते है। सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगते है और पुलवामा हमले का जिक्र करते है। वहीं बात यदि फोन में पेगासस होने की है तो शक होने पर अपने कोई एफआईआर क्यूँ नहीं किया। आपको केंद्र पर नहीं भरोसा है तो क्या देश के कानून पर भी भरोसा नहीं है क्या? समस्या यह है कि आप किस आधार पर केस दर्ज करते क्यूंकी आपको भी पता है कि यह सब आपका सोच समझा बना बनाया एक विवाद है। जिसका कोई मतलब नहीं है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में चीन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर देखिए, वहां रेलवे हो, एयरपोर्ट हो, सबकुछ नेचर से जुड़े हैं। चीन प्रकृति से मजबूती से जुड़ा हुआ है। येसे में राहुल के चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी से कथित संबंधों को लेकर 2008 का वाकया बताते है। 7 अगस्त 2008 को बीजिंग में हुए समझौते के तहत एमओयू साइन हुए हैं जिसमें तय हुआ है कि दोनों पार्टीएमओयू के तहत क्षेत्रिय, द्वीपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मसले पर एक दूसरे से बात करेंगे। साथ ही दोनों पार्टियों के बीच विचारों के आदान प्रदान को बढ़ावा देने की बात कही गई थी। इससे आप राहुल गाँधी की विचारधारा से वाकिफ हो गए होंगे। देश में रहकर देश के विरोधियों से हाथ मिलाना राहुल गाँधी की देशभकरी पर सवाल करता है।

राहुल गाँधी ने देश या विदेश में रहते हुए हमेशा से ही भारत को गिराने का प्रयास किया है। वो भारत को मोदी से जोड़ते है लेकिन यह भूल जाते है कि जब भी वो देश को लेकर विवादित बयान देते है तो वो भारत में रहनेवाले सभी भारतवासियों को बुरी तरह आहत करते है। राहुल गाँधी ने भारत को बदनाम करने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा। राजनीति खेल खेलने में इतने लीन मत हो जाइए कि देश का सही और गलत आपको पता ना चले। आपने विदेश में रह कर भारत का मजाक बनाया लेकिन उससे ज्यादा आप खुद एक मजाक के पात्र बन कर रह गए है। राहुल गाँधी का भारत के प्रति दिया गया विवादित बयान इस पर जवाब भी देश में रहनेवाली जनता ही आपको देगी। समय बड़ा बलवान है आज आपने जो कुछ भी देश को लेकर कहा है उसका जवाब भी बहुत जल्द आपको सूत समेत वापस मिलेगा। जहां एक तरह विदेश के लोग पीएम मोदी की जमकर तारीफ करते है तो वहीं राहुल विदेश में जाकर पीएम मोदी और भारत देश की बुराई करते है। जो राहुल गाँधी की गिरी हुई मानसिकता को दर्शाता है।

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