दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम को जब जैन मुनि लोकेश ने बीच में ही छोड़कर जा रहे थे,तो उस समय उन्हें मनाने की भी कोशीश की गई, लेकिन उन्होंने दोबारा मंच को ओर नहीं मुड़े और चले गए। उन्होंने जाते जाते अरसद मदानी को बहस की चुनौती दे गए। उन्होंने कहा कि मै अपनी आँखों के सामने धर्म, संस्कृति का अपमान होते बर्दाश्त नहीं कर सकता। हम मदानी के विचार से सहमत नहीं हैं। उन्होंने एकता और सद्भावना के माहौल का पतीला लगा दिया। अगर जोड़ने की बात करनी हैं तो करें, लेकिन उन्होंने जितनी कहानियां सुनाई है उससे चार गुना मै सुना सकता हूं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो या, जमीयत उलेमा दोनों धर्म के नाम पर बड़ी बड़ी बातें करते हैं। लेकिन आम मुस्लिमों के बारे में कुछ नहीं किया। इन संगठनों से जुड़े नेताओं ने केवल अपना कद बढ़ाया। आम मुस्लिम समुदाय को ये नेता केवल राजनीति वोट बैंक के तौर पर उनका इस्तेमाल किया। ये नेता अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाते हैं, लेकिन आम मुस्लिम के बच्चों को मदरसों में पढ़ने की सलाह दी जाती हैं। आम मुस्लिमों की लड़कियों को ये धर्म गुरु हिजाब में रहने की नसीहत देते हैं। जबकि उनके बच्चे विदेशों में जैसे मन में आये वैसे रहते हैं।
देश में कई मुस्लिम नेता हैं, जो मदरसा, हिजाब जैसे मुद्दों पर आम मुस्लिमों को बहकाते रहे हैं। जो किसी को उभरने नहीं दिया। आज भी आम मुस्लिम के बच्चे दकियानूसी विचारों के साथ जीते हैं और उन्हें यह सब मदरसों में सिखाया जाता है। ये नेता मुस्लिम समुदाय में फैली कुरीतियों को दूर करने के बजाय आम मुस्लिमों पर थोपने की कोशिश करते हैं। असम में नाबालिक लड़कियों से शादी के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इस मामले में कई हजार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि मुस्लिम समुदाय इसका विरोध कर रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि यह कदम क्या सही है ? जहां देश दुनिया आगे जा रहे है। तो मुस्लिम समाज लड़कियों को हिजाब में कैद करना चाहता है। लेकिन ऐसी मुश्किलों से भारत उबर रहा पीएम मोदी के नेतृत्व में आज हिन्दू अपने को सुरक्षित और अपने ऊपर गर्व महसूस कर रहा है। भारत में 2014 से पहले हिन्दुओं के खिलाफ जो माहौल बना था, अब वह धराशायी हो गया है। हिन्दू हीन भावना से ग्रसित था। लेकिन अब वह अपनी बातें मजबूती के साथ कहता है।
देश पर बार बार विदेशियों द्वारा आक्रमण हिन्दुओं की स्थिति को जर्जर बना दिया था। मुस्लिम शासकों द्वारा हमला, कश्मीर अलगाववाद आदि ऐसे मसले रहे हैं जो यहां के बहुसंख्यकों पर गहरा असर छोड़े थे। 2014 में शानदार जीत के बाद पीएम मोदी ने संसद में भारत की गुलामी का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि 12 सौ साल की गुलामी हमें परेशान करती है। इस दौरान भारत की संस्कृति, धर्म और धरोहर सभी के साथ छेड़छाड़ की गई। जिसका असर आज भी देखने को मिलती है। इतिहास से हमारी संस्कृति को अलग तरह से बताया और समझाया गया है।
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद सबकुछ बदल गया। उनके पहले भी हिन्दू प्रधानमंत्री बने थे लेकिन जिस तरह पीएम मोदी ने हिंदुत्व की अलख जगाई,वैसा कोई नहीं किया। आज नरेंद्र मोदी हर हिन्दू तीर्थ स्थल के उद्धार के लिए लगे हुए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई मंदिरों नवनिर्माण के लिए धन ही आवंटित नहीं बल्कि उनकी देखरेख में सभी कार्य सम्पन्न हो रहे। उन्हें मंदिरों पूजा अर्चना करता देख हर हिन्दू गर्व महसूस करता है।
अयोध्या के राम मंदिर का फैसला और उसके भव्य निर्माण में सरकार का सहयोग सराहनीय है।इससे पहले यही मुद्दा केवल चुनाव में दिखता था, लेकिन आज यह मुद्दा नहीं है, बल्कि हिन्दू समाज के गौरव का प्रतीक है। अयोध्या में आज राम मंदिर भव्यता के साथ बन रहा है। इसी तरह धारा 370 भारतीयों के लिए एक चुनौती थी। जिसका जिक्र करना ही महापाप था। लेकिन आज धारा 370 हटाए जाने पर हिंदू समुदाय इस गर्व महसूस करता है।
बहरहाल, माना जा रहा है कि अरशद मदानी का यह विचार एक राजनीतिक शिगूफा है। 2024 में होने लोकसभा चुनाव को देखते हुए मदानी ने ऐसी बात कही है। कुछ समय से जिस तरह से मोदी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उससे अरशद मदानी जैसे लोग डर रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा किये गए कार्यों का मुस्लिम समुदाय भी समर्थन कर रहा है। तीन तलाक,के साथ मोदी सरकार के ऐसे कई कदम हैं जिससे मुस्लिम समाज की महिलाएं उनका समर्थन कर रही हैं। ऐसे में मदानी को लगा की उनकी मुस्लिम समुदाय पर पकड़ कमजोर हो रही है। इसलिए उन्होंने ऐसा बयान देकर मुस्लिम समुदाय के हिमायती बनने की कोशिश की है।
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