बदले बदले नजर आये शरद पवार  

बदले बदले नजर आये शरद पवार  

Aghadi's grand march: Will Sharad Pawar address Mavi's meeting?

शरद पवार बुधवार को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर पार्टी के पुणे कार्यालय पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत संभव नहीं हैं ,क्योंकि कोई भी कांग्रेस की विचारधारा और उसके योगदान को नकार नहीं सकता। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को साथ में लेकर ही राजनीति हो सकती है। सवाल यह है कि क्या शरद पवार का हृदय परिवर्तन हो गया है। क्या शरद पवार अपनी पार्टी एनसीपी का कांग्रेस विलय करेंगे। सबसे अजीब बात यह है कि यह बात खुद शरद पवार ने कहा है। ये वही शरद पवार हैं जिन्होंने सबसे पहले सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था। इतना ही नहीं शरद पवार ने 1999 में इस मुद्दे को हवा देकर कांग्रेस से अलग हो गए थे।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि शरद पवार को कांग्रेस की ओर देखना पड़ा। क्या शरद पवार का जादू खत्म हो गया है? शरद पवार के इस बयान से महाराष्ट्र  की राजनीति में हलचल है। लोग कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि क्या शरद पवार अपनी पुरानी यादों को ताजा करने गए थे या उनके दिमाग में कुछ और चल रहा है। क्या वे महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ नया करने वाले हैं। अगर ऐसा होता है तो क्या होगा ?

उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर आज भारत को आगे बढ़ाना है तो कांग्रेस को बढ़ाना होगा। इन बयानों को शरद पवार का छुपा एजेंडा माना जा रहा है। शरद पवार कांग्रेस के  बजाय एनसीपी को बढ़ाने की क्यों नहीं करते। कांग्रेस को आगे बढ़ाने की बात क्यों कर रहे हैंयह बड़ा सवाल ? एनसीपी से पीछे बनी आम आदमी पार्टी ने दो राज्यों में सरकार बना ली है, लेकिन एनसीपी महाराष्ट्र से आगे नहीं निकल पाई है। इसकी क्या वजह है, यह तो शरद पवार ही बता सकते हैं।

यहां यह भी जानने की जरुरत है कि कांग्रेस से मतलब क्या गांधी परिवार है या जनता है। अगर गांधी परिवार से मतलब है तो साफ़ है कि कांग्रेस आगे बढ रही है। क्योंकि राहुल गांधी पीएम उम्मीदवार के दावेदार हैं। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि 2024 में राहुल गांधी को पीएम बनना चाहिए। तो साफ़ है कि कांग्रेस आगे बढ़ रही है। वहीं, अगर जनता से मतलब है तो कांग्रेस आगे नहीं बढ़ रही है। क्योंकि, जो पार्टी के नेता कांग्रेस को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले थे उन्होंने पार्टी छोड़ दिया है। उसमें खुद शरद पवार भी शामिल हैं। इस बात को शरद पवार को साफ़ साफ़ बताना चाहिए। ऐसे में सवाल उठाता है शरद पवार का कांग्रेस पर प्रेम क्यों उमड़ा ? तो हम पहले यह जान लेते हैं कि शरद पवार की एनसीपी का महाराष्ट्र में क्या हाल है। उसके बाद  शरद पवार और कांग्रेस की कुंडली पर आगे बात करेंगे।

तो, महाराष्ट्र में आज जो एनसीपी का हाल है वह किसी से छुपा नहीं है। आज भी शरद पवार  एनसीपी मुखिया की हैसियत से पत्रकारों के सामने आते रहते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसी कौन सी मज़बूरी है कि शरद पवार आज भी पार्टी की बागडोर अपने हाथों में रखे हुए हैं। वह किसी को क्यों नहीं सौंप देते। लेकिन ऐसा करने से शरद पवार डरते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि  जिस दिन पार्टी की कमान किसी दूसरे को सौंपी गई उसी दिन एनसीपी में बगावत हो जायेगी।और पार्टी ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगी। यही वजह है कि शरद पवार आज तक पार्टी की कमान किसी अन्य के हाथों में नहीं सौंपी।

यह बात फर्जी नहीं है, बल्कि सौ टक्का सही है। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था तो अजित पावर ने बीजेपी के साथ जाकर उपमुख्यमंत्री की शपथ ले ली थी। उस समय की बात करें तो अजित पावर को मनाने के लिये पूरा पवार कुनबा एकजुट हो गया था। उस समय अजित पवार ने दावा किया था कि बीजेपी और एनसीपी की सरकार बनाने योग्य उनकी पार्टी के विधायक उनके साथ हैं। इतना से ही समझ सकते हैं कि बिन शरद पवार के एनसीपी की हालत क्या होगी? यह शरद पवार के अलावा कोई और नहीं समझ सकता है। और शरद पवार नहीं चाहते कि उनके जीते जी एनसीपी में बिखराव हो।

ऐसे में सवाल यह कि अब शरद पवार कांग्रेस के बारे में ऐसा कहकर वे क्या बताना चाहते हैं। तो साफ है कि वर्तमान राजनीति में माहौल में शरद पवार की भी दाल नहीं गल रही है। इसलिए शरद पवार चाहते हैं कि कांग्रेस हर मौके पर उनकी पार्टी के साथ एकजुटता दिखाए। चाहे वह कोई भी मुद्दा हो भ्रष्टाचार ही क्यों न हो।  एनसीपी के कई नेता भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं। अनिल देशमुख बुधवार को एक साल के बाद जेल से रिहा हुए हैं। उन पर करोडो रुपया वसूली करने का आरोप है। जबकि नवाब मलिक पर आतंकी दाऊद से संबंध रखने का आरोप है। जो अभी जेल में है। तो आप समझ ही गए होंगे की शरद पवार की मंशा क्या है।

अब बात उस शरद पवार की, जिन्होंने सोनिया गांधी की नहीं बल्कि कांग्रेस की भी विदेशी मूल का मुद्दा उछलकर नींव हिला दी थी। जगजाहिर है कि शरद पवार लंबे समय से पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। लेकिन ये सपना अभी तक हकीकत में तब्दील नहीं हुआ। 1991 के लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार का नाम पीएम पद के लिए उछाला गया था, लेकिन बाजी नरसिम्हा राव ने मारी थी। इसी का नतीजा था कि 1999 में शरद पवार ने विदेशी मूल का उछलकर अलग हो गए थे। इसी साल लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव साथ में हुआ था। जहां शरद पवार ने महाराष्ट्र में फिर कांग्रेस के साथ जाकर सरकार बनाई थी।

एक बार फिर शरद पवार कांग्रेस की ओर झुकाव दिखाकर अधूरे सपने को पंख देना चाहते हैं। लेकिन, यह साफ़ है कि शरद पवार की यह मंशा फलीभूत नहीं होगी। शरद पवार अपने बयान के जरिये अन्य पार्टियों को भी संदेश देने की कोशिश की है। लेकिन क्या शरद पवार का यह बयान कांग्रेस के लिए सुखदायी होगा ? क्या अन्य पार्टियां अपना स्वार्थ छोड़कर कांग्रेस का समर्थन करेंगी ? ऐ तमाम सवाल है जो भविष्य के गर्भ में छिपे हुए हैं। बहरहाल देखना होगा आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया होगा ?

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