गुंडागर्दी से जन्मी शिवसेना बार-बार अपना भयावह चेहरा दिखाती रहती है। अब सत्ता गंवाने के बाद शिवसेना एक बार फिर आक्रामक हो गई है। मंगलवार को शिंदे गुट के समर्थक और शिवसेना के पूर्व मंत्री उदय सामंत पर उद्धव ठाकरे के समर्थकों ने उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया और उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ की। यह घटना पुणे में हुई। बताया जा रहा है कि पुणे में आदित्य ठाकरे की रैली के समाप्त हुई थी। इसी समय पूर्व मंत्री उदय सामंत तानाजी सामंत के घर जा रहे थे, तभी यह घटना हुई। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उदय सामंत के एसयूवी पर पत्थर से हमला किया। इस हमले में वे बाल बाल बच गए। हालांकि उनकी गाड़ी के शीशे टूट गए। पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। उद्धव ठाकरे के समर्थक जिस तरह से शिंदे गुट पर हमला कर रहे हैं, उससे आगामी चुनाव में मुंह को खानी पड़ेगी। वहीं, भ्रष्टाचार में शिवसेना नेता संजय राउत पर लगे आरोप से जनता में अच्छा संकेत नहीं गया है। इसका खमियाजा उद्धव ठाकरे को भुगतना पड़ सकता है।
फिलहाल, शिवसेना पर एक कहावत बड़ी सटीक बैठती है। कहावत है कि रस्सी जल गई, लेकिन बल नहीं गया। वैसे भी शिवसेना का गुंडागर्दी का इतिहास पुराना है। कभी स्थानीय मुद्दे को लेकर गैर मराठियों को निशाना बनाने वाली शिवसेना अब भी नहीं सुधर रही। सत्ता हाथ से फिसल चुकी है, उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी की कमान भी जाने वाली है। शायद यही वजह है कि शिवसैनिकों और उद्धव ठाकरे में झल्लाहट और गुस्सा है। जो उदय सामंत पर निकाले है। सामंत उन विधायकों में शामिल थे, जो एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले थे।
शिवसेना की राजनीति जिस तरह से गुंडागर्दी से शुरू हुई थी, वह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन सत्ता के लालच में शिवसेना ने हिंदुत्व को छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ आई थी, पर उसका आचरण नहीं बदला। शिवसेना ने न गुंडा वाला टैग से छुटकारा पा सकी और न सेक्युलर ही हो पाई। आज शिवसेना मझधार में फंस गई है। जहां से निकलना उसका मुश्किल ही नहीं, नामुकिन भी है। शायद उद्धव ठाकरे क़े समर्थक उदय सामंत हमला कर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उद्धव ठाकरे बाला साहेब ठाकरे जैसा कर सकते हैं, लेकिन यह शिव सैनिकों का भ्रम हो सकता है। शिवसेना का मारपीट से कुछ नहीं होने वाला। शिवसेना का भविष्य अंधकारमय है। इसके कई कारण हो सकते है।
बहरहाल, हम शिवसेना के गुंडागर्दी वाले छवि पर ही बात करते हैं। पिछले साल दादर में सेना भवन के पास शिवसेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई थी। जिसके बाद शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने एक बयान दिया था। वर्तमान में संजय राउत धन शोधन के मामले में ईडी की हिरासत में हैं। तब संजय राउत ने कहा था कि हमें गुंडा होने का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए, हम प्रमाणित गुंडा हैं।
संजय राउत को शायद यह पता नहीं है। कहा जाता है कि हर व्यक्ति में राम और रावण होता है।उसके लिए भी किसी को प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती। गुंडा का प्रमाणपत्र कोर्ट देता है। लेकिन संजय राउत के कर्म और वक्तव्य उनके लिए मुसीबत बन गए हैं। हाल ही में संजय राउत ने कुछ ऐसा ही बयान दिया था। जब 40 नाराज शिवसेना विधायक गुवाहाटी में डेरा डाल लिया था। उस समय उन्होंने कहा था कि शिवसैनिक सड़क पर उतरेंगे। एक तरह से संजय राउत शिवसैनिकों को उकसा रहे थे। शिवसेना के गुंडागर्दी के ये बयान बस नमूने हैं। ऐसे कई अनगिनत मारपीट, झगड़े, धमकी और बयान हैं जो शिवसेना के गुंडागर्दी वाली इमेज को साबित करते हैं।
तो क्या शिवसेना का लोकतंत्र के लिए यह सही कदम है। अभी भी उदय सामंत शिवसेना के नेता हैं। लेकिन जिस तरह से उनके ऊपर उद्धव ठाकरे के समर्थकों ने हमला किया है। वह शिवसेना के लिए सही नहीं है ,लेकिन सत्ता फिसलने के बाद से जिस तरह से उद्धव ठाकरे अपने ही कार्यकर्ताओं पर हमला बोल रहे हैं। उन्हें गद्दार बता रहे हैं ,वह न तो पार्टी और न ही उद्धव ठाकरे के लिए सही है। आगामी चुनावों में शिवसेना की लुटिया डूबने वाली है। यह हम नहीं कह हैं ,बल्कि ऐसा एक सर्वेक्षण में दावा किया गया है। उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे रोज कहते हैं कि बागी विधायक चुनाव में उतरे। लेकिन,सीएम शिंदे को मिल रहे अपार समर्थन उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को समझ जाना चाहिए कि उनकी हालत राज्य अब कैसी हो गई है।
ठाकरे परिवार को समझना चाहिए की जो लोग उनके सामने खड़े नहीं होते थे और आज उनके सामने उनके विरोध में नारे लगा रहे हैं तो उनकी इमेज क्या है ? अब उनकी हैसियत क्या हो गई है ? यह समझने की जरूरत है ? नहीं तो शिवसेना का यह आक्रामक रवैया उसे ले डूबेगा? वैसे भी शिवसेना डूबती हुई नाव ही है ? जो इस पर चढ़ा वो भी डूब जाएगा।
वैसे एक सर्वे में शिवसेना के लिए अच्छी खबर नहीं है। सी वोटर और इंडिया ट्रैकर ने एक सर्वे किया है। सर्वे में यह दावा किया गया है कि शिवसेना संजय राउत के ऊपर ईडी द्वारा की गई कार्रवाई सही है। इस सर्वे मेब बावन फ़ीसदी लोगों ने संजयठीक बताया है। जबकि 48 फीसदी लोगों राजनीतिक प्रतिशोध की राजनीति कहा है। इस बीच संजय राउत की गिरफ्तारी से शिवसेना के कुछ लोग खुश है। शिवसेना के नेता प्रकाश राजपूत ने सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे से मुलाकात की है और श्रीकांत शिंदे को पेडा दिया। उन्होंने संजय राउत पर आरोप लगाया कि शिवसेना के टूट का कारण वहीं हैं। प्रकाश राजपूत बाला साहेब ठाकरे के 1993 से 2000 तक ड्राइवर रहे हैं।
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