29 C
Mumbai
Tuesday, December 30, 2025
होमब्लॉगमहाराष्ट्र में केसीआर की एंट्री से क्या माविआ पर पड़ेगा असर? 

महाराष्ट्र में केसीआर की एंट्री से क्या माविआ पर पड़ेगा असर? 

Google News Follow

Related

महाराष्ट्र में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति अपने विस्तार के लिए हाथ पांव मार रही है। केसीआर के महाराष्ट्र में प्रवेश करते ही “उनके दोस्त, अब दुश्मन बन गए हैं। जी हां! जब केसीआर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बना रहे थे, तो ठाकरे गुट बहुत खुश था। और तब संजय राउत ने कहा था कि केसीआर में नेतृत्व करने की क्षमता है। अब केसीआर के महाराष्ट्र में विस्तार से संजय राउत की नींद उड़ गई है। वैसे ठाकरे गुट में ही इस बात को लेकर छटपटाहट नहीं है। बल्कि एनसीपी और कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। पिछले दिनों अजित पवार ने भी केसीआर के महाराष्ट्र में एंट्री पर सवाल खड़ा किया था और उन्होंने मुलायम सिंह और मायावती का उदाहरण दिया था।

दरअसल, मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पंढरपुर में भगवान विट्ठल और माता रुक्मणी का दर्शन किया। केसीआर अपने दस मंत्रियों, 100 विधायकों के साथ  600 गाड़ियों के काफिलों के साथ भगवान विट्ठल का दर्शन करने पहुंचे थे। साथ ही उन्होंने दर्शन के बाद महाराष्ट्र में शक्ति प्रदर्शन किया। जहां उन्होंने तेलंगाना में अपनी सरकार द्वारा लांच की गई योजनाओं का बखान किया। इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने केसीआर को तेलंगाना पर ध्यान देने की नसीहत दी और, कहा कि केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति बीजेपी की “बी” है।

ऐसे में यह सवाल उठाता है कि जिस नेता में संजय राउत को 2022 में पूरे देश की नेतृत्व करने की क्षमता दिख रही थी। अब उसी नेता की पार्टी बीजेपी की बी टीम कैसे बन गई। यह संजय राउत से पूछा जाना चाहिए। और वह भी केवल एक साल के अंदर। गौरतलब है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव 20 फरवरी 2022 को महाराष्ट्र दौरे पर आये थे। उस समय राज्य में माविआ की सरकार थी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। उस समय दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप  प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी और कहा था कि ” आज जिस तरह से देश चल रहा है, उसमें बदलाव होना चाहिए। दोनों नेताओं ने कहा था कि हमने कई मुद्दों पर चर्चा की। तो अब अगर के चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र में अपना आधार बना रहे हैं तो संजय राउत को अब तकलीफ क्यों हो रही है।

भारत में कोई भी कहीं से चुनाव लड़ सकता है। कोई कहीं भी अपनी पार्टी बना सकता। तो संजय राउत को दर्द क्यों हो रहा है। संजय राउत को पता है कि अब उनकी एक नहीं चलने वाली। संजय राउत ने यह भी कहा कि केसीआर इधर महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं, उधर  तेलंगाना में कमजोर हो रहे हैं। संजय राउत को अपनी पार्टी को बचाने के लिए काम करना चाहिए। जो अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। आज जिस तरह उनकी पार्टी छोड़कर नेता जा रहे है। उस पर संजय राउत को ध्यान देना चाहिए। न कि केसीआर क्या कर रहे है, कहां अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे है। इससे संजय राउत को क्या लेना देना है।

इसी तरह, एनसीपी नेता अजित पवार ने भी पिछले दिनों कहा था कि तेलंगाना के सीएम
केसीआर का महाराष्ट्र में कुछ भी नहीं होने वाला है। उन्होंने मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था कि ये भी नेता महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। उसी तरह  केसीआर को भी महाराष्ट्र में कोई सफलता नहीं मिलने वाली है। दरअसल, केसीआर की पार्टी का महाराष्ट्र में लगे पोस्टरों में जो नारे लिखे गए है। उसमें लिखा है कि अबकी बार, किसान सरकार। ऐसे में माना जा रहा है कि केसीआर महाराष्ट्र में अपनी से किसानों, दलितों और वंचितों को जोड़ने की कोशिश में है। मगर इसमें उनको कामयाबी मिलती है कि नहीं यह देखना होगा।

बताया जा रहा है कि केसीआर की नजर महाराष्ट्र और तेलंगाना के सीमा से सटे जिलों सांगली, चंद्रपुर, सोलापुर, लातूर और यवतमाल है। केसीआर जिस विकास मॉडल की बात कर महाराष्ट्र में प्रवेश करना चाहते है वह आसान नहीं है। क्योंकि अभी तक यहां बाहर राज्यों की पार्टियां पांव पसारने में नाकाम रही हैं। अतीत को देखते हुए कहा जा सकता है कि केसीआर की महाराष्ट्र में दाल नहीं गलने वाली। लेकिन माविआ के कुनबे पर असर पड़ सकता है।

कहा जा रहा है कि केसीआर वंचित बहुजन अघाड़ी के मुखिया प्रकाश आंबेडकर और ओवैसी को भी अपने पाले में लाने कोशिश कर रहे है। बता दें कि संविधान दिवस पर जब उन्होंने तेलंगाना में बाबा साहेब आंबेडकर की 125 फीट प्रतिमा का अनावरण किया था उसमें प्रकाश आंबेडकर को बुलाया गया था। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रकाश आंबेडकर उद्धव गुट को छोड़कर केसीआर से न हाथ मिला लें। क्योंकि पिछले दिनों प्रकाश आम्बेडकर पर शरद पवार ने हमला बोला था। वहीं हाल ही में प्रकाश आंबेडकर औरंगजेब के कब्र पर फूल माला चढ़ाया था।जिस बीजेपी उद्धव ठाकरे को कटघरे में खड़ा किया था। वैसे भी लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अभी लगभग एक साल का समय है। लेकिन केसीआर की आक्रामक किस पर भारी पड़ने वाली यह अभी देखना है।

ये भी पढ़ें 

 

 

मणिपुर में उपद्रवियों को बचाने आ रही महिलाओं से सतर्क सेना

केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ी, CM आवास का CAG करेगा ऑडिट, हुआ बेहिसाब खर्च

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,542फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
285,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें