‘नायक’ रहा MIG-2 कैसे बना ‘फ्लाइंग कॉफिन’?

‘नायक’ रहा MIG-2 कैसे बना ‘फ्लाइंग कॉफिन’?

मिग-21, 1971 की जंग में ऐसा नाम बन गया था, जिसने पाकिस्तान को घुटनों के बल ला दिया था। इस जंग में मिग-21 लड़ाकू जेट ने भारत के पूर्व और पश्चिम के मोर्चों पर जमकर कहर बरपाया था। इस जंग में मिग-21 ने पाकिस्तानी सेना के 13 फाइटर विमानों को तबाह कर दिया था। तो वहीं, कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका अदा की थी। मिग-21 और उसके अपग्रेडेट वर्जन ने पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचाया था और भारत की जीत में अहम रोल अदा किया था। मिग-21 ने 1960 के बाद से हुए कई युद्ध में भारतीय सेना की जीत में अहम भूमिका निभाई है। और भारत को जीत का स्वाद चखाया है।

लेकिन पिछले कुछ सालों से यह मिग 21 विमान सुरक्षा को लेकर सवालों में है। वजह इसका क्रैश होना है। राजस्थान के हनुमानगढ़ में सोमवार को भी एक MIG 21 क्रैश हुआ। इसने सूरतगढ़ से उड़ान भरी थी। विमान क्रैश होकर रिहायशी इलाके में जा गिरा, इसके चलते तीन ग्रामीण महिलाओं की मौत हो गई। हालांकि दोनों पायलट खुद को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब रहे। एयरफोर्स ने बयान जारी किया है मिग 21 ने सुबह नियमित प्रशिक्षण उड़ान भरी थी। तभी यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वहीं हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जाँच टीम गठित की गई है।

वहीं इससे पहले जुलाई 2022 में राजस्थान के बाड़मेर के पास एक ट्रेनिंग उड़ान के दौरान मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में भारतीय वायु सेना यानी IAF के दो पायलट शहीद हो गए थे। एयरफोर्स का ये विमान 60 सालों में 400 बार क्रैश हुआ। इन हादसों में करीब 200 जवान शहीद हुए, जबकि 60 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। वहीं आज की घटना से फिर वही सवाल खड़े हो रहे है कि आखिरकार बार बार मिग 21 क्रैश क्यों होता है।

दरअसल मिग 21 क्रेश होने की घटना बार-बार सोवियत मूल के मिग 21 विमानों पर सवाल खड़े करती है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में मिग 21 विमान 1960 के दशक के शुरुवात में शामिल हुए। 2022 तक मिग 21 विमान से करीब 200 दुर्घटनाएं हो गई है। मिग 21 लंबे समय तक भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार हुआ करता था। हालांकि विमान का सुरक्षा रिकार्ड बहुत खराब रहा। विमान दुर्घटनाओं में कईयों की जान गई।

पिछले साल मार्च में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट राज्यसभा में कहा था कि पिछले 5 सालों में विमान और हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाओं में कुल 42 रक्षा कर्मियों की मौत हुई है। पिछले 5 सालों में कुल 45 हवाई दुर्घटनाएं। हुई है। इनमें से 29 में भारतीय वायुसेना के प्लेटफॉर्म शामिल थे।

मिग 21 इस क्रैश की हाल की घटनाओं की देखें तो एयरफोर्स ने इसे अपने बेड़े से हटाने का फैसला किया। और हटा भी रही है। एयर फोर्स ने पिछले साल 30 सितंबर तक मिग 21बाइसन की एक स्क्वाड्रन को हटा दिया। मिग 21 की बाकी तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से 2025 तक बाहर करने की योजना है।

आपको तो याद ही होगा 26 फरवरी, 2019 को बालाकोट में भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी की थी। पाकिस्तान ने 27 फरवरी को जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (अब ग्रुप कैप्टन) एक हवाई हमले को विफल करने के लिए ऊंची उड़ान पर थे और पाकिस्तानी जेट के साथ हवाई लड़ाई में लगे हुए थे। अपने मिग -21 बाइसन जेट से उन्होंने पाकिस्तान के F-16 फाइटर को मार गिराया था।

मिग 21 में इतनी ज्यादा दुर्घटनाएं होने के कारण इसे उड़ता हुआ ताबूत कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकी इसमें कभी भी दुर्घटना हो सकती है। हाल ही में ऐसा देखने को भी मिला जिसमें मिग 21 लड़ाकू विमान क्रेश हुआ और पायलट अभिनव चौधरी शहीद हो गए। इसी तरह की घटनाएं कुछ समय पहले मार्च 2021 में भी देखने को मिली जब मिग 21 बाइसन मध्यप्रदेश के ग्वालियर में क्रेश हुआ जिसमें कैप्टन अशोक गुप्ता शहीद हुए।

वहीं जनवरी 2021 में मिग 21 दुर्घटना ग्रस्त हुआ लेकिन इसमें किसी प्रकार की जन हानि नहीं हुई। आधिकारिक आँकड़ें कहते है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा अलग-अलग समय पर संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2010 से अब तक 20 से ज्यादा मिग 21 दुर्घटनाओं में शामिल है। 2003 से 2013 के बीच 38 मिग 21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए। आधिकारिक आंकड़ों से ये भी पता चलता है मिग 21 दुर्घटना में 170 से ज्यादा पायलट अपनी जान गवां चुके है।

इससे पहले साल 2012 में तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया था कि वायु सेना में शामिल होने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 विमान हादसे के शिकार हो चुके थे। इन हादसों में 171 पायलट, 39 आम नागरिक और आठ अन्य की मौत हुई थी। इसके बाद भी साल दर साल ये विमान हादसे का शिकार होते रहे।

मिकोयान-गुरेविच मिग-21 एक सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है, जिसका निर्माण सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने किया है। इसे ‘बलालैका’ के नाम से भी बुलाया जाता था, क्योंकि यह रुसी संगीत वाद्य ऑलोवेक की तरह दिखता है। जब मिग-21 लड़ाकू जेट को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया, तब इसे रूस में बनाया जाता था। हालांकि, बाद में इसे भारत में बनाया जाने लगा। भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू किया था, लेकिन रूस ने 1985 के बाद इस लड़ाकू जेट को बनाना बंद कर दिया। हालांकि, भारत इसके अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल कर रहा। मिग-21 लड़ाकू विमान के एक यूनिट की कीमत करीब 177 करोड़ रुपए है। जब इसका निर्माण शुरू हुआ तब इसकी कीमत तकरीबन 20 करोड़ रुपए (29 लाख डॉलर) थी।

मिग-21 यह सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। मिग-21 लड़ाकू जेट ने साल 1955 में अपनी पहली उड़ान भरी थी। इसके बाद साल 1959 में इसे आधिकारिक रूप से सेना में शामिल किया गया था। हालांकि, उस दौर में ये विमान काफी उन्नत किस्म का था। भारत ने उस दौरान कुल 874 मिग-21 जेट को अपने बेड़े में शामिल किया था। बाद में ये लड़ाकू विमान कई बार हादसों का शिकार हुआ, जिस वजह से इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ नाम से जाना जाने लगा। वहीं मिग-21 एक इकलौता ऐसा लड़ाकू विमान है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है।

हालांकि सवाल यह है कि इतना हादसा होने के बाद भी मिग 21 को रिटायर क्यूँ नहीं किया गया वजह लड़ाकू विमान की खरीद में होने वाली देरी की वजह से भी मिग-21 का इस्तेमाल करना मजबूरी बन जाता है, दरअसल वायुसेना को भारत के आसमान की सुरक्षा में लड़ाकू विमान की कमी से जूझना पड़ रहा है। वहीं स्वदेशी तेजस विमान के निर्माण में देरी, राफेल को लेकर राजनीतिक विवाद के चलते भी मिग को इस्तेमाल करने वायुसेना की मजबुरी है। सवाल यह उठता है कि आखिर पायलट मिग-21 को क्यों उड़ाते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि नए फाइटर जेट को शामिल करने में हो रही देरी के चलते नए पायलट को ट्रेनिंग के लिए ये एयरक्राफ्ट दिए जाते हैं।

मिग-21 विमान अपने आप में एक ऐतिहासिक किस्म का विमान है, लेकिन आधी सदी से अधिक पुराने हो जाने के कारण यह आधुनिकता की दौर में काफी पीछे छूट गया है। भारतीय वायु सेना इसके सबसे उन्नत किस्म मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है। इसे अत्याधुनिक बीवीआर मिसाइल से लैस किया जा सकता है। हालांकि, सभी सकारात्मक बातों के बीच आधुनिक दौर में लड़ाकू विमानों में इंजन की तकनीक सबसे ज्यादा मायने रखती है और मिग-21 विमानों की इंजन तकनीक अब काफी पुरानी हो चली है। इसके अलावा विमान का डिजाइन और फ्रेम भी पुराने जमाने का है। इस विमान को रूस ने 1985 में ही रिटायर कर दिया था। इसके अलावा ज्यादातर उपयोगकर्ता देश भी इसे रिटायर कर चुके हैं।

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