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Sunday, November 24, 2024
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कांग्रेस की तस्वीर बदली, तकदीर बदलेगी?

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहे कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीति से रिटायरमेंट का इशारा कर दिया। सोनिया ने अपने संबोधन में कहा- भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही मेरी राजनीतिक पारी अब अंतिम पड़ाव पर है। उन्होंने कांग्रेस की राजनीति पर बात की और इशारों इशारों में यह भी कह गई कि अब पार्टी का जिम्मा राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष खड़गे के कंधों पर है।

इस सम्बोधन के दौरान सोनिया ने पहली बार पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी संभालने से लेकर अब तक आए उतार-चढ़ाव को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा- 1998 में जब मैं पहली बार पार्टी अध्यक्ष बनी तब से लेकर आज तक यानी पिछले 25 सालों में बहुत कुछ अच्छा और कुछ बुरा अनुभव भी रहा।

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के स्वागत में माना एयरपोर्ट की सड़क पर गुलाब के फूल बिछाए गए। करीब 20 टन गुलाब के फूल सड़क पर बिछाए गए थे। एक किलोमीटर तक गुलाब की पंखुड़ियां बिछाईं गईं। इतना ही नहीं प्रियंका गांधी के ऊपर फूलों की बारिश कर उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।

भारत जोड़ो यात्रा के बाद ये कांग्रेस का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन है। कांग्रेस पार्टी के लिए ये अधिवेशन सबसे अहम इसलिए हो जाता है क्योंकि इस साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले है। इसके अलावा अगले साल लोकसभा चुनाव की भी बारी आ जाएगी। इसलिए माना जा रहा है कांग्रेस के चुनावी रणनीति का रोडमैप इसी अधिवेशन से बनेगा।

वहीं इन सब से हटकर कॉंग्रेस के रायपुर महाधिवेशन के दौरान कुछ ऐसी घटनाए घटी जिसने सभी का ज्यादा ध्यान खींचा। उसमें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और कांग्रेस के नए गैर गांधी शख्स अध्यक्ष रहे। महाधिवेशन में मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व को सामने रखने की कोशिश की गई। इसका मकसद था कि संगठन को चलाने की जिम्मेदारी, प्रशासनिक कामकाज खरगे ही देखेंगे। वहीं, कांग्रेस को जमीन पर मजबूत करने का जिम्मा राहुल गांधी के पास रहेगा। महाधिवेशन में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रेखांकित कर उनके चेहरे व कद को उभारने की कोशिश की गई। इसके निहितार्थ साफ है कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी का नेतृत्व और कद बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस संचालन समिति की बैठक से गांधी परिवार दूर नजर आए। इस दूरी के पीछे यह सोच देने की कोशिश की गई कि संगठन के कामकाज के लिए अब पार्टी के पास अपना अध्यक्ष है। इसके अलावा कॉंग्रेस ने अपने विज्ञापन में सोनिया और राहुल गाँधी से बड़ा कद अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दिखाया। यह कॉंग्रेस पार्टी के इतिहास में पहली बार देखने मिला।

वहीं काँग्रेस पार्टी के तेवर हाल के दिनों में काफी बदले- बदले नजर या रहे है। वंशवाद की मार झेल रही काँग्रेस पार्टी ने इस अधिवेशन के दौरान जो विज्ञापन जारी किया वो चर्चा का विषय बन गया। दरअसल काँग्रेस अभी तक अपने बड़े कार्यक्रमों में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को काम ही महत्त्व देते रहे। हालांकि आज पहली बार हस्तियों की तस्वीर को विज्ञापन में प्रमुखता के साथ जगह मिली।

बता दें कि कॉंग्रेस पार्टी ने कभी भी सुभाष चंद्र बोस को खुले मन से नहीं अपनाया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने खुले मन से सुभाष चंद्र बोस को स्वीकारा और उनका गुणगान करते हुए कॉंग्रेस पर उनके अवहेलना का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2022 को इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया था। नेताजी सुभाष चंद्र की यह प्रतिमा 28 फीट ऊंची है। इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां शुरुआत में पराक्रम दिवस यानी 23 जनवरी के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। सरदार पटेल की तरह ही बीजेपी ने सुभाष चंद्र बोस को भी खुले दिल से अपनाया था।

दरअसल 31 अक्टूबर, 2018 को भारत के लौह पुरुष पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा लगवाई गई थी। तभी से हर साल सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस  प्रतिमा के निर्माण में करीब 2,989 करोड़ का खर्च आया। 182 मीटर की यह वर्तमान में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। पटेल को भारत की 550 से अधिक रियासतों को एक देश में एकीकृत करने के लिए याद किया जाता है। पटेल 1947 से 1950 तक भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री थे।

साथ ही बीजेपी ने दावा किया है कि अगर आंबेडकर को किसी ने साइडलाइन किया तो वह गांधी परिवार था। उसके कारण ही आंबेडर मेनस्‍ट्रीम पॉलिटिक्‍स में एंट्री नहीं कर सके। गैर-कांग्रेसी सरकार में ही आंबेडकर को भारत रत्‍न दिया गया। मोदी सरकार ने उनके जीवन से जुड़ी पांच जगहों को पंचतीर्थ के तौर पर विकसित किया। इसका मकसद विरासत को बहाल करना था। इसके तहत अंबेडकर के जन्मस्थान महू, अध्ययन के दौरान लंदन में इस्तेमाल किए गए मकान, दिल्ली प्रवास के दौरान अलीपुर स्थित मकान, नागपुर में दीक्षा हासिल करने और महानिर्वाण से जुड़े मुंबई स्थित चैत्य भवन को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया गया।

आज विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि है देश उन्हें नमन कर रहा है। वीर सावरकर भारतीय सवतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। आपको याद होगा की राहुल गाँधी भारत जोड़ों यात्रा के दौरान महाराष्ट्र पँहुचे थे। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वीर सावरकर के ऊपर एक विवादित बयान दिया था। राहुल गांधी ने कहा कि सावरकर को अंग्रेजों से पेंशन मिलती थी। जेल से रिहा होने के लिए उन्होंने अंग्रेजों को एक माफीनामा भी लिखा था। अपने बयान के संबंध में राहुल गांधी ने एक दस्तावेज भी मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया था। राहुल ने कहा कि सावरकर ने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को भी धोखा दिया है। राहुल गांधी के इस बयान पर सियासी घमासान मचा गया था और कॉंग्रेस के मानसिकता का पता चल था। हालांकि बीजेपी और आरएसएस हमेशा से ही वीर सावरकर के प्रशंसक रहे है।

यही कारण है कि कॉंग्रेस को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। और बीजेपी की राह पर चलते हुए कॉंग्रेस ने पहली बार इन नेताओं को जगह दिया। कॉंग्रेस को उम्मीद है कि बीजेपी की राह पर चलकर वह आम जनता के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो सकते है। साथ ही कॉंग्रेस बीजेपी की इस नीति को अपना कर आनेवाले सभी चुनावों में अपनी पार्टी को मजबूत तौर पर रखना चाहती है। हालांकि कॉंग्रेस की इस मेहनत का फल क्या मिलेगा वह तो भविष्य में ही तय होगा।

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