हमारे DNA में है रामायण

हमारे DNA में है रामायण

जब रामायण सीरियल दूरदर्शन पर दिखाया जा रहा था। तो देश के क्या गांव, क्या शहर,सब जगह एक जैसा नजारा होता था। ऐसा लगता था जैसे पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जिनके घर में टीवी होती थी, वहां एक घंटे पहले ही भीड़ लगनी शुरू हो जाती थी। रविवार को लोग अपना हर काम धंधा छोड़कर ब्लैक एंड वाइट टीवी के सामने चिपक जाते थे। क्या बच्चे, क्या बूढ़े-जवान सभी रामायण को देखने के लिये इतने उत्सुक होते थे कि लोग अपने काम से भी छुट्टी ले लेते थे। रामायण सीरियल का प्रसारण दूरदर्शन पर 25 जनवरी 1987 में शुरू हुआ था।

जिसका आखिरी एपिसोड 31 जुलाई 1988 में दिखाया गया। कहा जाता है कि इस सीरियल को हर रविवार दस करोड़ लोग देखते थे। इसी से पता चलता है कि रामायण के प्रति लोगों में कितना अगाध प्रेम है। हर भारतीयों के रहन सहन में देखने को मिलता है। कहा जाता है कि इस सीरियल को पाकिस्तान में भी बड़ी श्रद्धा से देखा जाता था। सही कहा जाए तो रामायण हमारे डीएनए में है। रामायण का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। रामायण भारतीयों का अभिन्न अंग है।  उनके रोम रोम में रचा बसा है। इसलिए मुस्लिम समुदाय में भी यह भारतीय ग्रंथ उतना ही लोकप्रिय है जितना हिन्दू समुदाय है में। केरल के दो मुस्लिम छात्रों ने इसे साबित भी किया है।  आज जो माहौल है ऐसे में इन दो मुस्लिम छात्रों के बयान हमारे लिए एक सीख है।

केरल के दो मुस्लिम छात्रों ने रामायण पर ऑनलाइन क्विज जीत कर उन मुस्लिम कट्टरपंथियों को करारा जवाब दिया है, जिनका कहना है कि हिन्दू भजन गाना गलत है। दोनों छात्रों ने कहा कि महाभारत और रामायण को सभी लोगों को पढ़ना चाहिए क्योंकि यह हमारे देश की संस्कृति, परम्पराओं और इतिहास का हिस्सा हैं। दोनों मुस्लिम छात्रों ने जो बातें कही हैं, उसका दूर तक संदेश गया है। कट्टरपंथियों को इन मुस्लिमों को इनसे सीखने की जरूरत है। दोनों छात्रों ने कहा कि कोई भी धर्म कट्टरता को बढ़ावा नहीं देता। बल्कि वह शांति सद्भावना के संदेश देते हैं।

बहरहाल, जानने की कोशिश करते हैं कि पूरा मामला क्या है ? दरअसल, केरल के दो मुस्लिम छात्र मोहम्मद जाबिर पीके और मोहम्मद बसीथ एम ने रामायण पर हुई ऑनलाइन क्विज को जीता। इस प्रतियोगिता में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया था। जिसमें से पांच छात्र विजयी घोषित किये गए, उनमें ये दोनों मुस्लिम छात्रों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। ये दोनों छात्र केकेएचएम इस्लामिक आर्टस एंड कॉलेज वेलेंचेरी में वाफी कोर्स कर रहे हैं। यह कोर्स आठ वर्ष का है।इस प्रतियोगिता का आयोजन डीसी बुक्स पब्लिकेशन ने किया था। इन छात्रों के अनुसार वे बचपन से ही रामायण महाकाव्य को जानते हैं। लेकिन वे जब वाफी कोर्स में  एडमिशन लिया तो उन्होंने हिन्दू धर्म और रामायण के बारे में गहराई से जान पाए। ऐसे में साफ है कि उनके पिता और घर वाले रामायण और महाभारत के बारे में जानते है। तभी वे अपने बच्चों ये बता पाएं होंगे कि रामायण क्या है ? किस धर्म से जुड़ा है और इस महाकाव्य में क्या है ?

बताया जा रहा है कि मोहम्मद बसीथ एम को रामायण की कई चौपाइयां उन्हें कंठस्थ याद है। उनकी मनपसंद चौपाई अयोध्याकाण्ड की भगवान राम द्वारा क्रोधित लक्ष्मण को सांत्वना देने वाली  है। उनको यह छात्र बड़ी सुंदरता और मधुरता से लोगों सुनाया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन छात्रों में इतनी रूचि क्यों है। भले इन छात्रों को कोर्स के तहत सभी धर्म के बारे में पढ़ाया जा रहा हो। लेकिन इनकी रामायण और महाभारत के प्रति रूचि यह दिखाता है कि  उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से कितना प्रेम है।

हम उस रामायण के राम की बात कर रहे हैं जो त्याग और पिता वचन को निभाने के लिए अपना सब वैभव छोड़कर जंगल की खाक छानी। जाबिर का कहना है कि हर भारतीय को रामायण और महाभारत को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन ग्रंथों को सीखना और समझना हमारी जिम्मेदारी है। इन मुस्लिम छात्रों ने जो क्विज जीता वह जुलाई और अगस्त में प्रायोजित की गई थी।

बहरहाल, भारतीय मुस्लिम कोई बाहर से नहीं आये हैं। यहीं के हैं ,हमारे बीच के हैं। वे हिन्दू से कन्वर्ट होकर मुस्लिम बने हैं। तो ऐसे में साफ़ है कि उनके पूर्वज हिन्दू ही रहे होंगे। पिछले साल जेडीयू नेता जाम खान ने कहा था कि उनके पूर्वज हिन्दू राजपूत थे। जो हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिया था। वैसे जाम खान ऐसे पहले मुस्लिम नहीं थे जो ऐसा कहा था। ऐसा कई लोग कह चुके हैं। बीजेपी नेता सुबणयम स्वामी भी एक इंटरव्यू में कहा था कि यहां के मुस्लिमों के पूर्वज हिन्दू थे।

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की फरनामी नाज जब हर हर शम्भू शिव भजन गया तो वैसे मुस्लिम  समुदाय के कुछ लोग फतवा जारी कर कहा कि एक मुस्लिम लड़की हिन्दू भजन कैसे गए सकती है। इस पर नाज बड़ा सटीक जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि पहले हम एक कलाकार है और कलाकार का कोई धर्म नहीं होता। सही बात है कि कलाकार का कोई धर्म नहीं होता। नाज से पहले भी कई मुस्लिम कलाकार भजन गाये हैं जो लोकप्रिय हुए हैं। इसमें सबसे प्रमुख नाम मोहम्मद रफी साहब हैं। महाभारत सीरियल के पटकथा और संवाद लेखक राही मासूम रजा थे। जो मुस्लिम थे ,लेकिन उनके संवाद आज भी लोगों के दिलों को छूते हैं। उन्होंने जिस गहराई से उतरकर महाभारत के संवाद लिखा है ऐसा नहीं लगता कि कोई गैर हिन्दू लिखा है।

 
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