सीएम योगी का ठोंको, मिट्टी में मिला देंगे क्यों भाया ?

सीएम योगी का ठोंको, मिट्टी में मिला देंगे क्यों भाया ?
आजकल उत्तर प्रदेश में अपराधों से निपटने के तरीके की खूब चर्चा हो रही है। कई सालों से जुर्म की दुनिया में राज करने वाले बाहुबली अतीक अहमद अब जान की भीख मांग रहे हैं।अतीक अहमद और उसका भाई जेल से बाहर नहीं आना चाहते हैं। उनका कहना है कि जेल बाहर आते ही उन्हें मार दिया जाएगा। वहीं, अहमद के गुर्गों द्वारा प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या पर विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था। तब सीएम योगी ने सदन में जोरदार तरीके से अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि अतीक अहमद को इस मुकाम तक पहुंचाने में समाजवादी पार्टी की ही है। लेकिन माफिया को हम मिट्टी में मिलाकर रहेंगे।

गौरतलब है कि बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का मुख्य गवाह रहा उमेश पाल को भी  गोलियों से भून दिया गया। उसकी हत्या करने के लिए अतीक अहमद ने तीन लेयर में योजना बनाई थी। हालांकि, अतीक अहमद गुजरात के साबरमती जेल में बंद है,बावजूद इसके उसने कैसे अपराधियों से मिला यह सवाल है। इस घटना की सबसे बड़ी बात यह है कि क्या अतीक अहमद जिन लोगों से मिलता था, उन पर नजर नहीं रखी जाती है थी। यह बहस का अलग विषय हो सकता है। इस घटना में जांच में जो सामने आया है उससे कई तरह के सवाल उठना लाजमी है।

उमेश पाल की हत्या की साजिश गुजरात की जेल,इलाहाबाद विश्वविद्यालय का मुस्लिम हॉस्टल और बरेली की जेल में रची गई। सबसे बड़ी बात यह है कि मुस्लिम हॉस्टल में ही सारी प्लानिंग की गई। जिसमें अतीक अहमद ,अतीक भाई अशरफ, एलएलबी छात्र सदाकत खान, शूटर मोहम्मद गुलाम, गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरबाज शामिल है। अरबाज को पुलिस में एनकाउंटर में मार गिराया है। ये वो सात किरदार हैं जो इस घटना को अंजाम देने में किसी न किसी तरह से शामिल थे। अतीक के बेटों की भी इस घटना में शामिल होने बात कही जा रही है।
बहरहाल, हम आज सीएम योगी की उस नीति पर बात करेंगे जिस पर सवाल खड़े किये जाते  रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपराध पर नकेल कसने के लिए कई ऐसे काम किये जो अपने आप में अनोखा है। यही वजह है कि सीएम योगी यह दावा करते है कि जब से बीजेपी की सरकार आई है तब से उत्तर प्रदेश में कोई दंगा फंसाद नहीं हुआ। ऐसा नहीं है कि यूपी में माहौल खराब करने की कोशिश नहीं की गई। ऐसा कई बार किया गया, लेकिन चुस्त प्रशासन के कारण समय रहते उसे संभाल लिया गया।

नूपुर शर्मा के बयान से उपजे विवाद के बाद कानपुर में हुए विवाद को प्रशासन ने जल्द ही दबा दिया था। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सरकार ने कड़े रुख अपनाते हुए आरोपियों की तस्वीर को चौक पर लगाए गए थे। इसके बाद हर शुक्रवार को जुमे की नमाज पर प्रशासन द्वारा चेतावनी जारी की जाती रही है।

लेकिन, इससे पहले, सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में ठोंको शब्द का इस्तेमाल किया था जो अब मिट्टी में मिला देंगे तक आ गया है। इससे पहले सीएम योगी ने कहा था कि इस चौराहे पर कुछ करोगे तो अगले चौराहे पर मार दिए जाओगे। इससे पहले सीएम योगी ने अपराधियों को चेतावनी देने वाले लहजे में कहा था कि अगर कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे वरना ठोंक दिए जाओगे। सीएम योगी के इन बयानों पर हो हल्ला मच चुका है, लेकिन सीएम योगी अपने धुन के पक्के है जो कहते है वे उसे करके दिखाते हैं।

अपने पहले कार्यकाल से ही सीएम योगी ने यूपी की कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। आज हालत यह है कि कोई अपराध करने से सौ बार सोचता है। सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में छोटे बड़े अपराधियों पर जोरदार तरीके से नकेल कसा था। इसमें सबसे बड़ी आपराधिक घटना कानपुर के बिकरू में हुई थी। यह घटना 2020 में लॉकडाउन के दौरान घटी थी।

जब बदमाश विकास दुबे के आदमियों ने 8 यूपी पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था। इससे पहले आजमगढ़, अलीगढ और शामली में हुई मुठभेड़ की खूब चर्चा हो चुकी है।
इसके बाद जो हुआ उसे दुनिया अच्छी तरह जानती है। बिकरू का मुख्य आरोपी विकास दुबे को मध्य प्रदेश के महाकाल में पकड़ लिया गया था। जिसके बारे में कई कहानियां प्रचलित है।

बाद में विकास दुबे को मध्य प्रदेश से लाते हुए उसकी गाड़ी पलट गई थी और वह भगाने की कोशिश की थी। उसके बाद पुलिस मुठभेड़ में उसे मार दिया गया। जिस पर कई तरह के सवाल खड़े किये गए थे। आज एक बार फिर एक बीजेपी नेता ने ऐसा ही बयान देकर राजनीति के पारे को गरमा दिया। लेकिन आज यूपी में ठोंको नीति नहीं, बल्कि मिट्टी में मिला देंगे नीति काम कर रही है। जिसमें अब ठोकने का काम नहीं हो रहा है, बल्कि अब अपराधियों के अवैध मकानों को  बुलडोजर से गिरा दिया जा रहा है। योगी सरकार अब बुलडोजर के जरिये अपराधियों के कमर तोड़ने का काम शुरू किया है।

राज्य सरकार ने अपराधियों के उन मकानों को अपना निशाना बना रही हैं जो अवैध रूप से बनाये गए हैं। इतना ही नहीं ये मकान अपराधियों की शरणस्थली बन गए थे। जिन्हें प्रशासन ने चिन्हित कर उन्हें या तो तोड़ दिया गया या उन्हें कब्जे में ले किया गया। इसी कड़ी में अतीक अहमद के करीबी खालिद जफ़र की दो मंजिला इमारत को जमीदोंज कर दिया गया।

बताया जाता है कि खालिद जफ़र अतीक का करीब था। उस पर अतीक के साथ छह केस दर्ज है। जो फिलहाल फरार बताया जाता है। कहा जा रहा है कि बुधवार को प्रयागराज में जिस मकान को तोड़ा गया। उसमें  उमेश पाल के शूटर रुके थे। इतना ही नहीं अतीक की पत्नी ने इन शूटरों से इसी मकान मिली भी थी। जांच में यह भी पता चला है कि अतीक अहमद का प्रयागराज में जब मकान तोड़ा गया था। तब अतीक का परिवार इसी बिल्डिंग में रुका था। वैसे केवल आपराधिक छवि वाले अतीक अहमद पर ही कार्रवाई नहीं की गई है,बल्कि कई मामलों में योगी सरकार ने अपराधियों को सबक सिखाने के लिए इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। हालांकि राज्य सरकार कहती रही है कि ये कार्रवाइयां कानून सम्मत है। कानपुर मामले भी एक कार्रवाई की खूब चर्चा हुई थी।

बीते साल सीएम योगी ने कहा था कि अगर इस चौराहे पर बहन बेटियों को छेड़ोगे तो अगले चौराहे पर मार दिए जाओगे। सीएम योगी के ये बयान कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवालों का जवाब है। सबसे बड़ी बात यह है कि हर कार्रवाई के बाद सीएम योगी का बयान चरचा में रहता है। हम इस पचड़े में नहीं पड़ रहे हैं कि क्या गलत है क्या सही है। लेकिन जनता को सीएम योगी का ये बयान खूब पसंद किया जा रहा है।  लोग यही चाहते भी हैं कि जो जनता के सुख में खलल डाले उसे सीएम योगी ऐसे ही मिट्टी में मिलाते रहे हैं।

इस घटना के बाद यह देखा गया है कि अभी तक किसी भी पार्टी द्वारा समुदाय विशेष की बात नहीं उठाई गई है। नहीं तो हर बार घटनाओं को जाति और समुदाय से जोड़ दिया जाता था।जिसकी वजह से असल मुद्दा छुप जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। तो देखना होगा कि  अगली कार्रवाई के दौरान सीएम योगी क्या बोलते हैं।

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