दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर सफर का इंताजर अब खत्म होने वाला है। इस भव्य और आधुनिक एक्सप्रेस वे का दिल्ली-दौसा-लालसोट तक का पहला फेज बनकर तैयार है और कल यानी 12 फरवरी को दौसा-लालसोट इसका उद्घाटन करेंगे। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के 246 किलोमीटर लंबे दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड का निर्माण 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से हुआ है। इसके साथ ही एक्सप्रेसवे पर दिल्ली से जयपुर के बीच आवागमन शुरू हो जाएगा। इस सेक्शन के चालू होने से दिल्ली से जयपुर की यात्रा का समय 5 घंटे से घटकर लगभग साढ़े तीन घंटे हो जाएगा और पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को तेज गति मिलेगी।
एक्सप्रेस-वे के बनने से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर लगने वाले जाम से भी निजात मिल जाएगी। हालांकि इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की शुरूआत 9 मार्च 2019 को हुई थी। कोविड के दौरान लगे लॉकडाउन में इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था। परियोजना अब दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के सोहना-दौसा खंड को 12 फरवरी 2023 से जनता के लिए खोले जाने की उम्मीद है। दिल्ली और जयपुर के बीच रूट पर पांच इंटरचेंज होंगे और यह हाईवे 8 लेन का होगा। भविष्य में यह हाइवे 12 लेन में हो सकता है। एक्सप्रेसवे की हाई स्पीड लिमिट 120 किलोमीटर प्रति घंटा है। दिल्ली और दौसा के बीच 8 एंट्री और एग्जिट होंगे।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे 1,386 किमी की लंबाई के साथ भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा। इससे दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा की दूरी 1,424 किमी से 1,242 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 24 घंटे से कम होकर 12 घंटे हो जाएगा। मोदी सरकार के कार्यकाल में बनकर तैयार इस शानदार इंफ्रा प्रोजेक्ट से देश के आम नागरिक बेहद खुश हैं। यह एक्सप्रेसवे छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा और कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ेगा। केंद्र सरकार इस लंबे एक्सप्रेसवे पर तेज गति से काम रही है।
वहीं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को शानदार उपलब्धि बताया है। गडकरी ने बताया कि इस एक्सप्रेस-वे को बनाने में 25 लाख टन चारकोल का इस्तेमाल किया जाना है। इसके अलावा चार हजार प्रशिक्षित इंजीनियरों को इस एक्सप्रेस-वे के निर्माणकार्य में लगाया गया था। 4 लेन के इस एक्सप्रेस-वे को 24 घंटे में 2.5 किमी तक बिछाया गया है, ये अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। जबकि 50 किमी सिंगल लेन में 100 घंटे में सबसे अधिक मात्रा में चारकोल डालने का भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बना है। नितिन गडकरी ने ये जानकारी #BuildingTheNation के साथ टैग की है।
एक्सप्रेस वे बनाने के लिए फाइबर के मोटे दानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें विशेष चट्टान के मैट्रिक्स का महीन दाने वाला पदार्थ मिलाया जाता है। जिससे सड़क भारी गाड़ियों से नहीं धंसेगी। अगर 10 साल तक एक्सप्रेस वे में कोई भी दिक्कत आती है तो कंपनी रिपेयर कराएगी। वहीं इस सड़क के निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा। जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है। एक्सप्रेस वे को बनाने के लिए 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा। इस प्रोजेक्ट पर एक लाख करोड़ की लागत आएगी। इस बनाने में 50 लाख से अधिक कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की विशेषताएं इस कुछ प्रकार हैं:-
सड़क के किनारे उपलब्ध सुविधाएं: दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के लगभग 93 स्थानों पर होटल, ATM, फूड कोर्ट, बर्गर किंग, सबवे, मैक डोनाल्ड्स जैसे सिंगल-ब्रांड फूड, रिटेल शॉप, ईंधन स्टेशन और साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएं होंगी। मुंबई दिल्ली एक्सप्रेसवे पहला ऐसा एक्सप्रेसवे होगा जिसमें दुर्घटना के शिकार यात्रियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने हेतु हर 100 किमी पर पूरी तरह से सुसज्जित ट्रॉमा सेंटर व हेलीपैड उपलब्ध होंगे।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर्यावरण के अनुकूल होगा। एक्सप्रेसवे पर लगभग 20 लाख पेड़ लगाये जाएंगे। इन पेड़ों को हर 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन प्रक्रिया के ज़रिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का इ्स्तेमाल करके पानी दिया जाएगा। एक्सप्रेसवे पर होने वाले वृक्षारोपण से लगभग 850 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती होने का अनुमान है। इस परियोजना से ट्रैफिक की समस्या को कम करके लगभग बत्तीस लीटर ईंधन की बचत होने की संभावना है। सोलर एनर्जी और स्टेट ग्रिड दोनों का इस्तेमाल करके दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर सड़क की किनारे लाइट की व्यवस्था की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक हाईवे या ई-हाईवे के रूप में बनाने की योजना है। इस एक्सप्रेस-वे पर बसें व ट्रक 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकते हैं। एक्सप्रेसवे पर अच्छी गति व भीड़भाड़ की कमी से लॉजिस्टिक खर्च लगभग 70% कम हो जाएगा, क्योंकि भारी वाहन ईंधन के रूप में डीजल की जगह बिजली का उपयोग करेंगे। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के आठ लेन में से चार लेन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए होंगी।
इस एक्सप्रेस वे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पूरे एक्सप्रेस वे पर कहीं भी टोल गेट नहीं लगे हैं। यानी सफर के दौरान यात्रियों को बार-बार टोल के लिए रुकना नहीं पड़ेगा। हाइवे पर चढ़ने और उतरने की जगह पर इंटरचेंज टोल लगाए गए हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर यात्रा शुल्क किलोमीटर की संख्या के आधार पर लिया जाएगा। प्रत्येक 50 किलोमीटर पर एंट्री और एग्जिट के लिए गेट हैं जहां टोल ऑटोमैटिकल फास्टटैग अकाउंट से कट जाएगा। यहाँ केवल 35 पैसे प्रति किलोमीटर का शुल्क लिया जाएगा, जो कि टोल दर के रूप में निर्धारित किया है। सोहना और दौसा के बीच की यात्रा की दूरी 200 किलोमीटर है, इसका मतलब है कि आप जो टोल टैक्स चुकाएंगे वह सिर्फ 70 रुपये है। वहीं कार के लिए हर किलोमीटर पर 0.65 पैसे टोल लगेगा। जबकि मिनी बस और कमर्शियल गाड़ियों पर 1 रुपए 05 पैसे, बस और ट्रक पर 2 रुपए 20 पैसे और हैवी गाड़ियों पर 4 रुपए 20 पैसे टोल देने होंगे।
हाईवे पर गाड़ियां दौड़ाते समय ऐसा कितनी बार होता है कि कोई जानवर सड़क पार करते समय अपनी जान गवां बैठता है, क्यों ? क्योंकि जो जगह कभी उनकी थी आज वहां सड़कों की रेल है। आठ-लेन चौड़ा मुंबई दिल्ली एक्सप्रेसवे पर लगभग पांच प्राकृतिक वन्यजीव क्रॉसिंग होगा, जिसमें मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, सरिस्का टाइगर रिजर्व शामिल हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग ढाई किमी होगी। वन्यजीव क्रॉसिंग का मुख्य आकर्षण मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान और माथेरान पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में बनी सुरंग होगी।
सबसे लंबे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर जानवरों के लिए देश का पहला ओवरपास या ओवर ब्रिज होगा जो परियोजना के निर्माण से वन्यजीवों को अप्रभावित रखने के लिए बनाये गए हैं। ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जापान, कनाडा जैसे देशों में ये एनिमल ब्रिज बने हुए हैं। वन्यजीव क्रॉसिंग ऐसा पुल है जो जानवरों को मानव निर्मित बाधाओं को सुरक्षित रूप से पार करने की अनुमति देता है। ऐसे में दोनों मानव निर्मित चीज़ों और वन्य जीवों, उनके निवास-स्थान की सुरक्षा की जा सकती है। ये वाहनों और जानवरों के बीच टकराव होने से भी बचाते हैं। एशिया का यह पहला ग्रीन ओवरपास हाईवे होगा।
यह एक्सप्रेस वे पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों के नियंत्रण में होगा। प्रत्येक आधा किलोमीटर पर सीसीटीवी लगाए गए हैं। इसके अलावा इस एक्सप्रेस वे पर मेवात में उजीना, फिरोजपुर झिरका और राजस्थान के अलवर जिला के बड़ोदा मेव के पास शीतल की चौकी के पास कट बनाए गए हैं जिसके बाद इस एक्सप्रेस वे से मेवात के किसान अपनी सब्जी, दूध एवं अन्य फसलों को आसानी से दिल्ली एवं अन्य महानगरों में जाकर बेच सकते हैं।
दिल्ली मुंबई एक्स्प्रेसवे बनाने की आधारशिला 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मीठापुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने रखी थी। गौरतलब है कि इस एक्स्प्रेसवे के कई फेज का निर्माण कार्य पूरा हो गया है या फिर पूरा होनेवाला है। इस पूरे एक्स्प्रेसवे निर्माण कार्य को लेकर अनुमान है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इसे पूरा कर लिए जाएगा।
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