योगी ने दंगों पर लगाया लगाम, ये राज्य लेंगे सबक?

योगी ने दंगों पर लगाया लगाम, ये राज्य लेंगे सबक?

रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल के इलाकों, महाराष्ट्र के इलाकों, गुजरात के इलाकों में और बिहार के इलाकों में दंगे हुए। लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में जहां सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। वहाँ एक भी दंगा नहीं हुआ। आजका हमारा यह वीडियो उत्तर प्रदेश का दंगा मुक्त होना और इसके पीछे के कारणों को लेकर है।

सवाल यह है कि तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों को यानी ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, एकनाथ शिंदे और भूपेन्द्र पटेल क्या इन सब लोगों को उत्तर प्रदेश जाना चाहिए। और देखना चाहिए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रदेश में कैसे इन सांप्रदायिक दंगाइयों को काबू में रखा है।

नवादा में रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह का बयान काफी मायने रखता है, जहां उन्होंने कहा कि यदि बिहार को दंगे नहीं चाहिए तो बीजेपी की सरकार को लाना होगा। अमित शाह का यह बयान तब आया है जब बिहार के सासाराम और नालंदा में रामनवमी की शोभाभायात्रा के अवसर पर पत्थरबाजी हुई और उसके बाद वहाँ सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।
बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल में भी रामनवमी के अवसर पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सुधरने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल ममता बनर्जी ने एक बार फिर से यही कहा कि ये दंगे इसलिए हुए क्यूंकी रामनवमी पर उनके चेतावनी के बावजूद मुस्लिम इलाकों से ये शोभायात्राए निकली गई। इसके अलावा ममता बनर्जी ने अभी से भविष्यवाणी भी कर दी है कि 6 अप्रैल को हनुमान जयंती है इस दिन भी मुस्लिम इलाकों से शोभायात्राएं निकालने की कोशिश हो सकती है। और दंगे कराए जा सकते है। इसलिए मुस्लिम समुदाओं को सतर्क रहना चाहिए।

दरअसल हमारे देश में नेता और मुख्यमंत्री है जो खुद को धर्मनिरपेक्ष दिखाना चाहते है। और इसलिए वो कई बार मुसलमानों के प्रति नरम रुख अपनाते है। और अल्पसंख्यकों के प्रति काफी नरम हो जाते है क्यूंकी उन्हें अपनी राजनीति को ध्यान में रखना है। उन्हें चुनावों को ध्यान में रखना पड़ता है। उन्हें देखना है कि उनके राज्य में किस धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा है। और सबसे अच्छा तरीका अपने आप को धर्मनिरपेक्ष दिखाने का है कि जब इस तरह के सम्प्रदायिक दंगे होते है तो ऐसे में जो अल्पसंख्यक जनसंख्या है उनकी तरफदारी करना शुरू कर देते है। हमारे देश की पारंपरिक राजनीति इसी तरह की रही है। और ममता बनर्जी भी वही करने की कोशिश कर रही है।

हालांकि इन सबसे इतर कुछ वर्ष पहले तक जब भी दंगों की बात होती थी उत्तर प्रदेश का नाम सबसे पहले आता था। और उत्तर प्रदेश की पहचान एक ऐसे राज्य के रूप में बन गई थी। जहां सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे होते थे। लेकिन अब उत्तर प्रदेश पूरी तरह से दंगा मुक्त हो चुका है। आज जब रामनवमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, यहाँ तक की गुजरात और महाराष्ट्र में दंगे हुए। तब उत्तरप्रदेश में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई।

दंगा मुक्त राज्य इसका सबसे बड़ा सबूत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने 2021 के क्राइम के आंकड़े जारी करके दिए थे, जिसके मुताबिक पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज हुए। जिसमें उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही मामला दर्ज हुआ। जबकि महाराष्ट्र में 100, झारखण्ड में 77, बिहार में 51 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2019 और 2020 में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। इसे योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा गया था। एनसीआरबी के डाटा से यह भी खुलासा हुआ कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में भी यूपी में कमी आई। वहीं देश की तुलना में साईबर क्राइम में भी यूपी में कमी आई।

आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा और संवेदनशीलल राज्य है। उत्तर प्रदेश की कुल आबादी लगभग 23 करोड़ है यानी पाकिस्तान की आबादी से भी ज्यादा। यूपी में 20% मुसलमान रहते है। यानी साढ़े 4 करोड़ मुसलमान रहते है। और ये पश्चिम बंगाल की आधी आबादी के बराबर है। लेकिन इसके बावजूद रामनवमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए। उत्तर प्रदेश के दंगा मुक्त राज्य बनने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण है।

पहला है गैंगस्टर ऐक्ट और एनएसए के तहत कार्यवाही- उत्तर प्रदेश में दंगा करनेवालों पर अब तुरंत गैंगस्टर ऐक्ट लगा दिया जाता है। और नैशनल सिक्युरिटी ऐक्ट के तहत वहाँ कार्यवाही होती है। जिसकी वजह से वहाँ अब लोग पत्थर उठाने से पहले हजार बार सोचते है। उत्तर प्रदेश ने गैंगस्टर ऐक्ट और एनएसए को अपने यहाँ बड़े प्रभावी तौर पर इस्तेमाल किया है। और यह उत्तर प्रदेश में नजर आता है।

दूसरी वजह है अपराधियों की संपत्ति पर तुरंत कार्यवाही और उनसे दंगे में हुई नुकसान की वसूली। यानी जो व्यक्ति दंगे करता है उसकी संपत्ति को तुरंत जब्त कर लिया जाता है। और पब्लिक प्रॉपर्टी को जो नुकसान पहुंचता है उसका पूरा पैसा उन आरोपियों से वसूल किया जाता है। जैसे- बस, गाड़ी, थाना जिन भी चीजों पर उन्होंने तोडफोड की उन सब का पैसा दंगाईयों से ही वसूली की जाती है। और यही वजह है कि यूपी में कई हद तक दंगों पर रोक लग गई है। क्यूंकी दंगाइयों को पता है कि वो जहां भी जो भी आगजनी करेंगे उन सब का भुगतान उन्हीं को करना पड़ेगा। साथ ही हिंसा फैलाने वालों की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने का अभियान चलाया जाता है।

तीसरा कारण है कि दंगाइयों पर तुरंत एक्शन होता है। यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार दंगों पर जीरो टोलरेन्स की नीति पर काम करती है। जीरो टोलरेन्स का मतलब होता है कि किसी भी प्रकार के कानून के उल्लंघन को सहन नहीं किया जाएगा। और दंगाइयों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्यवाही की जाएगी।

वहीं पश्चिम बंगाल में हुए दंगों के मद्देनजर अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फॉर्मूले का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। ममता बनर्जी ने रामनवमी दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है, जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। ममता बनर्जी ने कहा है कि ऐसे लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी और संपत्ति को उन्हें दिया जाएगा, जिन्हें नुकसान हुआ है।

हालांकि आज देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री स्टडी टूर के लिए दूसरे देशों में जाते है। ये देखने के लिए कि किसी खास समस्या पर विदेशी लोग या सरकारे कैसे काम करती है। इसलिए आपने देखा होगा कि स्टडी टूर अक्सर विदेशों के होते है। पर आज जब बात दंगों की हो रही है तो सवाल यह उठता है कि पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र या बिहार के मुख्यमंत्रियों को अब दंगा को रोकने के लिए क्या करना चाहिए। स्टडी टूर के लिए क्या ये सभी उत्तर प्रदेश आएंगे।
ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, एकनाथ शिंदे और भूपेन्द्र पटेल इन सभी से यही रीक्वेस्ट करते है कि यदि आप सीखना चाहते है कि दंगों के दौरान क्या करना चाहिए, दंगों को कैसे रोकना चाहिए तो कुछ दिन उत्तर प्रदेश में जरूर बिताइए।

उत्तर प्रदेश की सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में लोक भवन के सभागार में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार के छह साल के शासन के दौरान प्रदेश ने आधारभूत ढांचा मजबूत किया और उस धारणा को तोड़ा कि यहां ‘हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा’ होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए योगी ने कहा कि उनके मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश ने देश और दुनिया में एक नई पहचान बनाई है।

उत्तर प्रदेश ने अनेक उपलब्धियां हासिल कीं। कहा जाता था कि उत्तर प्रदेश में विकास नहीं हो सकता, वह आज प्रधानमंत्री की प्रेरणा से नंबर एक की दौड़ में है और यह यात्रा को आगे बढ़ा रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ”छह साल में जो परिवर्तन हुआ वह परिवर्तन नये उत्तर प्रदेश की गाथा को सबके सामने रखता है। ये छह साल उत्तर प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। पूर्ण बहुमत की सरकार और सरकार की स्थिरता भाजपा ने परस्पर समन्वय व संवाद से प्राप्त की।”

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा सरकार के दौरान दंगों की कई घटनाएं सामने आई थी। उस समय कोई भी व्यक्ति खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था और राज्य दंगों की आग में जल रहा था। हालांकि जब भी दंगे होते हैं तो हर धर्म और संप्रदाय के लोग प्रभावित होते हैं। फिर क्या मुस्लिम और क्या हिन्दू। पर आज यूपी की तस्वीर बदल चुकी है एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार में क्राइम पर कंट्रोल होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त प्रदेश होने का गौरव मिला है। इसलिए दंगे वाले राज्य के मुख्यमंत्रियों को योगी आदित्यनाथ को अपने राज्य में आने का न्योता देना चाहिए और उनसे थोड़ा ट्रैनिंग लेनी चाहिए कि उन्होंने कैसे अपने राज्य को दंगा मुक्त किया है।

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