हम नहीं भूले हैं, और पूरा देश नहीं भूलेगा वो लम्हा जब पाकिस्तान के अंदर घुस कर हमारे सैनिकों ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था। और एक संदेश दिया था पाकिस्तान को हर बार की तरह इस बार फिर नहीं। दरअसल 18 सितबर 2016 को आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के उरी में किया एक ऐसा हमला। जिसमें भारत के 19 वीर जवानों को शहादत देनी पड़ी थी। और आतंकवादियों के इस कायरतपूर्ण कार्रवाई का भारतीय जवानों ने ऐसा जवाब दिया जिससे सारी दुनिया को संदेश मिल गया कि भारत अब अपने दुश्मनों को बख्शेगा नहीं और उसके ही घर में घुस कर मरेगा। भारत में इस ऐतिहासिक दिन को सर्जिकल स्ट्राइक डे के रूप में जाना जाता है। आज भारत उस अदम्य साहस की छठी वर्षगांठ मना रहा है।
साल 2016 में इसी दिन भारतीय जाबांजों ने पाकिस्तानी सीमा में दाखिल होकर आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था। यह दिन भारतीय जवानों के साहसिक कदम के गवाह के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। सवाल यह उठता है कि भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक क्यों किया? वजह, जैश-ए-मोहम्मद के फिदाइन दस्ते के चार आतंकियों ने 18 सितंबर 2016 को उरी स्थित भारतीय सेना की 12वीं ब्रिगेड के प्रशासनिक स्टेशन पर चुपके से हमला किया। जिसमें कुल 19 जाबांज शहीद हो गए। तत्काल वहां मौजूद स्पेशल फोर्सेस और अन्य जवानों ने आतंकियों को घेरा। मुंहतोड़ जवाब दिया। एनकाउंटर में आतंकी मारे गए। उनके पास से मिले हथियारों और जीपीएस सेट से पता चला कि ये पाकिस्तान से संबंध रखते हैं. इसके बाद खुफिया जानकारी पर हमले के बाद दो स्थानीय गाइड्स पकड़े गए। जिन्होंने बताया कि इस हमले में आतंकियों की मदद और घुसपैठ पाकिस्तानी सेना ने की है. पूरा देश इस हमले से स्तब्ध था। खून खौल रहा था, देश जवाब मांग रहा था जवानों के शहादत का।
इसके उपरांत उस समय के आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजित डोभाल को पाकिस्तान को करारा जवाब देने के सभी विकल्प बताए। सरकार ने सेना के आला अधिकारियों के साथ मिलकर एक खास प्लान तैयार किया। 28 सितंबर 2016 यह वह रात है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ शीर्ष नेता नए भारत की पटकथा लिख रहे थे। पूरा देश तो सो रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय में चहल पहल थी। भारतीय फौजें पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुस कर आतंकी कैंपों को खत्म करके वापस आ चुकी थीं। ये वो दिन था जब सेना ने सिर्फ 4 घंटे के ऑपरेशन में पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी शिविरों को समूल नष्ट करने में सफलता हासिल की थी। 29 को दुनिया ने यह जान लिया था कि नए भारत का सूर्योदय हो चुका है। यह नया भारत न झुकेगा और न ही रुकेगा।
कैसे दिया ऑपरेशन को अंजाम? आईए जानते है.. सेना ने रात करीब 12.30 बजे ऑपरेशन की शुरुवात की जिसका नाम उन्होंने ‘बंदर’ रखा था, इस पूरे ऑपरेशन में स्पेशल फोर्सेज और पैरा कमांडो भी शामिल थे। MI 17 हेलिकॉप्टरों से 150 कमांडोज को सीमा के नजदीक एलओसी अर्थात लाइन ऑफ कंट्रोल के पास उतारा गया यानी एयरड्रॉप किया गया। इसके बाद भारतीय जवान धीरे-धीरे पाकिस्तानी सीमा में घुसने में कामयाब रहे। इस दौरान भारतीय कमांडो नाइट विजन डिवाइसेज, स्मोक ग्रेनेड्स, तवोर और M-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स, अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर और हेलमेट पर लगे कैमरे से लैस थे।
मार्च करते हुए कमांडो पाकिस्तान में तीन किलोमीटर अंदर तक घुस गए थे। पीओके अर्थात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कई सेक्टरों में भारतीय सेना ने कार्यवाई की और ताबड़तोड़ फायरिंग से आतंकियों के लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया। भारतीय सेना के इस सर्जिकल स्ट्राइक में करीब 38 आतंकियों का सफाया हुआ और वहां मौजूद दो पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। दिलचस्प बात ये रही कि भारत के किसी भी कमांडो को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा और वो सफलता पूर्वक ऑपरेशन को अंजाम देकर भारत लौट आए। सुबह के 4.30 बज रहे थे और सेना के कमांडो भारत में वापसी कर चुके थे। सैनिकों के अंदर जाने और लगभग पांच घंटे तक चलने वाले ऑपरेशन को पूरा करने से पहले इन लॉन्चपैडों पर तैनात पहरेदारों को स्निपर्स ने मार गिराया। भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान में स्थित जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है और अतंकियों की कमर टूट गई।
सर्जिकल स्ट्राइक का ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि इसकी जानकारी सिर्फ सात लोगों को थी। पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल ऑपरेशन के लिए कमांडो को मात्र दो घंटे का समय दिया गया था। आसमान में करीब 35 हजार फुट की ऊंचाई से भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर इस ऑपरेशन की निगरानी कर थे। 125 कमांडो डोगरा और बिहार रेजिमेंट के थे। दोनों रेजिमेंट से तैयार विशेष संयुक्त पैरा कमांडो ने तड़के इस कार्रवाई को अंजाम दिया। कमांडो पैदल मार्ग से ही पीओके में घुसे। इस ऑपरेशन पर भारतीय जवानों की जाबांजी की कहानी को ‘उरी’ फिल्म में भी प्रदर्शित किया गया है।
हालांकि, भारत ने इस अभियान को अंजाम देने के दौरान पाकिस्तान की किसी भी चुनौती से निपटने के भी पूरे इंतजाम कर रखे थे। यदि पाकिस्तान उस दौरान कोई गुस्ताखी की होती तो ऐसा सबक मिलता कि वह कभी इस ओर देख नहीं पाता। सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देश ने सेना के जांबाज को सलाम किया और देश का मान बढ़ने पर सभी ने गौरव अनुभव किया। पाकिस्तान इस हमले को लेकर न कुछ कह पाया, न कर पाया। दूसरी तरफ पूरी दुनिया भारत के इस कदम की हैरान थी लेकिन तारीफ भी कर रही थी। भारत के इतिहास में पहली बार इस तरह का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था, जो कि प्रशंसनीय हैं।
हालांकि भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर सिर्फ पाकिस्तान ने ही नहीं, बल्कि भारत के कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने स्ट्राइक को फर्जी बताया था, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके सबूत मांगे थे। यूपीए शासनकाल में केंद्रीय वित्तमंत्री रहे पी चिदंबरम ने भी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े किए थे। इन नेताओं द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए जाने के बाद जमकर बयानबाजी और राजनीति हुई थी। जबकि केंद्र सरकार का कहना था कि सर्जिकल स्ट्राइक पर डीजीएमओ के बयान पर भरोसा किया जाना चाहिए। सरकार ने कहा था कि इस मसले पर हो रही राजनीति के कारण उसको लाइन ऑफ कंट्रोल के पार सेना के ऑपरेशन के किसी को कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है।
हालांकि 2018 में वीडियो भी जारी किया गया, लेकिन उससे पहले बीजेपी नेताओं ने 2017 की शुरुआत में हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव में सर्जिकल स्ट्राइक का जमकर अपने भाषणों में इस्तेमाल किया। और मार्च 2017 में जब चुनाव के नतीजे आए तो यूपी में बीजेपी ने इतिहास रच दिया। 2017 में कुल सात राज्यों में चुनाव हुए, जिनमें से पंजाब को छोड़कर सब जगह बीजेपी की सरकार बनी। अर्थात देश की सैन्य शक्ति पर शक करनेवालों को देशवासी ने करार जवाब दिया और देश के रक्षक बीजेपी को भारतवासियों ने अपना समर्थन दिया अर्थात सत्य की जीत हुई असत्य हार गया।
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