श्रद्धा वालकर हत्याकांड में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। हालांकि इसी बीच पुलिस के हाथ एक नई जानकारी लगी है। दरअसल, श्रद्धा वालकर को पहले ही डर था कि उसे मार दिया जाएगा और इस बात को लेकर दो साल पहले ही श्रद्धा ने इसका इजहार किया था। श्रद्धा का शिकायत पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। ये चिट्ठी ठीक दो साल पहले यानी 23 नवंबर की है। वहीं उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस पत्र का संज्ञान लिया है।
23 नवम्बर 2020 के दिन श्रद्धा वालकर ने तुलींज पुलिस में लिखित शिकायत दी थी। श्रद्धा ने लिखित शिकायत में लिखा की, मैं श्रद्धा वालकर उम्र 25 वर्ष आफताब पूनावाला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती हूं। आफताब, विजय विहार काम्प्लेक्स के रीगल अपार्टमेंट में रहता है। मुझे गलियां देता है और बेरहमी से मारता है। आज आफताब ने मेरी हत्या करने की कोशिश की और मुझे मारा। आज मेरा गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की। उसने मुझे धमकाया, ब्लैकमेल किया और कहा कि मेरे टुकड़े-टुकड़े कर फेंक देगा। लागतार 6 महीने से आफताब मुझे मार रहा है, लेकिन मुझमें पुलिस में आकर शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि आफताब ने मेरी हत्या करने की धमकी दी है। आफ़ताब के मां-बाप को यह पता है की आफताब मुझे मारता है और हत्या करने की कोशिश की। उन्हें यह भी पता है की हम लिव इन रिलेशन में रहते है और सप्ताह के अंत में वो आफताब से मिलने भी आते हैं। हम शादी करने वाले थे और आफताब के परिवार का आशीर्वाद भी मिला है इसलिए हम अब तक साथ रह रहे थे। आज के बाद मैं आफताब के साथ नहीं रहना चाहती। अगर मुझे किसी भी प्रकार की शारीरिक क्षति पहुंचती है तो यह माना जाए कि यह चोट आफताब ने पहुंचाई है क्योंकि आफताब ने मुझे कहीं भी दिख जाने पर हत्या करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता रहा है। इस शिकायत के बाद पता चलता है कि आफताब को पुलिस ने हिरासत में लिया था। लेकिन बाद में आफताब द्वारा ब्लैकमेल किए जाने के बाद श्रद्धा ने अपनी शिकायत वापस ले ली और आफताब छूट गया।
श्रद्धा का यह शक सच निकला कि आफताब हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े कर फेंक देगा। और श्रद्धा का मर्डर आफताब ने इसी तरह से किया। दो साल पहले यानी 23 नवंबर 2020 को श्रद्धा द्वारा दर्ज शिकायत को दो साल बीत चुके हैं। पुलिस ने श्रद्धा की शिकायत को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? श्रद्धा का पत्र बेहद गंभीर था। लेकिन उस चिट्ठी के आधार पर कई सवाल उठ रहे हैं कि आफताब के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, क्या मुंबई पुलिस पर इस मामले की जांच नहीं करने का कोई दबाव था। उसी समय इस मामले में गंभीर जांच होनी चाहिए थी। तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि जब श्रद्धा आफताब के साथ रहने को तैयार नहीं थीं तो उसे मौत के घाट क्यों उतारा गया।
इस मर्डर केस में जितना दोषी आफताब है, उतना ही उसके परिवार के सदस्य भी दोषी हैं। उन्हें पता था कि आफताब श्रद्धा को पीटता है। बावजूद इसके परिवार वालों ने कभी आफताब को समझाने की कोशिश क्यों नहीं की? यानी ऐसा लगता है कि क्या उनके परिवार ने उनके कृत्य का समर्थन किया है? वहीं श्रद्धा की हत्या के बाद आफताब का परिवार वसई स्थित अपना घर छोड़कर मुंबई आ गया। श्रद्धा की हत्या का मामला सामने आने से दो हफ्ते पहले अचानक 11 नवंबर को पूरा परिवार वसई छोड़कर चला गया था। लिहाजा शक की सुई इस परिवार की तरफ भी जा रही है।
इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि यह बेहद गंभीर मामला है। फडणवीस ने कहा है कि अगर श्रद्धा की शिकायत पर गौर किया जाता और सही समय पर कार्रवाई की जाती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। बेशक, उनका पैसा महाविकास अघाड़ी के प्रशासन के पास है। क्योंकि 2020 में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। इसके पीछे आशय यह है कि क्या उनके द्वारा बॉटचेप की नीति अपनाई गई थी। एक तरफ जब महाविकास अघाड़ी की सरकार थी तो केतकी चितले, कंगना रनौत, अर्नब गोस्वामी, निखिल भामरे, नवनीत राणा, रवि राणा और कई अन्य लोगों पर विभिन्न पुलिस थानों में मामला दर्ज किया गया था। उन्हें कुछ दिनों तक जेल में रखा गया। इसलिए महाविकास आघाडी सरकार के दौरान कानून व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान लगे थे।
अंबानी के घर के नीचे विस्फोटकों से भरी कार रखे जाने के मामले से हड़कंप मच गया। इस मामले में महा विकास आघाडी सरकार के चहेते पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को गिरफ्तार किया गया था। 100 करोड़ की वसूली के आरोप लगे थे। कोरोना जैसी महामारी में लॉकडाउन के दौरान पीएमसी बैंक घोटाले को लेकर तमाम नियमों को तोड़कर विवादों में फंसे वडवान परिवार को नौकर समेत महाबलेश्वर पहुंचाने में यह सरकार व्यस्त थी। वहीं इस महाविकस आघाडी सरकार पर 1993 ब्लास्ट के आरोपी याकूब मेमन की कब्र को सजाने का आरोप लगा था। महाविकास अघाड़ी सरकार संकट में पड़ गई थी क्योंकि उसकी कब्र पर एलईडी लाइटिंग, मार्बल टाइल्स लगाकर कब्र के सौंदर्यीकरण की अनुमति दी थी।
वहीं औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर करने की विचारधारा पिछली कैबिनेट मंत्रिस्तरीय बैठक से ही की जा रही थी। लेकिन महा विकास आघाडी सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने में इतना समय क्यों लगाया यह भी एक सवाल है। जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो कहा जाता था कि मुसलमानों के खिलाफ हल्की कार्रवाई करने या उनके खिलाफ शिकायतों को नजरअंदाज करने का अलिखित आदेश था। इस मौके पर यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार के दौरान महाराष्ट्र में भी यही दोहराया जा रहा था।
श्रद्धा की चिट्ठी से यह मामला सामने आया है। 2020 में लिखी गई इस चिट्ठी पर अगर कड़ी कार्रवाई होती तो आज श्रद्धा इस वक्त जीवित होती। इसलिए यह मामला न केवल आफताब जैसे हत्यारे का नहीं बल्कि इस मामले में विलंब करनेवाले दोषी सरकार की भी है। इसीलिए फडणवीस ने इस मामले की जांच करने का आदेश दिया हैं। इस मामले में की गई देरी को यह उजागर कर सकता है। जिससे श्रद्धा को न्याय मिल सकता है।
वहीं आफताब ने कोर्ट के सामने अपना जुर्म कबूलते हुए कहा कि उसने जो कुछ भी किया वो गलती से किया। गुस्से में उसने श्रद्धा की हत्या की। उसने यह भी कहा कि वह अब जांच में पुलिस की पूरी मदद कर रहा है। उसने कहा, ‘मैंने पुलिस को सब बता दिया है कि कहां श्रद्धा की लाश के टुकड़े फेंके थे। अब इतना समय हो गया है कि मैं बहुत कुछ भूल गया हूं। जो भी हुआ गलती से हुआ, हत्या गुस्से में की थी।’ हालांकि अब श्रद्धा की पुलिस शिकायत सामने आने से साफ हो गया कि आफताब बड़ा शातिर है। वहीं साकेत कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की मांग पर आफताब की रिमांड चार दिन बढ़ा दी है।
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