राजस्थान चुनाव जीतने के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि बीजेपी किसे राज्य का मुख्यमंत्री बनाएगी। राज्य में वसुंधरा राजे, बाबा बालकनाथ, दिया कुमारी, अर्जुन राम मेघवाल सहित कई नेता सीएम पद के लिए दावेदार है। राजे ने अपने नेताओं के साथ फील्डिंग भी सजाने लगी हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी आलाकमान किसे राज्य की सत्ता सौंपेगी? क्या वसुंधरा राजे सीएम बनेंगी या बाबा बालकनाथ होंगे मुख्यमंत्री।
यह बात सही है कि वसुंधरा राजे बीजेपी की वरिष्ठ और अनुभवी नेता है। उनका राज्य में अपना जनाधार है। मगर राजे ने जिस तरह की परिपाटी शुरू की वह उनके विरोध में जा चुका है। उन्होंने राजस्थान की सत्ता संभाली हैं,लेकिन क्या वर्तमान में राजे को राज्य की सत्ता सौंपना सही होगा? क्योंकि पांच से छह माह बाद लोकसभा चुनाव होने है, जो बीजेपी के लिए टप टारगेट होगा। नहीं तो पीएम मोदी का तीसरी बार पीएम बनने का सपना चकनाचूर हो सकता है।विपक्ष लोकसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरेगा. वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने समर्थकों के साथ बैठक भी कर चुकी है। उनके समर्थक उन्हें सीएम बनाये जाने की मांग भी कर रहे हैं। सवाल यह है कि अगर बीजेपी राजस्थान में राजे को सीएम बनाती है तो क्या उसका फैसला सही होगा ? नहीं लगता है कि बीजेपी को राजे को सीएम बनाएगी और बनाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि चुनाव नतीजा आने के बाद जिस तरह से राजे ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की वह सही नहीं था। यह बीजेपी का कल्चर नहीं है। राजे ने कांग्रेस नेताओं की तरह गुटबाजी करने की कोशिश की है।
बैठक करने से पहले राजे को बीजेपी आलाकमान के प्रतिक्रिया का इन्तजार करना चाहिए था। लेकिन उन्होंने धैर्य से काम नहीं लिया। और मुख्यमंत्री बनने के लिए फील्डिंग सजाने शुरू कर दी, जो राजे के खिलाफ जाता दिख रहा है। बीजेपी को चाहिए कि अब नए चेहरे पर दांव लगाए। दिया कुमारी को आगे करने का भी यही कारण है बीजेपी राजे से छुटकारा चाहती है यानी उन्हें अब नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। राजपूत वोटरों को साधने के लिए बीजेपी वसुंधरा राजे के बजाय दीया कुमारी को आजमा सकती है। लेकिन दीया कुमारी के भी साथ बड़ा जोखिम है। उसे भी बीजेपी नजर अंदाज नहीं कर सकती है।
अगर दीया कुमारी को सबसे पहले जिससे लड़ना होगा तो वह हैं वसुंधरा राजे। जिन्हें सरकार चलाने का अनुभव है और राजे दीया कुमारी को आसानी से राज्य की सत्ता नहीं सौंप सकती और न ही चलाने देंगी। क्योंकि उनकी महत्वकाक्षां हिलोरे मार रही हैं। समर्थकों के साथ बैठक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। दीया कुमारी कई बार यह दावा कर चुकी हैं कि वे भगवान राम की वंशज हैं, जो बीजेपी के लिए हिंदुत्व का चेहरा हो सकती है। जो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बेहतर विकल्प है।
अगर वसुंधरा राजे के सीएम बनाए जाने से राजपूत समाज नाराज होता है तो इसकी भरपाई बीजेपी दीया कुमारी से कर सकती है। राज्य में 14 प्रतिशत राजपूत हैं जिनकी राज्य की 60 सीटों पर खासा असर है। इन राजपूतों को दीया कुमारी के जरिये साधा जा सकता है। वैसे भी बीजेपी के पास राज्य में कई राजपूत नेता है। जैसे राजवर्धन सिंह राठौर, गजेंद्र सिंह शेखावत आदि नेता हैं, जो राजपूत वोटरों को अपने साथ करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि, बीजेपी को तब मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है जब दूसरी जातियों के नेता गुटबाजी करेंगे और अपने जाति के नेता को सीएम बनाने की मांग करें, तब बीजेपी के लिए कठिन परिस्थितियां पैदा हो सकती है। ऐसे में दीया कुमारी का अनुभवहीनता उनके खिलाफ जा सकता है। हो सकता है इसका लाभ वसुंधरा राजे भी उठाने की कोशिश करें या दूसरी पार्टी भी ऐसे मौके को भूनाने की कोशिश करे। इसलिए कहा जा सकता है कि दीया कुमारी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाना बीजेपी के जोखिम भरा हो सकता है।
बहरहाल, राजस्थान चुनाव के समय से ही राज्य में बाबा बालक नाथ की खूब चर्चा है। दावा किया जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बना सकती है। बाबा बालकनाथ के पक्ष में सोशल मीडिया पर तरह तरह के दावे किये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी बाबा बालकनाथ पर दांव लगा सकती है। उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ जैसे राजस्थान में भी बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड खेल सकती है। बाबा बालक नाथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के करीबी है।
बाबा बालकनाथ भी नाथ सम्प्रदाय से जुड़े हुए है। राजस्थान के तिजारा सीट पर जीत भी दर्ज किया है। बाबा बालकनाथ के नामांकन के समय स्वयं सीएम योगी उपस्थित थे। उन्हें राज्य का सीएम बनाने का बल तब मिला जब माई एक्सिस इंडिया के सर्वे में अशोक गहलोत के बाद दूसरे नंबर पर बाबा बालकनाथ थे जबकि वसुंधरा राजे तीसरे स्थान पर थी। उन्हें नौ प्रतिशत लोगों ने सीएम पद के लिए पसंद किया था। जबकि गहलोत को क्रमशः 32 प्रतिशत और बाबा बालकनाथ को दस प्रतिशत लोग चाहते हैं कि राज्य का मुख्यमंत्री बने। बाबा बालकनाथ के साथ ऐसे फैक्टर हैं जो उनके पक्ष में हैं जैसे कांग्रेस और विपक्ष लगातार ओबीसी कार्ड खेल रही है। और जाति आधारित जनगणना कराने की बात कर रही है। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति का काट बाबा बालकनाथ है जो ओबीसी समाज से यादव समुदाय से आते हैं। उनके जरिए यूपी में अखिलेश यादव बिहार में लालू यादव की धार को कुंद किया जा सकता है।
बाबा बालकनाथ लोकसभा चुनाव में यूपी, बिहार में ही नहीं बल्कि हरियाणा में भी तुरुप का पत्ता सबित हो सकते हैं। भले कांग्रेस ने राज्य में जनता के लिए लोकलुभावन योजना को लागू की थी, लेकिन उस पर उसे वोट नहीं मिला। माना जा रहा है कि राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या और रामनवमी पर हुई पत्थरबाजी कांग्रेस के लिए घातक साबित हुई। तो कहा जा सकता है कि राजस्थान में कटटर हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी को वोट मिला है। जबकि कांग्रेस ने राज्य में सॉफ्ट हिंदुत्व पर चुनाव लड़ा था।
दरअसल, लोगों का मानना है कि जिस तरह से यूपी में सीएम योगी ने प्रशासन चुस्तदुरुस्त किया है,और अपराधियों पर नकेल कसा है। उसी तरह से बाबा बालकनाथ के भी राज में प्रशासन कड़ा होगा। उसी तरह से राज्य में यादव समुदाय न के बराबर है। इसलिए यहां जाति आधारित गुटबाजी के आसार कम हैं। जैसे जाट को सीएम बनाने पर गुर्जर और राजपूत नाराज होने की संभावना रहती है। बाबा बालकनाथ को सीएम बनाने पर ऐसी स्थिति पैदा होने के चांस कम होगी।
वैसे भले ये फैक्टर बाबा बालकनाथ के पक्ष में हो, लेकिन पार्टी इस पर बहुत सोच समझकर ही कदम उठाएगी। क्योंकि पहले से ही बीजेपी पर हिंदुत्व का टैग लग चुका है। अब अगर एक और संत को मुख्यमंत्री बनाया जाता है। तो उसका भी असर होगा। वैसे राज्य में जाति समीकरण बाबा बालकनाथ के पक्ष में नहीं जाता दिख रहा है। क्योंकि राज्य ओबीसी फैक्टर काम नहीं करता है। इनके अलावा सीएम पद के लिए अर्जुन राम मेघवाल का भी नाम चर्चा में है,पर उनकी उम्र आड़े आ रही है। मेघवाल दलित समाज से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बाबा बालकनाथ, वसुंधरा राजे और दीया कुमारी में टक्कर है। वैसे पीएम मोदी हमेशा अपने फैसलों से चौंकाते रहे हैं इस बार भी चौंकाए तो अचरज नहीं होगा।
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