100 से ज्यादा दिन की यात्रा कर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा को आराम दिया है। यह यात्रा शनिवार को दिल्ली पहुंची थी। इसके बाद राहुल गांधी अपना वही पुराना वाला रिकॉर्ड चालू किया, जिसमें बीजेपी, नफरत और मेरी छवि ख़राब करने के लिए बीजेपी ने करोडो रुपये खर्च किये हैं का भोंपू बजा। जहां केवल कांग्रेस के नेता सुनने वाले थे। अजीब है, पता नहीं यह बात राहुल गांधी किसको सुना रहे हैं ,जबकि, उनकी ज्यादा बातें लोग सुन चुके है, उसमें कुछ भी नया नहीं होता है। तो लोग क्यों सुने ?
राहुल गांधी देश के पहले राजनीतिक नेता हैं जो अपने विरोधी पार्टी पर अपनी छवि खराब करने का आरोप लगाते हैं। राहुल गांधी जो बातें कहते हैं उसमें गंभीरता रत्ती भर नहीं होती है, लेकिन पेड राजनीतिक समीक्षक यह कहने को मजबूर है कि राहुल गांधी ने अपनी पुरानी छवि को तोड़ा है और नई इमेज गढ़ी है। क्या यह उतना ही सही है जितना कहा जा रहा है। ऐसी समीक्षाओं से उत्साहित कांग्रेस नेताओं ने यहां तक कह दिया कि राहुल गांधी को 2024 में पीएम बनना चाहिए।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी 2024 में क्यों पीएम चुने जाएं? 100 दिन में जनता ने राहुल गांधी में ऐसी क्या खूबी देख ली कि उन्हें वोट देकर पीएम की कुर्सी सौंप दे। क्या इसलिए जनता राहुल गांधी को वोट दे कि वे कांग्रेस के नेता है, क्या इसलिए जनता राहुल गांधी को वोट दे कि वे गांधी परिवार से आते हैं, क्या इसलिए जनता राहुल गांधी को पीएम चुने कि वे भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं ? कांग्रेस और राहुल से जनता यह पूछे कि आखिर उन्हें वोट क्यों दिया जाए? जनता को राहुल गांधी से पूछना चाहिए कि उन्हें देश की सत्ता क्यों सौंपी जाए? लेकिन कोई ये सवाल पूछ भी लिया तो क्या ये लोग जवाब दे पायेंगे?
शनिवार को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 2024 के चुनाव में यह तय होगा कि कौन पीएम बनेगा। यह सब 2024 के चुनाव में ही तय होगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि 2024 में राहुल गांधी को पीएम बनना चाहिए। लेकिन खेड़ा ने यह नहीं बताया कि आखिर क्यों राहुल गांधी को ही पीएम बनना चाहिए ? दूसरा नेता क्यों नहीं ? उन्होंने कुछ भी साफ़ नहीं किया। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा कई मायने में कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए अच्छी साबित हुई है। मगर यह कहना मुश्किल है कि इस यात्रा के आधार पर उन्हें वोट मिलेंगे ?
कुछ लोगों का कहना है कि राहुल गांधी की सोशल मीडिया पर जो छवि बनी उसे यात्रा के जरिये उन्होंने तोड़ा है। ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या राहुल गांधी ने जो बचपना दिखाने वाले काम किये हैं,उसे नकार दिया जाना चाहिए ? क्या सार्वजनिक तौर पर अध्यादेश फाड़ने वाली बात को नकार दिया जाना चाहिए ? क्या छह अगस्त 2013 को राहुल का दिया गया बयान गरीबी केवल एक मानसिक स्थिति या दिमागी हालत है.इसका खाना खाने रुपये और भौतिक चीजों से कोई लेना देना नहीं है।
अब यही राहुल गांधी गरीबी की अलग परिभाषा बताते हैं। उनके ऐसे कई विवादित बयान हैं जो एक राजनेता द्वारा नहीं दिया जा सकता है। क्या राहुल गांधी द्वारा दिए गए ऐसे उटपटांग बयानों की अनदेखी की जानी चाहिए? राहुल की गलत हरकतें ही उनकी छवि बिगाड़ी है। इससे बीजेपी या किसी पार्टी का लेना देना नहीं है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का बयान चर्चा में है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अब पीएम नहीं बनने वाले, क्योंकि कांग्रेस ने वह मौक़ा गंवा दिया है। उन्होंने कहा कि मौक़ा मिलने पर सोनिया गांधी और कांग्रेस ने राहुल गांधी को पीएम नहीं बनने दिया। रामदास आठवले का इशारा 2004 के लोकसभा चुनाव की ओर था। उन्होंने आगे कहा कि अब वह समय बीत गया है अब वह मौक़ा नहीं मिलने वाला है। क्योंकि पीएम मोदी का कारवां आगे बढ़ चुका है।
भले आठवले का बयान राजनीतिक हो, लेकिन कई मायनों में यह सही दिखाई पड़ता है। झूठ सच की चाशनी में मीडिया कुछ भी कहे,लेकिन वर्तमान में माहौल बीजेपी का ही है। भले इस सच्चाई को कांग्रेस नकार दे ,लेकिन समय आने पर यह साबित हो जाएगा कि अभी कांग्रेस के पक्ष में माहौल नहीं है। इसके कई कारण भी हैं। पहला यह कि अब जनता जागरूक हो गई है, अपने अधिकारों को अच्छी तरह समझती है। जनता अच्छी तरह जानती है कि कौन नेता हमारे लिए काम कर रहा है और कौन नेता राजनीति कर रहा है।
दूसरा कि, कांग्रेस आज भी भटकी हुई पार्टी लगती है। वह किसी मुद्दे पर खुलकर बात नहीं कर पाती है। तीसरा यह कि कांग्रेस अब बहुमत के साथ केंद्र में सरकार नहीं बना सकती है। क्योंकि बहुसंख्यक लोग अपना वोट कांग्रेस को किसी भी कीमत पर नहीं देने वाले है। उसके भी एक नहीं कई कारण है। इसलिए राहुल गांधी का सपना पूरा होगा कि नहीं यह कहना मुश्किल लगता है। कांग्रेस जनता की निगाहों से पूरी तरह से उतर चुकी है।
एक बात और कहना जरुरी है। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार घोषित करना ठीक नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस वर्तमान की सच्चाई को नकारती है। साथ ही पुराने मुद्दों को छोड़कर वर्तमान के मुद्दों पर ध्यान देना होगा। लेकिन कांग्रेस ऐसा करते हुए दिखाई नहीं देती है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि राहुल गांधी सुस्त व्यक्ति है। इसलिए उन्हें गठबंधन का पीएम उम्मीदवार घोषित करना समझदारी नहीं होगी।
बहरहाल, भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस में उत्साह है,लेकिन कांग्रेस हकीकत से दूर दिखाई दे रही है। सवाल एक बार फिर मुंह फाड़े खड़ा है कि राहुल गांधी को जनता पीएम क्यों बनाये? इसका जवाब जनता 2024 में देगी तब तक इंतजार करना होगा ?