राहुल गांधी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुरानी अदावत है। संघ पर एक टिप्पणी करने पर राहुल गांधी मुंबई की अदालत का चक्कर काटते रहे है। लेकिन, आज तक ये नहीं समझ में आया कि आखिर राहुल गांधी संघ से इतनी नफरत क्यों करते हैं। इसकी क्या वजह है ? हर बात में वे संघ को क्यों घुसेड़ देते हैं। अभी तक इसका ठोस कारण सामने नहीं आया है।
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी संघ पर हमला कर रहे हैं। इस पर संघ चुप्पी साध रखा है जिस लोग सवाल उठ रहे हैं। लेकिन हाल ही में संघ के एक नेता ने भारत जोड़ो यात्रा की प्रशंसा की। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि राहुल गांधी के हमले के कारण ही संघ ने राहुल गांधी की तारीफ़ की है। अब इसमें कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
बहरहाल, यह जान लेते हैं कि संघ नेता चंपत राय ने राहुल गांधी के बारे में क्या कहा? चंपत राय ने कहा कि एक नौजवान सर्दी में पैदल चलकर देश का भ्रमण कर रहा है। यह स्वागत का विषय है। इससे पहले रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने भी भारत जोड़ो यात्रा के लिए राहुल गांधी को शुभकामनाएं दी थी। इस बारे में एक बात मीडिया द्वारा नहीं बताई गई है।
मीडिया ने केवल यह बताया है कि राहुल गांधी को रामलला के पुजारी ने भारत जोड़ो यात्रा के लिए आशीर्वाद दिया है। यहां मीडिया ने सच्चाई को छुपा दिया और झूठ को फैला दिया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने खुद रामलला के पुजारी से भारत जोड़ो यात्रा के लिए आशीर्वाद मांगा था। जिसके जवाब में रामलला के पुजारी ने पत्र लिखकर राहुल गांधी को आशीर्वाद दिया था।
कांग्रेस चंपत राय और रामलला के पुजारी की वीडियो ऐसे वायरल किये जैसे पूरा संत समाज राहुल गांधी और कांग्रेस के समर्थन में आ गया हो। कांग्रेस ने चंपत राय के बयान का राजनीति के लिए इस्तेमाल किया। इसके साथ ही राहुल गांधी ने संघ पर हमला और तेज कर दिया हैं। इसके जरिये कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश कि राहुल गांधी की आलोचना के बाद ही संघ ने उनकी तारीफ की। वे अच्छा कर रहे हैं।
यही वजह रही कि राहुल गांधी ने संघ पर हमला और तेज कर दिया है। एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने बीजेपी और संघ को 21 वीं सदी का कौरव करार दिया। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि बीजेपी और संघ हर हर महादेव नहीं बोलते है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत पुजारियों का देश नहीं है बल्कि तपसयियों का देश है। ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। जैसे राहुल गांधी हर बात को संघ से क्यों जोड़ देते है? बात बात पर भगवान राम, सीता माता और कौरव आदि का नाम क्यों ले रहे हैं ? कांग्रेसी नेता राहुल की तुलना राम से कर चुके हैं। लोग पूछ रहे हैं कि किसकी क्या वजह हो सकती है।
तो, पहली बात यह कि राहुल गांधी खुद को हिन्दू साबित करना चाहते हैं। वे दुनिया को बताना चाहते हैं कि वे हिन्दू हैं और उन्हें सनातन धर्म के बारे में बहुत कुछ जानकारी है। लेकिन, राहुल गांधी सनातन धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जानते। जब एक बार राहुल गांधी बनारस के विश्वनाथ मंदिर गए थे तो वहां उन्होंने मंदिर में नमाज पढ़ने वाले अंदाज में बैठे थे। जिस पर आपत्ति जताई गई थी तब जाकर वे पूजा करने वाले मुद्रा में बैठे थे।
कहने का मतबल साफ़ है कि हिन्दू का हर बच्चा जानता है कि उसे कैसे पूजापाठ के दौरान बैठा जाता है। लेकिन राहुल गांधी को यह जानकारी नहीं थी तो उनका संस्कार बताता है कि उन्हें इसके बारे में बताया नहीं गया है या बचपन में उन्होंने ऐसा देखा सुना नहीं है। इसके अलावा राहुल गांधी ऐसी हरकते करते हैं जिससे यह साबित होता है कि वे खुद जनता के सामने यह मनवाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह हिन्दू हैं।
दूसरा यह कि राहुल गांधी बार बार झूठ बोलकर संघ को झूठा करार देना चाहते हैं। कहा जाता है कि एक ही बात को बार बार कहने से वह झूठ साबित हो जाती है। इसका फ़ायदा कांग्रेस को मिलेगा कि नहीं, यह कहना मुश्किल है। क्योंकि संघ किसी राजनीति दल का जवाब कम ही देता है। संघ का अपना एक दायरा है। इसलिए संघ राहुल के बयान पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं, संघ साफ कर चुका है कि जो संगठन या राजनीति दल देश या भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने की बात करेगा उसका वह समर्थन करेगा। वैसे भी चंपत राय के बयान को संघ का विचार नहीं कहा जा सकता है।
तीसरी बात, पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के प्लान को बताया था ,जिसमें कहा गया था कि अगर कांग्रेस को सत्ता में लौटना है तो उसे बहुसंख्यकों को अपने पाले में लाना होगा। क्योंकि बहुसंख्य यानी हिन्दू कांग्रेस से छिटक चुके हैं। जिसकी भरपाई के लिए ऐसा कुछ करना होगा कि हिन्दू कांग्रेस के पाले में आ जाए। इसी प्लान के तहत राहुल गांधी संघ और बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। इसमें कांग्रेस को कितनी कामयाबी मिलेगी यह देखना होगा।
बता दें कि तीन चार दिन में राहुल गांधी के जितने बयान आये हैं सब हिन्दू रीति रिवाज और संत साधुओं पर सवाल खड़ा करते हैं। कई बातों से संत समाज नाराज भी है ,लेकिन जो व्यक्ति खुद अपनी मौत मर रहा उसे कौन बचाने जाए।
बहरहाल, कुछ लोगों का कहना है कि संघ के संगठन से ही कांग्रेस की राजनीति खत्म हो गई। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह कह पाना मुश्किल है। क्योंकि कांग्रेस अपने पतन के लिए खुद जिम्मेदार है। कांग्रेस भले अपने पतन के लिए बीजेपी या संघ को जिम्मेदार बताती हो मगर यह सच्चाई नहीं है। कांग्रेस गांधीवाद में खत्म हो रही है। कांग्रेस में अहम था कि उसे केंद्र की सत्ता से कोई बेदखल नहीं कर सकता।
इतना ही नहीं, भारत की जनता कांग्रेस को कभी छोड़ नहीं सकती। लेकिन हुआ इसके उलट आज कांग्रेस रसातल में मिल रही है। कांग्रेस अपनी नीतियों पर ध्यान नहीं देती है। अगर सही कहा जाए तो कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा कि जनता जागरूक हो, कांग्रेस भारतीयों को बुद्धू समझती रही है। लेकिन अब भारत की जनता समझदार हो गई है। वह अपना भला बुरा अच्छी तरह से जानती है।
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