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Saturday, September 21, 2024
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‘सुपारीबाज’ एक्टिविस्ट 

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आजकल एक तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। जिसमें राहुल गांधी के साथ ‘पलटू सामाजिक कार्यकर्ता’ योगेंद्र यादव देखे जा सकते हैं। यह वही योगेंद्र यादव हैं जो  2011 में जन लोकपाल के लिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के साथ आंदोलन किए थे। उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने में जनता का अन्ना हजारे को अपार समर्थन मिला था। यह वह समय था जब इस आंदोलन से कई चेहरे सामने आये। जिसमें अरविंद केजरीवाल, योगेंद्र यादव, मनीष  सिसोदिया, कुमार विश्वास, किरण बेदी जैसे चेहरे सामने आये थे। बहरहाल आज इसमें से कई चेहरों के अपने मुखौटे हैं। लेकिन हम आज इसमें केवल एक व्यक्ति की बात करेंगे। योगेंद्र यादव की जो आजकल कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के हिस्सा हैं।

यह यात्रा, भारत जोड़ो कम, भारत तोड़ो यात्रा के लिए ज्यादा चर्चा में है। कांग्रेस के अनुसार कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक पांच माह भारत जोड़ो यात्रा चलेगी। जो देश के 12 से 14 राज्यों से होकर गुजरेगी। जो सात सितंबर से शुरू होगी। जिसमें 150 से अधिक सामाजिक संगठनों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। साफ़ है काग्रेस बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए 2011 में वाले पैटर्न को अपना रही है। लेकिन क्या कांग्रेस का यह प्लान कामयाब होगा ? जिस सिविल सोसायटी के साथ राहुल गांधी 2024 के लिए तैयारी में जुटे हैं क्या वह 2011 जैसा करिश्मा दिखा पाएगी ?

कांग्रेस का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा राजनीतिक है, लेकिन दलगत राजनीति से अलग है।  अजीब बात है, कांग्रेस क्या करना चाहती है, क्या कहना चाहती है यह समझ से परे है क्योंकि, इसमें हर राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों को शामिल करने के लिए कांग्रेस बात कर रही है। हालांकि, कांग्रेस कुछ दलों को इसमें शामिल नहीं करने का प्लान बनाया है। जिसमें कर्नाटक की जेडीएस ( जनता दल सेक्युलर) शामिल है। इतना ही नहीं केरल की लेफ्ट को भी इसमें शामिल होने का न्योता नहीं दिया गया है। जबकि केरल के वायनाड से राहुल गांधी सांसद हैं। वहीं महाराष्ट्र से एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को इसमें शामिल होने के लिए कहा गया है। सात सितम्बर को यात्रा की शुरुआत तमिलनाडु से होगी। यहां राजीव गांधी के हत्या वाले स्थान पर बने स्मारक पर राहुल गांधी इसकी शुरुआत करेंगे। वहीं, पार्टी से सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बजाय कांग्रेस जोड़ो अभियान चलना चाहिए।

हालांकि, भारत जोड़ो यात्रा में योगेंद्र यादव के जुड़ने पर कई सवाल उठ रहे हैं। योगेंद्र यादव को  आंदोलन करने का लंबा अनुभव है. देश का ऐसा कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा जिसमें योगेंद्र यादव शामिल नहीं हुए होंगे। योगेंद्र यादव को आन्दोलन जीवी भी कहा जाता है। कुछ लोग की फितरत होती है कि कुछ नहीं तो आंदोलन करें, धरना करें। लेकिन उन्हें इसका उद्देश्य पता नहीं होता है। वैसे ही योगेंद्र यादव भी हैं। राहुल गांधी में और योगेंद्र यादव में कोई अंतर नहीं है। दोनों भटके हुए लोग हैं। एक तरह योगेंद्र यादव को धरना प्रदर्शन के लिए ‘सुपारी लेने वाला सामाजिक कार्यकर्ता’ कहा जा सकता है। वे किसी के आंदोलन में शामिल हो जाते हैं.

योगेंद्र यादव खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं, लेकिन सियासत के रंग में रंगे योगेंद्र यादव बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ किसी भी हद चले जाते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण है कांग्रेस की  भारत जोड़ो यात्रा है। जिस सरकार के खिलाफ उन्होंने अन्ना हजारे के साथ आंदोलन किया आज उसी पार्टी के साथ जुड़कर यात्रा निकालने जा रहे हैं। सवाल उठेंगे तो योगेंद्र यादव को बताना होगा कि वे आखिर भ्रष्ट कांग्रेस के साथ एक बार फिर क्यों गए ? योगेंद्र यादव को समय समय पर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला सामाजिक कार्यकर्ता भी कहा जा सकता है। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में आरोपी है।

इस मामले की जांच कोर्ट के आदेश पर हो रही है। वहीं,सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मामले में जमानत मिली हुई है। योगेंद्र यादव की नैतिकता क्या है यह बड़ा सवाल ? योगेंद्र यादव ने किसान आंदोलन के दौरान पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला था, किसान आंदोलन को उन्होंने समर्थन दिया था। लेकिन यहां भी योगेंद्र यादव पलटू साबित हुए। दिल्ली की सीमा पर एक साल तक चले किसान आंदोलन को आशा के अनुरूप नतीजे नहीं मिले। योगेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि हम लोग उत्तर प्रदेश में माहौल बनाया था लेकिन अखिलेश यादव फीके साबित हुए। साफ़ बात है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने जो किसान आंदोलन किया था।

बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं देखने को मिला। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के कभी योगेंद्र यादव हिमायती थे। उन्होंने खुद किसानों को सीधे बाजार उपलब्ध कराने, बिचौलियों को खत्म करने की बात कहे थे, लेकिन बाद में गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले योगेंद्र यादव पलट गए।

ज्ञात रहे कि आठ फरवरी 2021 को पीएम मोदी ने राज्य सभा में कहा था की कुछ लोग आंदोलनजीवी हैं। यह बात उन्होंने किसानों द्वारा किये जा रहे आंदोलन को लेकर कही थी। जिस पर योगेंद्र यादव भड़क गए थे।
एक बार फिर योगेंद्र यादव पीएम मोदी के कहे अनुसार कांग्रेस के भारत तोड़ो आंदोलन में शामिल हो रहे है। साफ है कि योगेंद्र यादव 2024 के लिए कांग्रेस के लिए पिच बनायेंगे। वैसे भी योगेंद्र यादव न घर के हैं न घाट के, इसलिए जहां मौका मिलता है वे घुस जाते हैं। वैसे योगेंद्र यादव 2011 में ही कांग्रेस के खिलाफ नहीं थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कहा था कि कांग्रेस को खत्म हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस विकल्प के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है। लेकिन योगेंद्र यादव आज उसी कॉंग्रेस के साथ मिलकर भारत जोड़ो कम तोड़ो यात्रा निकालने जा रहे हैं।

रही बात उन सामाजिक संगठनों की जो इस यात्रा से जुड़ने जा रहे है। सवाल केंद्र की आलोचना करने का नहीं है। सवाल नैतिकता का है कि आखिर यह सामाजिक संगठन किसका विरोध करता है, सरकार की नीतियों का या पीएम मोदी का। 2014 के बाद से ऐसे कई आंदोलन  चलाए गए जिसमें अवार्ड वापसी आंदोलन सबसे पहले सामने आया था। ये वे लोग थे जो खुद को बुद्धिजीवी कहते हैं। समय समय पर ये लोग कुरकुरमुते के पौधे की तरह उग आते हैं। लेकिन इनका कोई मोटिव नहीं होता है ये लोग एक बार फिर कांगेस की छत्रछाया में देखे जा सकते है। देखना होगा कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा क्या गुल खिलाती है।

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