मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैसे ही साल 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार उनकी प्राथमिकता बन गई। दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में नए सिरे से बड़े माफियाओं की सूची तैयार की गई है। इसी क्रम में यूपी में आतंक का पर्याय बने अतीक अहमद और अशरफ अहमद अब मिट्टी में मिल चुके हैं लेकिन प्रदेश में माफियाराज की सफाई का काम अभी रुकने वाला नहीं है। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश में 61 माफियाओं की लिस्ट तैयार की गई है।
स्पेशल डीजी ला एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक, इनमें से 50 लोगों के नाम शासन ने खुद जोड़े हैं, जबकि 11 नाम विभिन्न जिलों की ओर से भेजे गए गए हैं। ये माफिया वन, शिक्षा, पशु तस्करी, शराब, खनन जैसे कामों से जुड़े रहे हैं और राजनेताओं के संरक्षण में नियम-कानूनों को ताक पर रखकर साल दर साल अरबपति होते चले चले गए। अब इन सब माफियाओं की रीढ़ तोड़ तोड़कर उनसे अवैध रुपये से कमाई गई संपत्ति को वापस जब्त करने की तैयारी की जा रही है। सीएम योगी के इस इस मास्टर स्ट्रोक से सूबे की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है।
जिन माफियाओं को टॉप-61 सूची में स्थान मिला है, उनमें पश्चिम यूपी से गैंगस्टर उधम सिंह का नाम सबसे ऊपर है। उस पर कई जिलों में लूट-डकैती, हत्या, रंगदारी मांगने के दर्जनों केस दर्ज हैं। वह इन दिनों उन्नाव जेल में बंद है। मेरठ का नामचीन गैंगस्टर और माफिया योगेश भदौड़ा भी सीएम योगी के निशाने पर है। मेरठ के भदौड़ा गांव के रहने वाले योगेश पर संगीन अपराधों के 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं। वह सिदार्थनगर जेल में बंद है लेकिन उसका गैंग अब भी बाहर से काम कर रहा है।
खूंखार माना जाने वाला बदन सिंह बद्दो भी यूपी सरकार के टारगेट पर आ गया है। इस नामी अपराधी पर कई राज्यों में हत्या, लूट, डकैती, फिरौती के लिए हत्या के 40 केस दर्ज हैं। वह वर्ष 2019 से फरार है और फिलहाल ढाई लाख का इनामी है। अब योगी सरकार की कोशिश इस माफिया की दहशत हमेशा के लिए खत्म करने की है। बागपत जिले का रहने वाला कुख्यात बदमाश धर्मेंद्र किरठल को भी टॉप-61 माफियाओं की सूची में स्थान दिया गया है। उसे यूपी एसटीएफ ने वर्ष 2021 में देहरादून से अरेस्ट किया था लेकिन उसकी गिरफ्तारी का गिरोह पर कोई असर नहीं पड़ा और वह लगातार वारदातें करता रहा है। अब उसे नेस्तनाबूत करने की तैयारी है।
बागपत जेल में बंद रहने के दौरान पूर्वी यूपी के कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी की तमंचे से हत्या करने वाले कुख्यात बदमाश सुनील राठी को भी टारगेट लिस्ट में शामिल किया गया है। पश्चिम यूपी में खूंखार बदमाश के रूप में चर्चित सुनील राठी हर सरकार में अपना आपराधिक साम्राज्य बढ़ाने में कामयाब रहा है लेकिन अबकी बार सरकार उसकी इस अपराध कथा को हमेशा के लिए खत्म देना चाहती है।
इस लिस्ट में प्रतापगढ़ के शराब माफिया सुधाकर सिंह, कुंडा के गुड्डू सिंह, बहराइच से देवेंद्र सिंह उर्फ गब्बर सिंह, वाराणसी के अभिषेक सिंह हनी उर्फ जहर, प्रयागराज के निहाल कुमार उर्फ बच्चा पासी, गोरखपुर के राजन तिवारी, विनोद उपाध्याय और सुधीर कुमार सिंह, बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर, प्रयागराज के दिलीप मिश्रा, फर्रुखाबाद के अनुपम दुबे के नाम भी शामिल हैं।
सहारनपुर के खनन माफिया हाजी इकबाल, लखनऊ का बच्चू यादव, लल्लू यादव, मुख्तार अंसारी का करीबी जुगनू वालिया, मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह, खान मुबारक, सलीम, बब्लू श्रीवास्तव, सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी, जीवा, एहसान गाजी, फिरदौस, आसिफ इकबाल, सुंदर भाटी, सिंहराज भाटी, अनिल दुजाना, जावेद इकबाल, राजेश तोमर समेत कई माफियाओं के नाम जोड़े गए हैं।
अतीक-अशरफ गैंग के सफाये के बाद अब अपना नाम सीएम योगी की हिट लिस्ट में आने के बाद सूची में शामिल माफियाओं की नींद उड़ गई है। इन माफियाओं के खिलाफ धीमी कार्रवाई हालांकि पहले से चल रही थी लेकिन अब इनके खिलाफ विभिन्न एजेंसियां एक साथ एकजुट होकर कार्रवाई करेंगी, जिससे इनके गैंग दोबारा कभी सिर नहीं उठा पाएंगे। माना जा रहा है कि अगले एक हफ्ते में इस कार्रवाई का आगाज हो सकता है।
वहीं इससे उलट बिहार सरकार ने परिहार कानून में संसोधन किया है। बिहार सरकार ने बिहार जेल नियमावली 2012 में संशोधन किया है। नियमावली से ‘ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी के हत्यारे’ कैटिगरी को हटा दिया गया है। यह संशोधन डॉन से नेता बने आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ़ कर सकता है। साल 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की गोली मारकर हत्या हुई थी। इस मामले में आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा हुई थी। लेकिन इस संशोधन के बाद सरकारी सेवक की हत्या के दोषी के रिहाई के मामले में अब इसे एक साधारण हत्या मानी जाएगी।
जिससे उसकी जेल से रिहाई जल्द हो सकती है। जो विपक्षी अतीक और अशरफ अहमद के हितैषी बने हुए हैं, नीतीश की रणनीति क्या उन्हें सही लगती है। सोचनेवाली बात यह है कि नीतिश सरकार को लेकर किसी भी विपक्षी दल की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। आखिर क्यों अगर माफियाओं को खत्म गलत है तो माफियाओं को संरक्षण देना क्या सही है। आखिर विपक्षी चाहती क्या है, इनकी मानसिकता क्या है? हालांकि माफियाओं को संरक्षण देना यह पहले भी कई विपक्षी पार्टियों की भूल थी जिससे प्रदेश के लोग काफी ग्रसित थे इसलिए नीतीश कुमार को सावधान रहने की सख्त जरूरत है।
वहीं सीएम योगी ने मंगलवार यानी आज लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि पहले जो लोग यूपी की पहचान के लिए संकट थे आज उनके लिए खुद ही संकट बनता जा रहा है। यूपी में पहले हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। 2007 से 2012 के बीच में कई दंगे हुए। 2017 के बाद से यूपी में दंगों पर रोक लगाने का काम किया गया है। 2017 से लेकर 2023 तक न तो यूपी में दंगा हुआ और न ही कर्फ्यू लगा। इसकी नौबत ही नहीं आने पाई।
एक समय ऐसा था जब यूपी दंगों के रूप में कुख्यात था। बहुत से जनपदों के नाम से ही लोग डरा करते थे। लेकिन आज के समय में किसी भी जनपद से लोग डरते नहीं हैं। यूपी आज के समय में बेहतरीन कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी देता है। आज यूपी की तस्वीर बदल चुकी है। योगी आदित्यनाथ सरकार में क्राइम पर कंट्रोल होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त प्रदेश होने का गौरव मिला है। तो वहीं अब योगी सरकार ने यूपी को माफिया मुक्त करने की जिम्मेदारी भी ले ली है।
बहरहाल, ज्ञान और तप की भूमि रही प्रयाग भूमि को माफियाओं के आतंक से मुक्त करने की तैयारी सफल हो रही है। यह पूरा घटनाक्रम एक उदाहरण है, उन सभी बाहुबलियों के लिए कि अगर आप किसी दृढ इच्छा शक्ति और सक्षम सरकार से बैर मोल लोगे तो आपका यही हस्र होगा। कभी जो जुर्म की दुनिया का कुख्यात शहंशाह हुआ करता था, आज उसका अवैध साम्राज्य मटियामेट हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की माफियाओं की मिट्टी में मिलाने की प्रतिज्ञा अब सच साबित होती दिख रही है। हालांकि विपक्षी दल भले ही माफियाओं का साथ दे लेकिन योगी आदित्यनाथ के एक्शन से प्रदेश की जनता में एक भयमुक्त वातावरण बनता दिख रहा है।
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