पीएम मोदी ने रविवार (24 नवंबर) को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 116वें एपिसोड पूर्ण किया। ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के 500 से अधिक प्रसारण केंद्रों पर मन की बात का प्रसारण किया गया। पीएम मोदी ने एनसीसी दिवस की याद दिलाई साथ ही “मैं स्वयं ही एनसीसी कैडेट रहा हूं” इस बात को दोहराते हुए कहा कि एनसीसी युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है। कहीं आपदा होती है तो वहां एनसीसी के कैडेट्स मदद के लिए जरूर पहुंचते हैं। उन्होंने कहा एनसीसी को मजबूत करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है और एनसीसी में गर्ल्स कैडेट्स की संख्या भी 40 प्रतिशत अधिक हो गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि मन की बात में अक्सर निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रहे युवाओं की चर्चा करते हैं। ऐसे कई युवा, जो लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं। लखनऊ के विरेंद्र अपने क्षेत्र के बुजुर्गों की टेक्नॉलॉजी के मामले में जागरूक कर रहे हैं। भोपाल के महेश ने कई बुजुर्गों को मोबाइल से पेमेंट करने के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा डिजिटल अरेस्ट से बचाने के लिए भी युवा लोगों को जागरूक कर रहे हैं क्योंकी ऐसे अपराध के शिकार ज्यादातर बुजुर्ग ही बनते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर देकर कहा की हमें लोगों को समझाना होगा कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है। मुझे खुशी है कि युवा साथी इस काम में हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि आज कल बच्चों की शिक्षा को लेकर कई प्रयोग हो रहे हैं। किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए लाइब्रेरी से अच्छी जगह और क्या होगी। चेन्नई में बच्चों के लिए तैयार की गई लाइब्रेरी अब क्रिएटिविटी का सेंटर बन चुकी है। इसमें 3000 से अधिक किताबें हैं। इसके अलावा इसमें कई तरह की एक्टिविटी भी बच्चों को लुभा रही है। बिहार के गोपालगंज में स्थित प्रयोग लाइब्रेरी की चर्चा कई शहरों में हो रही है। इससे करीब 12 गांव के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिली है। कुछ लाइब्रेरी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में छात्रों के काम आ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा किताबों से दोस्ती बढ़ाने से जीवन में बदलाव आता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गयाना दौरे के बारे में कहा कि गयाना में भी एक मिनी भारत बसता है। लगभग 180 साल पहले गयाना में भारत के लोगों को मजदूरी के लिए ले जाया जाता था, आज भारतीय मूल के लोग हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं। वहां के राष्ट्रपति भी भारतीय मूल के हैं। प्रधानमंत्री ने बताया की गयाना में उनके मन में विचार आया की यहाँ जैसे दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों भारतीय मूल के लोग रहते हैं। उन्होंने देश को संबोधित कर पूछा है की क्या आप ऐसे लोगों की कहानियां खोज सकते हैं कि भारतीय मूल के लोग अपनी विरासत को अन्य देशों में जीवित रखा? क्या आप इन कहानियों को खोजें और मेरे साथ शेयर करेंगे?
प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी दी है की, कुछ महीने पहले शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान ने 100 करोड़ से अधिक पेड़ का पड़ाव मात्र ५ महीनों में पार कर लिया है। उन्होंने कहा, इससे जुड़ी एक और बात जानकर आपको गर्व होगा कि ये अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है। गयाना में भी मेरे साथ गयाना के राष्ट्रपति अपने परिवार के साथ ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में शामिल हुए। देश के अलग-अलग हिस्सों में ये अभियान चलाया जा रहा है। इंदौर में 24 घंटे में 12 लाख पेड़ लगाए गए। जैसलमेर में एक अनोखा रिकॉर्ड बना, जहां महिलाओं की एक टीम ने 1 घंटे में 25 हजार पेड़ लगाया। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत कई सामाजिक संस्थाएं पेड़ लगा रही हैं, जिससे जहां भी पेड़ लगे वहां एक इकोसिस्टिम डेवलप हो। इस अभियान से जुड़कर कोई भी व्यक्ति अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगा सकता है। मां का ऋण हम कभी नहीं चुका सकते हैं, लेकिन एक पेड़ लगाकर हम उनकी उपस्थिति को जीवंत बना सकते हैं।
पीएम मोदी ने मन की बात संबोधन के दौरान गौरैया की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, आप सभी ने बचपन में गौरैया को देखा होगा। हमारे आसपास बायो डायवर्सिटी को बनाए रखने में गौरैया का अहम योगदान होता है। बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरैया हमसे दूर चली गई है। आज की पीढ़ी के बच्चे सिर्फ तस्वीरों में इस पक्षी को देखा है। अब इस पक्षी की वापसी के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। आप भी अपने आसपास प्रयास करेंगे तो गौरैया हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी।
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उन्होंने कहा, जैसे ही कोई कहता है सरकारी दफ्तर कहते ही आपके मन में फाइलों के ढेर की तस्वीरें बनती हैं। ऐसी दशकों पुरानी फाइलों को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके परिणाम भी सामने आरहे है। साथ ही मुंबई की कतरन से फैशन का सामान बनाने वाली अक्षरा और प्रकृति का भी जिक्र किया। इनकी टीम कपड़ों के कचरे को फैशन के प्रोडक्ट में बदलती हैं। साफ-सफाई को लेकर कानपुर में भी कुछ लोग रोज मॉर्निंग वॉक पर निकलते हैं और कचरे को उठा लेते हैं। पहले इसमें कुछ लोग ही जुड़े थे, लेकिन अब ये बड़ा अभियान बन गया है।