हैदराबाद के तीन साल के मासूम को लगा 16 करोड़ का टीका

हैदराबाद के तीन साल के मासूम को लगा 16 करोड़ का टीका

हैदराबाद। 3 साल के अयानश गुप्ता एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) से पीड़ित हैं। उन्हें दुनिया की सबसे महंगी दवा ज़ोलगेन्स्मा दे दी गई है। माता-पिता ने क्राउड-फंडिंग के माध्यम से 16 करोड़ रुपये जुटाए। योगेश गुप्ता और रूपल गुप्ता के बेटे अयानश को 9 जून को सिकंदराबाद के रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में कंसल्टेंट पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रमेश कोन्नकी की देखरेख में यह दवा दी गई। ज़ोलगेन्स्मा दुनिया की सबसे महंगी दवा है, जो फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है। इसे 16 करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से आयात किया गया। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक न्यूरोमस्कुलर रोग है, जो एसएमएन 1 जीन को नुकसान पहुंचाता है। इससे पीड़ित बच्चों की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है। आगे चलकर उन्हें सांस लेने में कठिनाई और निगलने में कठिनाई होती है। एसएमए आमतौर पर 10 हजार बच्चों में से एक को प्रभावित करता है।

वर्तमान में भारत में एसएमए से पीड़ित लगभग 800 बच्चे हैं। अधिकांश बच्चे जन्म के दो साल के भीतर मर जाते हैं, ज़ोलगेन्स्मा सिंगल सिंगल डोज इंट्रावेनस इंजेक्‍शन जीन थेरेपी है। इसमें नष्ट हो चुके एसएमएन 1 को एडेनोवायरल वेक्टर के माध्यम से बदल दिया जाता है। दो बच्चों को अगस्त 2020 और अप्रैल 2021 में सिकंदराबाद के रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में यह दवा दी गई थी। नोवार्टिस द्वारा अनुकंपा के आधार पर दवा मुफ्त प्रदान की गई थी। इन दोनों बच्चों की हालत काफी बेहतर बताई जा रही है। डॉ. रमेश कोन्नेकी ने कहा कि वर्तमान में, एसएमए से पीड़ित बच्चों के लिए तीन सिद्ध उपचार हैं। उन्हें ज़ोलगेन्स्मा, स्पिनराज़ा, और रिस्डिप्लम में से कोई भी दवा दी जाती है। दुर्भाग्य से इनमें से कोई भी दवा वर्तमान में भारत में उपलब्ध नहीं है और सभी बेहद महंगी हैं। स्पिनराज़ा और रिस्डिप्लम को जीवनभर लेने की जरूरत पड़ती है। इसकी कीमत लगभग 40-70 रुपये है लाख प्रति वर्ष पड़ती है।

 

 

Exit mobile version