वृन्दावन के बांके बिहारी लाल की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गया है। अब इस पर अदालत ने तसीलदार से जवाब मांगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के छाता तसीलदार से इसका जवाब मांगा है। कोर्ट ने तसीलदार से पूछा है कि जो जमीन बांके बिहारी महाराज के स्वामित्व में थीं, वह 2004 में कब्रिस्तान के नाम से कैसे दर्ज हो गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट मथुरा द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश तसीलदार को दिया है।
इस मामले में कोर्ट ने राजस्व अधिकारियों से पूछा है कि समय समय पर प्रवृष्टियों को क्यों बदला जाता है। अदालत ने कहा कि शाहपुर गांव का प्लाट 1081 के स्थिति में क्यों बार बार बदलाव किया गया। याचिकार्ता ने ने अपनी याचिका में कहा है कि शाहपुर गांव का 1081 नंबर का प्लाट पर बांके बिहारी महाराज का स्वामित्व है। इस बात का 1375 -1377F के अधिकार अभिलेख में इसका उल्लेख किया गया है।
दायर याचिका में बताया गया है कि बांके बिहारी महाराज के स्वामित्व वाली जमीन गलत तरीके से कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई है। इस संबंध में याचिका में कहा गया है कि इस गलती को सुधारा जाए। याचिका में मांग की गई है कि राजस्व अधिकारियों को सही प्रवृष्टि दर्ज करने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है। इस दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि ऐसा ही एक आवेदन लंबित पड़ा है। राजस्व विभाग में अब प्रवृष्टियाँ कब्रिस्तान से पुरानी आबादी मरें बदल दी गई है।
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