ऐसे में भारतीय सेना ने एक बार फिर अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपने कैंपों में शरण दी है। अमरनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है।
भारी बारिश के कारण सड़क पर काफी मलबा बहकर आ गया है। यात्रा से लौट रहे कई श्रद्धालुओं को रास्ते में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इसके अतिरिक्त, करीब 3000 यात्रियों ने सेना के लंगरों में शरण ली, जहां उन्हें आवश्यक आश्रय और भोजन प्राप्त हुआ। एक विशेष रूप से गंभीर मामला एक बीमार यात्री का था, जो दो भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के बीच रायलपथरी में फंसा हुआ था।
सभी यात्रियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं। वहीं, रायलपथरी और अन्य क्षेत्रों में हल्की बारिश अभी भी जारी है और सेना पूर्ण सतर्कता के साथ किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने यहां सेना के कैंपों में शरण ली है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि सेना के कैंपों में करीब 3 हजार के आस-पास व्यक्तियों को शरण दी गई है। अमरनाथ यात्रा 2025 के दौरान किए गए ये त्वरित और मानवीय प्रयास भारतीय सेना की पेशेवरिता, समर्पण और सेवा भाव के एक और शानदार उदाहरण हैं, जो हर संकट में यात्रियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
गौरतलब है कि भारतीय सेना ने अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित व सुगम बनाने और यात्रा की निर्बाध सम्पन्नता सुनिश्चित करने के लिए ‘ऑपरेशन शिवा 2025’ चला रही है। ‘ऑपरेशन शिवा’ नागरिक प्रशासन और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ समन्वय में संचालित किया जा रहा है। इस बार यहां सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया गया है, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से उत्पन्न खतरे के मद्देनजर कड़ी चौकसी बरती जा रही है।
सेना के मुताबिक, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया में भी नागरिक प्रशासन को हरसंभव सहायता दी जा रही है। इस वर्ष की यात्रा के लिए 8,500 से अधिक सैनिकों की तैनाती की गई है।
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