अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार मज़बूत होते जा रहे हैं। अब वाशिंगटन ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक AIM-120 “एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल” (AMRAAM) की बिक्री को मंज़ूरी दे दी है। यह सौदा पाकिस्तान वायुसेना (PAF) की ताकत को और बढ़ा देगा, जो पहले से ही चीन और तुर्की के आधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विकास भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
अमेरिकी रक्षा विभाग (Department of War) द्वारा हाल ही में अधिसूचित एक हथियार अनुबंध में पाकिस्तान को 2030 तक 120D-3 AMRAAM मिसाइलें देने का प्रावधान किया गया है। यह मिसाइल केवल F-16 लड़ाकू विमानों के साथ संगत है, जिन्हें पाकिस्तान पहले से संचालित कर रहा है। उल्लेखनीय है कि 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद हुई हवाई झड़प में पाकिस्तान ने इसी मिसाइल का इस्तेमाल कर भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमान को गिराया था, जिसे विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान उड़ा रहे थे।
AMRAAM मिसाइल अमेरिकी रक्षा कंपनी रेथियॉन द्वारा विकसित की गई है। यह AIM-7 स्पैरो मिसाइल का उन्नत संस्करण है, जो अधिक तेज़, हल्की और सटीक है। इसमें सक्रिय रडार और माइक्रो-कंप्यूटर सिस्टम लगा है, जो इसे लक्ष्य तक खुद पहुंचने की क्षमता देता है। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों पर निशाना साधने की क्षमता रखती है। इसे अब तक 40 से अधिक देशों ने खरीदा है, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है।
रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान को AIM-120C8 मिसाइलें मिलेंगी, जो अमेरिकी वायुसेना की AIM-120D मिसाइल का निर्यात संस्करण है। पाकिस्तान के पास वर्तमान में C5 वेरिएंट हैं, जिन्हें उसने 2010 में अपने ब्लॉक 52 F-16 विमानों के साथ खरीदा था। लंबे समय से पाकिस्तान नई पीढ़ी की AMRAAM मिसाइलों के लिए लॉबिंग कर रहा था, खासकर तब से जब भारत ने राफेल विमानों को मेटेओर मिसाइलों के साथ अपनी वायुसेना में शामिल किया।
अमेरिका का यह निर्णय जुलाई में हुई उन बैठकों के बाद आया है, जिनमें पाकिस्तान वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्दू ने वाशिंगटन में शीर्ष अमेरिकी सैन्य और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की थी। यह वही मिसाइल है जिसे पाकिस्तान ने 2007 में 700 की संख्या में खरीदा था। उस समय यह मिसाइल का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर था।
भारत ने 2019 में अमेरिका को सबूत सौंपे थे कि पाकिस्तान ने AMRAAM और F-16 का इस्तेमाल कर अमेरिकी नियमों का उल्लंघन किया है। अब एक बार फिर इन मिसाइलों की बिक्री से भारत की सुरक्षा एजेंसियों में बेचैनी बढ़ गई है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सौदा अमेरिका-पाकिस्तान की गहराती दोस्ती का संकेत है। ट्रंप प्रशासन के तहत दोनों देशों के रिश्ते फिर से गर्मजोशी भरे दिखाई दे रहे हैं। सितंबर में ट्रंप ने पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से मुलाकात की थी, जबकि भारत पर व्यापारिक टैरिफ बढ़ा दिए गए थे।
पाकिस्तान इस समय चीन से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है। “सिपरी” की रिपोर्ट के अनुसार, बीते पाँच वर्षों में पाकिस्तान के कुल हथियार आयात का 81 प्रतिशत हिस्सा चीन से आया है। अब जब अमेरिका भी पाकिस्तान को आधुनिक मिसाइलें दे रहा है, तो यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से चिंताजनक स्थिति पैदा कर सकता है।
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