नई दिल्ली। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में भारत के पहले सहकारिता सम्मेलन का आयोजन शनिवार को किया गया। सहकारिता मंत्रालय के इस सम्मेलन को गृह मंत्री अमित शाह ने सम्बोधित किया। गृह मंत्री ने पं.दीनदयाल उपाध्याय को याद करते हुए कहा कि आज मेरी शुरुआत पं. दीनदयाल जी की जयंती से करना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि गरीब कल्याण और अंत्योदय की कल्पना सहकारिता के अलावा हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि देश में सबसे पहले विकास की जब बात होती थी तो सबसे पहले अंत्योदय की बात होती थी, जिसकी बात पं.दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी।
हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा: अमित शाह ने कहा, ‘देश के विकास के अंदर सहकारिता बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। देश के विकास के अंदर सहकारिता का योगदान आज भी है। हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा, नए सिरे से रेखांकित करना पड़ेगा, काम का दायरा बढ़ाना पड़ेगा, पारदर्शिता लानी पड़ेगी।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘सहकारिता आंदोलन सबसे ज्यादा प्रासंगिक है, तो आज ही के दिनों में है। हर गांव को कॉ-ऑपरेटिव के साथ जोड़कर, सहकार से समृद्धि के मंत्र साथ हर गांव को समृद्ध बनाना और उसके बाद देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार की भूमिका होती है।’
5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लिए एड़ी चोटी लगा देंगे: उन्होंने आगे कहा कि मोदी जी ने एक मंत्र दिया है- सहकार से समृद्धि तक। मैं आज मोदी जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सहकारिता क्षेत्र भी आपके 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और नई सामाजिक पूंजी का कंसेप्ट भी तैयार करेगा। भारत की जनता के स्वभाव में सहकारिता घुली-मिली है।
अमित शाह पहले मंत्री: भारत में सहकारिता आंदोलन कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता.आज देश में लगभग 91% गांव ऐसे हैं जहां छोटी-बड़ी कोई न कोई सहकारी संस्था काम करती है। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा जिसके 91% गांव में सहकारिता उपस्थित हो। बता दें कि अमित शाह सहकारिता मंत्रालय के पहले मंत्री है।