लड़की को फंसाने आलिम बना आनंद, कोर्ट ने माना ‘लव जिहाद’ का मामला!

अदालत ने कहा कि आलिम ने पीड़िता को झूठे बहाने से रिश्ते में फंसाने के लिए खुद को हिंदू बताया। अदालत ने आगे कहा कि आलिम की हरकतें, धोखे से पीड़िता को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना और बाद में उस पर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डालना, एक बड़ी और परेशान करने वाली प्रवृत्ति का हिस्सा है।

लड़की को फंसाने आलिम बना आनंद, कोर्ट ने माना ‘लव जिहाद’ का मामला!

Anand became a scholar to trap the girl, the court said it was a case of 'love jihad'!

सोमवार (30 सितंबर) को, एक ऐतिहासिक फैसले के दौरान बरेली की अदालत ने “लव जिहाद” मामले में मोहम्मद अलीम को शादी के झूठे बोलकर कर महिला को धोखा देने, बाद में उसे यौन संबंधों के लिए मजबूर करने और उसके साथ संबंध बनाने के लिए दोषी ठहराया। इस मामले में अपने आप को हिंदू बताते हुए अलीम ने अपना नाम आनंद करवा लिया था।

क्या था मामला:

पीड़िता की शिकायत के अनुसार, वह बरेली के एक कंप्यूटर कोचिंग सेंटर में छात्रा थी। केंद्र में उसकी पहचान एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसने अपना नाम आनंद बताया। वह एक हिंदू प्रतीत होता था और अपनी कलाई पर पवित्र कलावा पहनता था। आरोपी उसके साथ काम पर आता-जाता था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनके बीच एक रोमांटिक रिश्ता विकसित हो गया।

बाद में अलीम ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा और 13 मार्च 2022 को वह पीड़िता को बरेली के राधा कृष्ण मंदिर में ले गया। बाद में अलीम ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा और 13 मार्च 2022 को वह पीड़िता को बरेली के राधा कृष्ण मंदिर में ले गया। अदालत ने कहा है कि उस समय कोई पुजारी मौजूद नहीं था जब यह काल्पनिक शादी हुई थी, और शादी को वैध बनाने के लिए आवश्यक कोई अनुष्ठान भी नहीं किया गया।

झूठे विवाह के बाद अलीम पीड़िता को रोहिलखंड विश्वविद्यालय के पास अपने एक दोस्त के कमरे पर ले गया। कमरे में उसने उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। उसने यौन कृत्य का फिल्मांकन किया और उसकी अश्लील तस्वीरें लीं। उसने उस दिन रिकॉर्ड की गई अश्लील वीडिओ का इस्तेमाल उसे आगे यौन संबंधों के लिए ब्लैकमेल करने के लिए किया।

जब भी पीड़िता विरोध करती तो वह फोटो और वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी देता था। जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो उसने उस पर गर्भपात कराने के लिए दबाव डाला। 5 मई 2023 को, उसने उसे गर्भपात की गोली खाने के लिए मजबूर किया और 11 मई को, अपने परिवार की सहायता से, वह उसे हाफिजगंज के एक नर्सिंग होम में ले गया, जहां पीड़िता का गर्भपात कराया गया।

पीड़िता की हालत तब और खराब हो गई जब वह जादौपुर स्थित उसके घर गई, जहां उसे पता चला कि उसका असली नाम मोहम्मद अलीम था और वह हिंदू नहीं था, जैसा कि उसने दावा किया था। अलीम के पिता साबिर सहित उसके परिवार ने पीड़िता पर इस्लाम अपनाने का दबाव डाला। उन्होंने उसके साथ मारपीट की और अलीम के खिलाफ कानूनी कारवाई करने पर जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि वह शादी पर विचार करने से पहले बच्चे का गर्भपात करा दे। अपनी जान के डर से पीड़िता ने घर छोड़ दिया और अंततः 27 मई 2023 को अलीम और उसके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

अदालती दस्तावेजों के मुताबिक पीड़िता मार्च 2023 में गर्भवती हो गई। उसने अप्रैल में अलीम को इस बारे में बताया और उसे घर ले जाने के लिए कहा, लेकिन उसने यह कहते हुए इनकार कर दिया, “मैं तुम्हें घर नहीं ले जाऊंगा, बच्चे से छुटकारा पाओ।” मई में वह डेवर्निया स्टेशन आया और उसे जबरन अवांछित गोलियां खिलाने की कोशिश की। जब उसने इनकार कर दिया तो उसने उसे स्टेशन पर पीटना शुरू कर दिया।

अभियोजन पक्ष के मामले को प्रमुख गवाहों की गवाही से समर्थन मिला। राजरानी होटल के मैनेजर ने गवाही दी कि पीड़िता जब भी आलिम के साथ होटल पहुंची तो परेशान दिखी। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पीड़िता हमेशा रजिस्टर से दूर खड़ी रहती थी, क्योंकि अलीम कमरा बुक करने के लिए आवश्यक जानकारी भरता था। दिलचस्प बात यही थी वो होटल के रजिस्टर में अपनी असली पहचान का इस्तेमाल किया करता था। इससे पीड़िता के आरोपों का समर्थन हुआ कि वह बहुत सयम तक अलीम की असली पहचान से अनजान थी। जांच अधिकारियों सहित अन्य गवाहों ने पीड़ित की घटनाओं की समय-सीमा की पुष्टि की, जिससे अलीम के खिलाफ मामला मजबूत हो गया।

यह भी पढ़ें:

सुशील कुमार शिंदे की आत्मकथा में सावरकर की तारीफ, कांग्रेस को अपनी विचारधारा सुधारने की सलाह​!

राहुल गांधी को पसंद आयी हरियाणा की जलेबी!

Tirupati Rule: डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने की बेटी सहित तिरुपति के दर्शन !

मोहम्मद अलीम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एन), 323, 504 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया है। अलीम के पिता साबिर को भी पीड़िता का अपमान करने और धमकी देने के लिए धारा 504 के तहत दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने ऐसी गतिविधियों की आलोचना करते हुए “लव जिहाद” के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया।

दुर्भाग्य से वामपंथी-उदारवादी, इस्लामवादी अक्सर दावा करते हैं कि “लव जिहाद” की धारणा हिंदू संगठनों की कल्पना है और भारत में ऐसी कोई घटना नहीं होती है। हालाँकि, इस मामले में फैसले ने साबित कर दिया कि “लव जिहाद” की घटनाएं बहुत वास्तविक हैं, ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों और न्यायपालिका से तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां पैदा करने के प्रयासों में योगदान देती हैं, जहां जबरदस्ती के माध्यम से अवैध धार्मिक रूपांतरण बड़े पैमाने पर होते हैं। अपने विस्तृत फैसले में, अदालत ने मामले को स्पष्ट रूप से “लव जिहाद” का उदाहरण करार दिया। अदालत ने कहा कि आलिम ने पीड़िता को झूठे बहाने से रिश्ते में फंसाने के लिए खुद को हिंदू बताया। अदालत ने आगे कहा कि आलिम की हरकतें, धोखे से पीड़िता को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना और बाद में उस पर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डालना, एक बड़ी और परेशान करने वाली प्रवृत्ति का हिस्सा है।

Exit mobile version