बाहुबली नेता आनंद मोहन रिहा, डीएम की हत्या मामले में काट रहे थे उम्रकैद

पटना हाईकोर्ट में रिहाई के खिलाफ PIL दाखिल।

बाहुबली नेता आनंद मोहन रिहा, डीएम की हत्या मामले में काट रहे थे उम्रकैद

बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह अंतिम तौर पर आज जेल-मुक्त हो गए। उन्हें सहरसा जेल से गुरुवार सुबह 6:15 बजे रिहा कर दिया गया। जेल प्रशासन के अनुसार कागजी प्रक्रिया बुधवार रात तक पूरी हो गई। वहीं समर्थकों की भीड़ और विधि व्यवस्था को देखते हुए आनंद मोहन को तड़के सुबह ही रिहा किया गया।

बता दें कि साल 1994 में भारतीय प्रशासिनक सेवा (आईएएस) अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की मॉब लिंचिंग कराने के लिए आनंद मोहन को दोषी करार दिया गया था। वहीं दिवंगत आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी इस रिहाई पर दु:ख जता चुकी हैं। रिहाई के एक दिन पहले पटना हाईकोर्ट में इसके खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दायर हुई है।

वहीं आनंद मोहन की रिहाई पर डीएम जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने नाराजगी जताई है। उन्होंने हैदराबाद में कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।

आनंद मोहन के साथ कुल 27 को छोड़ने का ऐलान हुआ था। इनमें से एक की मौत पहले ही हो चुकी है। शेष 26 को छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई और आनंद मोहन के पहले ही बहुत सारे छूट भी गए। कुछ तकनीकी कारणों से अभी रिहा नहीं हो सके हैं या उनकी रिहाई में वक्त भी लग सकता है। इन 27 में 8 यादव, 5 मुस्लिम, 4 राजपूत, 3 भूमिहार, 2 कोयरी, एक कुर्मी, एक गंगोता और एक नोनिया जाति से हैं। जातीय जनगणना की प्रक्रिया के बीच इनकी जातियों की को लेकर भी राजनीति में चर्चा है।

दररसल 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा। लेकिन 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।

कांग्रेस ने बिहार सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया है। वहीं, भाजपा सीधे तौर पर कुछ कहने से बचती नजर आ रही है। गिरिराज सिंह से लेकर अन्य नेताओं ने आनंद मोहन की रिहाई को सही बताया लेकिन अन्य कैदियों के छोड़े जाने पर आपत्ति जताई।

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