भारत के अंतरिक्ष अभियान की एक और उपलब्धि

ओशियन सैट सहित नौ उपग्रहों का प्रक्षेपण

भारत के अंतरिक्ष अभियान की एक और उपलब्धि

भारत के अंतरिक्ष अभियान के क्षेत्र में आज यानि 26 नवंबर को एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इसरो के वैज्ञानिक इसे अब तक के सबसे लंबे मिशन में से एक मान रहे हैं। इसमें रॉकेट दो कक्षाओं में उपग्रह ले जाएगा। श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ओशियन-सैट धरती से 742 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा जाएगा। इसके बाद रॉकेट पृथ्वी की ओर लाया जाएगा और 516 से 528 किमी ऊंचाई पर बाकी उपग्रह छोड़े जाएंगे। 

यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। 44.4 मीटर ऊंचे रॉकेट का यह पीएसएलवी-एक्सएल प्रारूप है, जिसमें 321 टन लिफ्ट ऑफ मास यानी खुद रॉकेट, बूस्टर, प्रोपेलेंट, उपग्रह व उपकरणों को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता है। रॉकेट की यह 24वीं उड़ान है।   

ये पीएसएलवी-सी54 प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले टू-ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) का उपयोग करके कक्षाओं को बदलने के लिए रॉकेट को शामिल करेगा। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को ऑर्बिट-1 में अलग किया जाएगा जबकि यात्री पेलोड को ऑर्बिट-2 में अलग किया जाएगा। ध्रुव स्पेस के अनुसार, दो शौकिया रेडियो संचार नैनो उपग्रहों का नाम थाइबोल्ट-1 और थायबोल्ट-2 रखा गया है, और ये कंपनी के थायबोल्ट मिशन का हिस्सा हैं। 

ये भी देखें 

पटोला रेशम का पुराना इतिहास, साल्वे परिवार ने 900 साल पुरानी विरासत को जिंदा रखा

Exit mobile version