संसद हमले के आरोपी अमोल शिंदे की कानूनी लड़ाई लड़ेंगे असीम सरोदे !

असीम सरोदे ने कहा, अमोल शिंदे और उनके साथियों का इरादा आपराधिक प्रकृति का नहीं था| उनका मानना था कि बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। बेशक, युवाओं का आंदोलन समर्थन योग्य नहीं है।

संसद हमले के आरोपी अमोल शिंदे की कानूनी लड़ाई लड़ेंगे असीम सरोदे !

Aseem Sarode will fight the legal battle of Parliament attack accused Amol Shinde!

बुधवार को जब लोकसभा की कार्यवाही चल रही थी तो कुछ युवाओं ने संसद के अंदर और संसद के बाहर भी हंगामा किया| इनमें से एक युवक लातूर के चचूर तालुक के झरी गांव का रहने वाला है| युवक का नाम अमोल शिंदे है| अमोल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। वकील असीम सरोदे अमोल शिंदे का कानूनी पक्ष लड़ेंगे।असीम सरोदे ने कहा, अमोल शिंदे और उनके साथियों का इरादा आपराधिक प्रकृति का नहीं था| उनका मानना था कि बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। बेशक, युवाओं का आंदोलन समर्थन योग्य नहीं है।

“युवाओं का लक्ष्य सरकार को जगाना है”: युवा संसद में घुसते हैं और धुएं के ढेर तोड़ते हैं। यह आंदोलन का कोई तरीका नहीं हो सकता| लेकिन, उनका मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि सरकार को जगाना था| असीम सरोद ने कहा कि यदि युवा उस उद्देश्य के लिए संसद में गए, तो अपराधीकरण प्रक्रिया का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

“युवाओं को सज़ा देना संयुक्त नहीं है”: प्रशासन के प्रति जनता का असंतोष गहराता जा रहा है। सरकार को इन लोगों से चर्चा करनी चाहिए| लोकतंत्र में सरकार के लिए व्यापकता दिखाना जरूरी है| सरकार को ‘माई फादर’ कहा जाता है। अगर आपके परिवार में बच्चा गुस्से से प्रेरित है तो उसके गुस्से को शांत करना जरूरी है। असीम सरोदे ने कहा कि उन्हें सजा देना संयुक्त नहीं है|

“युवाओं को सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन…”: युवाओं पर यूएपीए जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं| यह अपराधीकरण है, लेकिन सरकार को ये कदम नहीं उठाना चाहिए| युवक को सजा मिलनी चाहिए| लेकिन, सरकार को युवाओं की समस्याओं को समझकर काम करना चाहिए| अगर 4 के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई तो अन्य युवक दंगा करेंगे। असीम सरोदे ने कहा कि भारत में बेरोजगारी फैलने की आशंका है|

“संसद हर किसी की पहचान का मामला है”: अमोल पर पुलिस द्वारा लगाई गई धाराएं सही हैं या ग़लत? क्या यह कानूनी ढांचे में फिट बैठता है? इस पर आपत्ति उठानी चाहिए| हम कोर्ट में अमोल को जमानत दिलाने की कोशिश करेंगे| क्योंकि, संसद हम सभी की पहचान का बिंदु है। किसी का वहां जाकर गड़बड़ी करना स्वीकार्य नहीं है| हालांकि, असीम सरोद ने मांग की है कि सरकार को उद्देश्य समझे बिना सख्त कानून बनाकर युवाओं को अपराधी नहीं बनाना चाहिए|
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