बांग्लादेश: जान के बाद अब हिंदुओं की नौकरियां भी खतरे में

बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई ऐक्य परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने कहा कि हम अच्छी स्थिति में नहीं हैं और हमारी चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के सदस्यों को सरकारी कार्यालयों, कॉलेजों और स्थानीय निकायों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

बांग्लादेश: जान के बाद अब हिंदुओं की नौकरियां भी खतरे में

Bangladesh: Along with lives, jobs of Hindus are also in danger

बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री हसीना शेख के देश छोड़ने के बाद, अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ व्यापक हिंसा हुई। इन हमलों में कई हिंदुओं की जान चली गई। हालाँकि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत पिछले सप्ताह में हिंदू घरों और मंदिरों पर हमलों में काफी कमी आई है, लेकिन कुछ जगहों से अभी भी हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं।दरम्यान बांग्लादेशी मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं की सरकारी नौकरियों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदुओ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिस वजह से हिंदू समाज चिंतित है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी 8 फीसदी है।

5 अगस्त से शुरू हुई हिंसा में हिंदुओं को निशाना बनाया गया है और उनके घर और मंदिर तोड़ दिए गए हैं। हिंदुओं के घरों में घुसकर तोड़फोड़ करने, सोना और आभूषण चुराने और उन्हें पीटने के मामले बड़ी संख्या में सामने आए। कई हिंदू भी मारे गए।  दिनाजपूरमध्ये हिंदूंच्या मालकीच्या सुमारे ४० दुकानांची तोडफोड करण्यात आली। अजूनही काही ठिकाणी हिंदूंवर हल्ले होत असल्याची माहिती आहे। काही हिंदूंवर हसीना शेख यांच्या आवामी लीग पक्षाशी संबंध असल्याने त्यांच्यावर हल्ले होत असल्याचीही माहिती समोर आली आहे।

बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई ऐक्य परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने कहा कि हम अच्छी स्थिति में नहीं हैं और हमारी चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के सदस्यों को सरकारी कार्यालयों, कॉलेजों और स्थानीय निकायों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जबरन इस्तीफे की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई है और कुछ जगहों पर स्कूलों, विश्वविद्यालयों और नगर पालिकाओं में अभी भी चल रही है।

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