बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ लगातार बढ़ते हमलों के बीच एक और दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। रंगपुर में 1971 के मुक्तियुद्धा (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी) जोगेश चंद्र राय (75) और उनकी पत्नी सुर्बना राय (60) की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई। रविवार सुबह (7 दिसंबर) उनके घर से दोनों के शव बरामद हुए, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय में भय और गुस्से का माहौल गहरा गया है। यूनुस सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही चिंता बढ़ी हुई है।
मंगलवार (9 दिसंबर) को दोनों को राजकीय सम्मान दिया गया। पोस्टमार्टम के बाद जब दोपहर करीब साढ़े तीन बजे शव गांव रहीमापुर खियारपाड़ा लाए गए, तो सैकड़ों ग्रामीण अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। इसके एक घंटे बाद जोगेश चंद्र राय को चकला स्मशान घाट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उसी स्थान पर, जिसे उन्होंने कभी गांव को दान किया था।
अधिकारी, राजनेता, पुलिस अधिकारी और कई मुक्तियुद्धा अंतिम संस्कार में मौजूद रहे। परिवार और ग्रामीणों के रोने की आवाज़ें पूरे इलाके में गूंजती रहीं।
दंपती के बड़े बेटे शोवेन चंद्र राय ने तारागंज पुलिस स्टेशन में 10–15 अज्ञात आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। परिवार और स्थानीय लोगों के अनुसार, दंपती गांव में अकेले रह रहे थे। जोगेश चंद्र राय 2017 में उत्तर रहीमापुर नयहाट मुक्तियुद्धा सरकारी प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर पद से रिटायर हुए थे।
उनके बड़े बेटे RAB (रैपिड एक्शन बटालियन) में जयपुरहाट में तैनात हैं, जबकि छोटे बेटे, राजेश खन्ना, ढाका में बांग्लादेश पुलिस में सेवा दे रहे हैं। कई पुलिस टीमें जांच में लगी हुई हैं, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब भारत लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों का मुद्दा उठा रहा है।
अगस्त 2025 में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद में बताया था कि भारत ने ढाका के सामने हजारों मामलों को लेकर चिंता जताई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021 से अब तक बांग्लादेश में 3,582 मामलों में हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया गया है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से कहा है कि वह अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
1971 के युद्ध में देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाले जोगेश चंद्र राय और उनकी पत्नी की नृशंस हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा कब सुनिश्चित होगी। अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पहले से ही चिंता का विषय है, और यह घटना इस डर को और गहरा करती है। रंगपुर की इस दोहरी हत्या ने देशभर में आक्रोश फैलाया है और हिंदू समुदाय में सुरक्षा को लेकर नए सिरे से सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह भी पढ़ें:
सुप्रीम कोर्ट ने 1996 ड्रग प्लांटिंग केस में संजीव भट्ट की याचिका खारिज की, कापिल सिब्बल ने की पैरवी
11 महीने बाद दिखीं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मचाडो, क्या ये वेनेजुएला में बदलाव की शुरुआत?
ममता बनर्जी का भड़काऊ बयान: SIR के बहाने महिलाओं को उकसाया—“आपके पास किचन के औज़ार हैं”



