बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों को लेकर एक और हिंसक घटना सामने आई है। देश के मायमनसिंह ज़िले में गुरुवार(18 दिसंबर) की रात ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक को इस्लामी भीड़ ने जंगलियों की तरह पीट-पीटकर मार डाला। जुलाई 2024 में बांग्लादेश में इस्लामी विद्रोह खड़ा करने वाले नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में आग लगी है, जिसके बीच हिंदू अल्पसंख्यंकों को निशाना बनाया जा रहा है।
Bangladesh’s mindless Gen Z terrorists doing what their Islamist radical masters have ordered them to: murder minorities, burn newspaper offices, destroy Bengali arts & culture centres. pic.twitter.com/0h62mtadaY
— Shiv Aroor (@ShivAroor) December 19, 2025
मृतक की पहचान दीपु चंद्र दास के रूप में हुई है। वह एक कारखाने का आम कर्मचारी था और भालुका उपज़िला के दुबलिया पाड़ा इलाके में किराए पर रह रहा था। पुलिस के अनुसार, स्थानीय लोगों के एक समूह ने उस पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया। इसके बाद रात करीब 9 बजे उस पर हमला कर दिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने दीपु चंद्र दास को बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद उसके शव को एक पेड़ से बांध कर आग के हवाले कर दिया गया।
Dipu Chandra Das was lynched to de@th by Islamists over allegations of blasphemy. This is the situation of Hindu minorities in Bangladesh pic.twitter.com/lbIe6xw5v9
— Nischay (@nischaysays) December 19, 2025
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मायमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है। अब तक इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। पुलिस का कहना है कि मृतक के परिजनों की पहचान और उनसे संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। अधिकारियों ने यह भी कहा है कि औपचारिक शिकायत दर्ज होने के बाद कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
दौरान बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने तीखे शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने कहा, “एक जिहादी की मौत पर, बांग्लादेश भर में लाखों जिहादी उत्पात मचाने लगे। जो कुछ भी उन्हें मिला, उन्होंने उसे तोड़-फोड़ दिया। उन्होंने हर चीज़ को आग लगा दी और राख कर दिया। जिहादियों ने भालुका के एक युवक, दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला, फिर उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया। नहीं—किसी को दुख नहीं हुआ, किसी के हाथ नहीं कांपे, किसी का दिल नहीं रोया। “नाराए तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे लगाते हुए वे उन्माद में झूम उठे। जिहादिस्तान का असली चेहरा यही है।”
बांग्लादेश पहले से ही राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। गुरुवार को इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन, तोड़फोड़ और हिंदू अल्पसंख्यांको पर सांप्रदायिक हमलों की घटनाएं सामने आई हैं। भारतविरोधी हादी की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई, जिसके बाद हादी के समर्थकों और अन्य कट्टरपंथी समूहों ने कई शहरों में दंगे शुरू किए है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक संगठनों ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और आरोप लगाया है कि ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल कर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
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