उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर पुलिस ने जाली बिल्स के जरिए जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। आरोपियों ने करीब 925 करोड़ के फर्जी बिल काटकर 135 करोड़ की जीएसटी चोरी को अंजाम देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुजफ्फरनगर में साइबरक्राइम विभाग ने मास्टरमाइंड तस्लीम समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
प्रेस कॉन्फरन्स के जरिए पुलिस ने बताया की, रतनपुरी थाने में 248 करोड़ रुपए के जीएसटी चोरी का मामला दर्ज हुआ था। वहीं साइबर क्राइम की टीम ने मामलें में जांच पड़ताल शुरू की। मंगलवार(24 सितंबर) को जांच टीम ने जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सात लोगों को गिरफ्तार किया, तो एक फरार बताया जा रहा है। आरोपियों के नाम तसलीम, जुनैद, आस मोहम्मद, सेठी, आसिफ, मोइन, अजीम और वहादत है, जिनमें वहादत को फरार कहा गया है।
यह गिरोह लोगों को काम दिलवाने के झांसा देकर उनके पहचान पत्र (आधारकार्ड, पैनकार्ड, लाइटबिल, वोटर आईडी) जमा करता था। इन्हीं पहचानपत्रों के सहारे नए फर्जी केवाईसी की जाती इसी के जरिए जीएसटी फर्म पंजीकृत होती। अलग-अलग शहरों से बिना जीएसटी नंबर बिना काम करने वाले कबाड़ियों को ढूंढकर उन्हें अपना बिल देकर जीएसटी चोरी की जाती थी।आरोपों के अनुसार गिरोह पिछले पांच साल में 48 कंपनियां बनाकर 925 करोड़ के जाली बिलों के सहारे 135 करोड़ के जीएसटी की चोरी को अंजाम दे चूका है। साथ ही जीएसटी चोरी के पैसे का कमीशन हवाला के जरिए जमा करने का खुलासा हुआ है।
गिरफ्तार आरोपियों से 8 मोबाईल, 20 सिम कार्ड, 2 पैन कार्ड, 5 आधारकार्ड और करोड़ों रूपए के फर्जी बिलों आदान प्रदान के स्क्रीनशॉट बरामद किए गए है। पुलिस के अनुसार गिरोह दिसंबर 2023 से सितंबर तक 1 करोड़ 90 लाख रुपए हवाला के जरिए ले चूका है।
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तस्लीम ने बताया की उसने जीएसटी चोरी का काम दिल्ली में अपने गुरु साबिर मालिक से सीखा है। आपको बता दें, इस प्रकार के जीएसटी चोरी करने वालों का तार देश भर में फैला है। जीएसटी चोरी के लिए लगने वाले बिलों को ऐसे गिरोह सप्लाई करते है। दिल्ली में जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह के खुलासे के बाद दिल्ली और नोएडा पुलिस से संपर्क किया गया है। दरम्यान आरोपियों के बाइक खातों को खंगाला जा रहा है।