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Tuesday, December 30, 2025
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BOB का चांद…!

बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ के रूप में देबदत्त चांद ने डिजिटलीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। आज के तेज़ रफ्तार युग में तकनीक का उपयोग ज़रूरी है, और उसका प्रभावी उपयोग कैसे करना है| इसकी उन्हें गहरी समझ है।

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हाल ही में एक काम के सिलसिले में मेरी मुलाकात बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ श्री देबदत्त चांद से हुई। कुछ ही समय में उन्होंने वह काम इतनी सहजता से पूरा कर दिया कि मैं चकित रह गया। ऐसा अनुभव मुझे अब तक बहुत ही कम लोगों से हुआ है।

इसके बाद दो-तीन कार्यक्रमों में हमारी फिर मुलाकात हुई। कल बैंक ऑफ बड़ौदा का 118 वां स्थापना दिवस है। इस अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मुझे आज बैंक से फोन आया – “आप ज़रूर आइए” – यह आग्रह विशेष रूप से किया गया। इसी बहाने मुझे एक बार फिर बैंक ऑफ बड़ौदा के युवा, ऊर्जावान और दूरदर्शी सीईओ देबदत्त चांद से हुई, मेरी पहली मुलाकात की याद ताज़ा हो गई।

चाहे बैंकिंग हो या कोई और क्षेत्र “नेतृत्व और दूरदृष्टि ये दो गुण सफलता के लिए अनिवार्य होते हैं। देबदत्त चांद ने समय-समय पर अपने नेतृत्व की झलक दिखाई है। उनके नेतृत्व में बैंक ऑफ बड़ौदा लगातार नई ऊँचाइयों को छू रहा है।”

बैंकिंग क्षेत्र में अनुभव

देबदत्त चांद का बैंकिंग क्षेत्र में लंबा अनुभव है। उन्होंने 1994 में अपने करियर की शुरुआत की, और तब से अब तक कई प्रमुख बैंकों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
उन्हें कॉरपोरेट बैंकिंग, रिटेल बैंकिंग, इंटरनेशनल बैंकिंग और ट्रेज़री ऑपरेशन्स जैसे क्षेत्रों का गहरा अनुभव है। यह व्यापक अनुभव उन्हें बैंक के रणनीतिक निर्णयों और विकास योजनाओं में अनमोल योगदान देने में योग्य बनाता है।

डिजिटल बैंकिंग में नेतृत्व

बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ के रूप में देबदत्त चांद ने डिजिटलीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। आज के तेज़ रफ्तार युग में तकनीक का उपयोग ज़रूरी है, और उसका प्रभावी उपयोग कैसे करना है| इसकी उन्हें गहरी समझ है।

भारत में बैंकों की संख्या बहुत अधिक है – खासकर प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर में – ऐसे में प्रतिस्पर्धा तीव्र है। यदि किसी बैंक को तेज़ी से आगे बढ़ना है, तो ग्राहक को केंद्र में रखना ही होगा। देबदत्त चांद ग्राहकों को सहज, सरल और आधुनिक डिजिटल सेवाएं देने के पक्षधर हैं। इससे ग्राहक का अनुभव सुधरता है और बैंक की दक्षता भी बढ़ती है।

ग्रामीण विस्तार और वित्तीय समावेशन

उनके नेतृत्व में बैंक ऑफ बड़ौदा ने वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं।
शहरी क्षेत्रों में तो बैंकिंग सेवाएं काफी हद तक फैली हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत अवसर मौजूद हैं।
देबदत्त जी का लक्ष्य है कि ग्रामीण नागरिकों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ कर उन्हें आर्थिक प्रवाह में लाया जाए। इससे बैंक का भी विस्तार होता है और ग्रामीण भारत को नई दिशा मिलती है।

कर्ज वितरण में पारदर्शिता और एमएसएमई को समर्थन

किसी भी बैंक का मुनाफा मुख्यतः कर्ज वितरण पर आधारित होता है।
चाहे आम नागरिक हों या व्यवसायी – वित्तीय मदद की ज़रूरत हर किसी को होती है।
देबदत्त चांद ने कर्ज वितरण की प्रक्रिया को अधिक सरल और तेज़ बनाने पर ज़ोर दिया है।

उन्हें यह भलीभाँति ज्ञात है कि एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को सशक्त करना भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।
इसी सोच के तहत उन्होंने छोटे और मझोले व्यवसायों को प्रोत्साहन देने की नीति को आगे बढ़ाया है।
उनका ध्यान न केवल उपलब्ध अवसरों को पकड़ने पर है, बल्कि नई व्यावसायिक संभावनाएं खोजने पर भी है।

दूरदृष्टा नेता और सशक्त प्रशासक

देबदत्त चांद सिर्फ एक कुशल प्रशासक नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी हैं।
भविष्य में बैंकिंग किस दिशा में जाएगी – यह पहचान कर उसी अनुरूप नीतियां बनाना और बैंक को उस दिशा में ले जाना – यही उनकी असली विशेषता है।

उनके नेतृत्व में बैंक ऑफ बड़ौदा एक अधिक मजबूत, स्थिर और ग्राहक-केंद्रित संस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उनका नेतृत्व आने वाले वर्षों में बैंक को नए मुकाम तक पहुंचाएगा – इसमें कोई संदेह नहीं।

मैं खुद एक ग्राहक होने के नाते, देबदत्त चांद और बैंक ऑफ बड़ौदा को उनके प्रेरणादायी नेतृत्व और शानदार भविष्य की शुभकामनाएं देता हूँ।

लेखक: प्रशांत कारुलकर
(उद्योगपति, सामाजिक चिंतक एवं विश्लेषक)

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