यह पिछले कुछ हफ्तों में हुई तीसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले 26 सितंबर को इसी नदी के हिस्से से 186 सागौन के लट्ठे जब्त किए गए थे, जबकि 21 सितंबर को 46 लकड़ी के लट्ठों को बरामद किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि यह लगातार हो रही कार्रवाई दर्शाती है कि तस्कर अब नदी के रास्तों का अधिकाधिक उपयोग कर कीमती लकड़ी को सीमा पार ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस क्षेत्र में अवैध लकड़ी की तस्करी पर चिंता जताई जा रही है। मिजोरम में भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाएं काफी खस्ताहाल और कमजोर हैं, जिनका फायदा तस्कर उठा रहे हैं। तस्करी के नेटवर्क सीमा पार से संचालित हैं, जो स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लकड़ी के अवैध व्यापार को बढ़ावा देते हैं।
बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सीमा पर कड़ी निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि अवैध गतिविधि रोकी जा सके। उन्होंने जनता से भी अपील की है कि यदि वे किसी संदिग्ध गतिविधि को देखें तो तत्काल सूचित करें, जिससे तस्करों की योजना नाकाम हो सके।
यह जब्ती न केवल मिजोरम में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन संपदा की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि वे सीमा क्षेत्रों में गश्त और चौकसी और तेज करेंगे ताकि भविष्य में इस तरह की तस्करी को पूरी तरह रोका जा सके।
मिजोरम के लुन्गले जिले में यह घटना स्थानीय लोगों और अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि यह क्षेत्र जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। अवैध लकड़ी की तस्करी न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका भी प्रभावित होती है।
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