भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया। इसकी लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर की गई। करीब 42 दिनों की यात्रा करने के बाद 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिण हिस्से पर लैंड करेगा। वहीं अगर चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल होती है तो भारत इन तीन अन्य देशों- अमेरिका, सोवियत संघ (रूस) और चीन की सूची में शामिल हो जाएगा।
चंद्रयान-2 की तुलना में चंद्रयान-3 में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं। सबसे ज्यादा ध्यान लैंडर की गति को कंट्रोल करने और सुरक्षित लैंडिंग पर दी गई है। जबकि चंद्रयान 2 जब चंद्रमा पर लैंड कर रहा था उस वक्त लैंडर की गति ज्यादा थी जिसकी वजह से वो बेकाबु हो गया होगा और सतह पर उसकी क्रैश लैंडिंग हुई होगी हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई तथ्यात्मक जानकारी सामने नहीं आई है।
चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य चांद की सतह पर उतरकर वहां की स्थितियों से जुड़ी जानकारी इसरो को उपलब्ध कराना है। जबकि रोवर चांद के दक्षिण हिस्से में क्या-क्या, कौन-कौन से खनिज मौजूद हैं, और पानी है या नहीं है। इसके साथ-साथ रोवर चंद्रमा की सतह पर और भी कई वैज्ञानिक परीक्षण करेगा और जानकारी इकट्ठा कर इसरो को उपलब्ध करवाएगा।
बता दें कि चंद्रयान-3 की लागत चंद्रयान-2 की तुलना में कम है। चंद्रयान-3 में कुल खर्च करीब 615 करोड़ रुपए आया है जबकि चंद्रयान-2 के लिए करीब 978 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि जब चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था तब यान के कुल तीन हिस्से थे- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। वहीं ऑर्बिटर अभी भी अपनी कक्षा में मौजूद है। ऐसे में इस बार ऑर्बिटर की पूरी लागत बच गई है।
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