Chhattisgarh: विस्फोटक आपूर्ति मामले में NIA ने दो माओवादियों पर कसा शिकंजा

Chhattisgarh: विस्फोटक आपूर्ति मामले में NIA ने दो माओवादियों पर कसा शिकंजा

Chhattisgarh: NIA tightens its grip on two Maoists in explosive supply case

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) को विस्फोटकों की आपूर्ति करने के मामले में दो आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। NIA ने यह आरोपपत्र जगदलपुर स्थित विशेष अदालत में पेश किया, जिसमें सुकमा जिले के पटनमपारा निवासी मंतोष मंडल और सेला नागार्जुन उर्फ एस नागार्जुन को आरोपी बनाया गया है। दोनों पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

सितंबर 2024 में सुकमा पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से बड़ी मात्रा में विस्फोटकों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जब्त की थी। बरामद सामान में पोटेशियम नाइट्रेट, यूरिया पाउडर, एल्यूमीनियम पाउडर, टिफिन बम, डेटोनेटर, माओवादी साहित्य, एक लैपटॉप, सिम कार्ड और मोबाइल फोन शामिल था। पुलिस के मुताबिक, यह खेप माओवादियों को सप्लाई की जानी थी, जिसे समय रहते पकड़ लिया गया।

जांच में यह भी सामने आया कि मंतोष मंडल और सेला नागार्जुन माओवादी संगठन के समर्थक और ओवर-ग्राउंड वर्कर (OGW) हैं, जो सीपीआई (माओवादी) के लिए ऑनलाइन विस्फोटक और अन्य जरूरी सामान की खरीद-फरोख्त में सक्रिय थे। सुरक्षा एजेंसियों ने यह भी पाया कि इनके पास मौजूद विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल सुकमा जिले के जगरगुंडा इलाके में सुरक्षाबलों के खिलाफ आईईडी विस्फोट करने के लिए किया जाना था। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे 2020 से पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन नंबर 1 को बारूद, विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर, वॉकी-टॉकी और राशन सप्लाई कर रहे थे। पीएलजीए, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा है, जो सुरक्षाबलों के खिलाफ हमलों में शामिल रही है।

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इस मामले में पहली बार 25 सितंबर 2024 को सुकमा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में, 23 दिसंबर 2024 को एनआईए ने इस केस को टेकओवर किया और जांच शुरू की। एनआईए का मानना है कि यह कार्रवाई माओवादियों के लिए फंडिंग और सप्लाई नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक अहम कदम है। जांच एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नेटवर्क से और कौन-कौन जुड़े हैं और क्या इसमें बाहरी मदद शामिल थी। मामले की जांच अभी जारी है।

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