अयोध्या मंदिर में रामलला को विराजमान करने के समारोह में भाग लेने वाले 121 वैदिक ब्राह्मणों का नेतृत्व करने वाले मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का आज सुबह निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे|आखिरकार आज सुबह उनका निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। यह खबर सुनते ही पूरे देश में शोक फैल गया। वह पिछले कई सालों से बिस्तर पर थे। उन्होंने वाराणसी में अंतिम सांस ली|कई लोगों ने दीक्षित की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया।
जनवरी महीने में अयोध्या में राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा पूजा में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने अहम भूमिका निभाई थी| उनके नेतृत्व में सभी पूजाएं संपन्न हुईं। इस पूजा में उनके बेटे और परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए| उन्होंने दिसंबर 2021 में काशी विश्वनाथ धाम की उद्घाटन पूजा में भी हिस्सा लिया था|
महाराष्ट्र से खास रिश्ता: लक्ष्मीकांत दीक्षित की तबीयत आज सुबह बिगड़ गई और उन्होंने वाराणसी में अंतिम सांस ली, उनके परिवार ने जानकारी दी। वह पूजा की हर विधा में पारंगत थे। उनके चचेरे भाई गणेश दीक्षित भट्ट ने उन्हें वेदों और कर्मकांडों की दीक्षा दी थी। लक्ष्मीकांत दीक्षित का महाराष्ट्र से गहरा रिश्ता है। कहा जाता है कि दीक्षित के पूर्वजों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक में भी भाग लिया था। उनके निधन के बाद कई लोगों ने श्रद्धांजलि दी है|
पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन की खबर के बाद सनातन परंपरा को मानने वाले लोग शोक में हैं| इस खबर के बाद प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक और राम मंदिर के अभिषेक का समय तय करने वाले गणेश शास्त्री द्रविड़ ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की|
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