चाइना की नई रडार तकनीक; एक साथ बीस मिसाइल को करेगी डिटेक्ट !

आवाज की रफ़्तार से 20 गुना से चलने वाली दस मिसाइल अर्थात दस हायपरसॉनिक मिसाइल्स को एक साथ डिटेक्ट कर सकती है।

चाइना की नई रडार तकनीक; एक साथ बीस मिसाइल को करेगी डिटेक्ट !

China's new radar technology; Will detect twenty missiles simultaneously!

चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है की उन्होंने ऐसी नई रडार तकनीक इजात की है, जो की हायपरसॉनिक मिसाइल को भी मात दे सकती है। हांगकांग स्थित साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस रडार की प्राथमिक जानकारी को उपलब्ध कराया है। चीनी वैज्ञनिकों का कहना है कि उनकी नई रडार तकनिक आवाज की रफ़्तार से 20 गुना से चलने वाली दस मिसाइल अर्थात दस हायपरसॉनिक मिसाइल्स को एक साथ डिटेक्ट कर सकती है। यही नहीं ये रडार किसी भी फॉल्स मिसाइल को पहचान सकती है।

शिंघुआ यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के प्रोफेसर झेंग शियोपिंग ने इस रडार को बनाने में नेतृत्व निभाया है। उन्होंने रडार की जमीनी सिम्युलेशन के टेस्ट के बारे में कहा, की टेस्ट के दौरान नए रडार ने सात किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से जाने वाली मिसलिल की स्पीड का सटीक अंदाज़ा लगाने में वह 99.70 प्रतिशत सफल रहा, जबकि मिसाईल की दूरी को बताते हुए कहा इसमें मात्र 28 सेंटीमीटर का फर्क था। झेंग का कहना है की यह असंभव लगने वाला कारनामा हमने संभव कर दिखाया है।

आपकों बता दें की यह मात्र जमीनी स्टिमुलेशन था, अर्थात यह रडार तकनीक अब तक पूरी तरह से डेवलप नहीं हुई। दूसरी ओर विशेषज्ञों ने कहा है की इतनी तेजी से कोई रडार काम करें इसलिए रडार संकेतों को उत्पन्न करने या संकेतों का विश्लेषण करने के लिए सूचना प्रवाहीत करने वाले इलेक्ट्रॉन्स को अधिक गति से प्राप्त करना होगा और यदि ऐसा होता भी है तो इलेक्ट्रॉन की उच्च गति रडार के सर्किट्स को जला सकती है।
इस पर झेंग ने बताया की इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए हमने इस तकनीक में लेजर का इस्तेमाल किया है, जिस वजह से सूचना का संचारण प्रकाश की गति से मैच कर गया। इस गति के साथ जटिल से जटिल माइक्रोवेव संकेतों को उत्पन्न करना और उनका विश्लेषण करना संभव हो पाया है। जिस वजह से यह रडार अल्ट्रा हाई स्पीड से गुजरने वाले वस्तुओं को सटीकता से माप सकता है।

झेंग का दावा है की यह नया माइक्रोवेव फ़ोटोनिक रडार 600 किलोमीटर से अधिक सीमा को संरक्षित करता है। यह फोटोनिक रडार छोटा और हल्का होने के कारण इसे वायु-रक्षा मिसाइल और विमानों में लगाया जा सकता है।

यह भी पढ़े-

पीएम मोदी ने उठाया मुद्दा तो पुतिन ने रूसी सेना में फंसे भारतीयों को लेकर किया बड़ा ऐलान!

Exit mobile version