एशिया और यूरोप में अपना दबदबा बनाने की कोशिशों के बीच चीन ने कनाडा के चुनावों में भी दखल दे दिया। आरोप हैं कि चीन ने कनाडा के विवादित प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को चुनाव में जीत दिलाने में मदद की थी। माना जाता है कि इन प्रयासों से आम चुनाव के परिणाम नहीं बदले हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोपों को लेकर राष्ट्रीय सार्वजनिक जांच शुरू करने का दबाव बढ़ गया है।
बीबीसी ने कनाडा की मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि चीन ने कनाडा में 2019 और 2021 में हुए दो संघीय चुनाव में दखल दिया था। इसमें प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जीत दिलाने में मदद की गई थी। वहीं प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने ताजा बयान में यह कहा है कि चीन ने कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप करने का प्रयास तो किया था, लेकिन उसके प्रयासों ने परिणाम नहीं बदला।
वहीं, कनाडाई चुनावों में दखल देने के बयान पर चीनी अधिकारियों ने कहा कि चुनाव में दखल के आरोप निराधार और अपमानजनक हैं। हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता किन गांग ने कहा कि बीजिंग इसका पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने कहा, ‘कनाडा के पक्ष को व्यवहारिक कदम उठाना चाहिए ताकि कनाडा के राजनयिक मिशनों का काम सामान्य रूप से चलता रहे। साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्ते में हस्तक्षेप के अफवाहों और अटकलों को रोकने के लिए भी कदम उठाना चाहिए।
इसके बाद कनाडाई संसदीय समिति ने राष्ट्रीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की सार्वजनिक जांच के लिए बड़ा कदम उठाया है। खास बात यह है कि इस कदम का हाउस ऑफ कॉमन्स प्रोसीजर एंड हाउस अफेयर्स स्टैंडिंग कमेटी के विपक्षी सांसदों ने समर्थन किया है, जबकि लिबरल पार्टी के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। बता दें कि जस्टिन ट्रूडो अपनी नीतियों को लेकर अक्सर विवादों में रहते हैं। किसानों का मामला हो या खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने का मामला, ट्रूडो अपने भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं।
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