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Sunday, July 7, 2024
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जलवायु परिवर्तन: इरशालवाड़ी की आपदाओं, बादल फटने, भूकंप से हड़कंप मचा रहा साल 2023!

जहाँ वर्ष समाप्त होने वाला था वहाँ वास्तव में क्या हुआ? और कौन सी घटनाएँ घावों को ताजा रखती हैं? जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया को कई घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी उनमें से एक हैं।

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पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के लिए कई प्राकृतिक आपदाओं को भी जिम्मेदार बताया गया है। जहाँ वर्ष समाप्त होने वाला था वहाँ वास्तव में क्या हुआ? और कौन सी घटनाएँ घावों को ताजा रखती हैं? जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया को कई घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी उनमें से एक हैं।

प्राकृतिक आपदाएं एवं घटनाएँ इरशालवाड़ी आपदा के बाद पूरी दुनिया का ध्यान सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला में होने वाली दरार आपदा की ओर गया। 19 जुलाई की देर रात रायगढ़ जिले के खालापुर तालुका में इरशालगढ़ की तलहटी में इरशालवाड़ी में भूस्खलन हुआ, जिसमें पूरा गांव खत्म हो गया| 228 की आबादी वाले इस गांव के केवल 142 लोग बच गए।हादसे में 29 लोगों की मौत हो गई| चौथे दिन काम रोक दिया गया क्योंकि भारी बारिश के कारण शव निकालने में दिक्कत आ रही थी। उस वक्त गांव के 57 लोग लापता थे|

सीरिया में लगभग 9,000 लोग मरे: इस साल की सबसे विनाशकारी घटना तुर्की और सीरिया में आया भूकंप था| 6 फरवरी को रिक्टर पैमाने पर 7.8 और 7.5 तीव्रता के दो भूकंपों ने तुर्की और सीरिया को हिलाकर रख दिया था। भूकंप के कारण तुर्की में 50,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। सीरिया में करीब 9,000 लोगों की मौत हुई| इस त्रासदी के बाद दोनों देशों को दुनिया भर से मदद का सिलसिला देखने को मिला।
2023 सबसे गर्म वर्ष: 2023 में जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार चरम मौसम की घटनाएं देखी गईं। दक्षिण-पूर्व अफ़्रीका और दक्षिण एशिया में चक्रवात आए, दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका में रिकॉर्ड उच्च तापमान हुआ, और उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में घातक जंगल की आग लगी। लगातार हो रही इन घटनाओं के कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ गया है और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है कि वर्ष 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा।
हिमाचल में हादसे में 66 लोगों की मौत: उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन के कारण कई घरों में दरारें देखी गईं। हिमालय पर्वत श्रृंखला में हलचल और उसका असर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में देखा गया| उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में पर्यटकों का भारी बोझ देखने को मिल रहा है। बरसात के मौसम में कम समय में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं हुईं।
उत्तरकाशी में फंसे 41 मजदूर: दिवाली की सुबह करीब 5.30 बजे उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्कीरा-डंडलगांव सुरंग का एक हिस्सा भूस्खलन के बाद ढह गया| एक हादसा हुआ जिसमें 57 मीटर के ढेर के नीचे 41 मजदूर फंस गए| करीब 400 घंटे तक चले इस रेस्क्यू मिशन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बार 12 मीटर का हिस्सा जो सबसे कठिन हिस्सा है, उसकी खुदाई रैट होल खनिकों द्वारा की गई और इन सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
सिक्किम में बादल फटना: सिक्किम में भारी बारिश और बादल फटने के कारण 4 अक्टूबर की आधी रात को समुद्र तल से 17000 फीट की ऊंचाई पर दक्षिण लोनाक झील फट गई| पूरी झील के फटने से चार जिलों से होकर बहने वाली तीस्ता नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया और मंगन, गंगटोक और नामची जिलों में बाढ़ आ गई| सिक्किम में ग्लॉफ़ ने भारी क्षति पहुंचाई। इस आपदा में करीब 42 लोगों की मौत हो गई और 77 लोग लापता हो गए| आने वाले समय में ग्लोफ के खतरे बरकरार रहने वाले हैं।
अफगानिस्तान में आए भूकंप में 132 लोगों की मौत: अक्टूबर में अफगानिस्तान के हेरात शहर के पास आए 6.3 तीव्रता के भूकंप से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ| एक के बाद एक दो बड़े झटकों के कारण जानमाल का नुकसान भी ज्यादा हुआ। इस हादसे में दो हजार से ज्यादा नागरिकों की जान चली गयी|9 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए| वहीं, नवंबर में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप से भी नेपाल में व्यापक नुकसान हुआ था|भूकंप में 132 नागरिकों की मौत हो गई| अफगानिस्तान और नेपाल में आए भूकंप के झटके भारत में भी महसूस किए गए|
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