CM पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रियों को बांटे विभाग, जानिए किसको क्या मिला?

CM पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रियों को बांटे विभाग, जानिए किसको क्या मिला?

देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया। सीएम अपने पास केवल 15 विभाग ही रखे हैं। बता दें कि तीरथ सरकार में सीएम के पास 20 विभाग थे, जबकि वर्तमान सीएम ने अपने पास केवल पंद्रह विभाग ही रखे हैं। सीएम के मंत्री सतपाल महाराज के पास ही सबसे ज्यादा विभाग हैं। महाराज के पास सिंचाई। लोनिवि, पर्यटन समेत आठ विभाग हैं। जबकि विभागीय संख्या के लिहाज हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल सात-सात विभाग देखेंगे। यशपाल आर्य और अरविंद पांडे को छह-छह और बंशीधर भगत व डॉ. धन सिंह रावत को पांच-पांच विभाग दिए गए हैं। बिशन सिंह चुफाल, रेखा आर्य,गणेश जोशी और स्वामी यतीश्वरानंद को चार-चार विभाग मिले हैं।

सीएम पुष्कर सिंह धामी: मंत्री परिषद, कार्मिक, सतर्कता-सुराज-भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं जनसेवा, गृह, राज संपत्ति, राजस्व, न्याय, सूचना, तकनीकी शिक्षा, नागरिक उड्डयन, वित्त, नियोजन, सचिवालय प्रशासन, सामान्य प्रशासन, औद्योगिक विकास(खनन)सतपाल महाराज: सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, लघु सिंचाई, जलागम प्रबंधन, भारत-नेपाल उत्तराखंड नदी परियोजनाएं, पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व, लोक निर्माण विभाग हैं।
हरक सिंह रावत: वन, पर्यावरण संरक्षण, श्रम, कौशल विकास-सेवायोजन, आयुष, आयुष शिक्षा, ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जायशपाल आर्य : परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, निर्वाचन, आबकारी,
बंशीधर भगत: विधायी एवं संसदीय कार्य, खाद्य नागरिक आपूर्ति, शहरी विकास, आवास, सूचना प्रौद्योगिकी
बिशन सिंह चुफाल: पेयजल, वर्षा जल संग्रहण, ग्रामीण निर्माण, जनगणना
सुबोध उनियाल: कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, उद्यान एवं कृषि प्रसंस्करण, उद्यान एवं फलोद्योग,
रेशम विकास, जैव प्रौद्योगिकी
अरविंद पांडेय: विद्यालयी शिक्षा-बेसिक व माध्यमिक, खेल, युवा कल्याण, पंचायती राज, संस्कृत शिक्षा
गणेश जोशी: सैनिक कल्याण, औद्योगिक विकास, लघु-सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग
डॉ. धन सिंह रावत: सहकारिता, प्रोटोकाल, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, उच्च शिक्षा,
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा
रेखा आर्य: महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, पशुपालन, दुग्ध विकास, मत्स्य पालन
यतीश्वरानंद: भाषा, पुनर्गठन, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, ग्राम्य विकास

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