कर्नाटक सरकार कर्नाटक में स्कूलों और जूनियर कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के सर्कुलर को वापस लेने पर गंभीरता से विचार कर रही है। साथ ही वरिष्ठ मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि अगर राज्य में शांति भंग होती है तो उनकी सरकार बजरंग दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाएगी।
वहीं 10 मई के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते हुए कांग्रेस, खासतौर से कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने इस बात ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद पिछली बीजेपी सरकार की ओर से हिजाब पर प्रतिबंध और सांप्रदायिक आधार पर बनाए गए सभी कानूनों को वापस ले लिया जाएगा।
मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा हमने अपने घोषणा पत्र में कर्नाटक को स्वर्ग बनाने का वादा किया है। शांति भंग की स्थिति में इसके पीछे बजरंग दल या संघ परिवार का संगठन होता है। हम इस बारे में नहीं सोचेंगे कि इसके पीछे कौन है। कोई भी व्यक्ति जो कानून तोड़ता है, उसके साथ कानून के अनुसार निपटा जाएगा, भले ही इसका अर्थ प्रतिबंध ही क्यों न हो।उन्होंने कहा, “कुछ तत्व पिछले चार साल से बिना कानून या पुलिस के डर के समाज में खुलेआम घूम रहे हैं।”
प्रियांक ने कहा, ‘अगर बीजेपी नेतृत्व को यह अस्वीकार्य लगता है, तो वे पाकिस्तान जा सकते हैं।’ “हम हिजाब से संबंधित फरमानों और पाठ्य पुस्तकों के संशोधन की समीक्षा करेंगे। साथ ही, गोहत्या विरोधी और धर्मांतरण विरोधी कानूनों सहित सभी कानूनों की समीक्षा करें। प्रियांक ने कहा, “अगर पिछली बीजेपी सरकार के इन कानूनों में से कोई भी विवादास्पद, सांप्रदायिक या राज्य के सामाजिक ताने-बाने या छवि के खिलाफ पाया जाता है, तो हम इसे रद्द करने पर विचार करेंगे।”
गौरतलब है कि कर्नाटक में कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दिए जाने पर विवाद छिड़ गया था। उडुपी में लड़कियों को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इसको लेकर उन्होंने दिसंबर 2021 में आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन पूरे राज्य में फैल गया। वहीं पिछली बीजेपी सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर राज्य के स्कूलों और जूनियर कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। मामला कर्नाटक हाई कोर्ट में पहुंचने के बाद कोर्ट ने भी राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा। मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन वहां भी दो जजों की बेंच ने बंटा हुआ फैसला सुनाया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मामले का फैसला करने के लिए तीन जजों की बेंच गठित करने पर विचार करेगा।
“हमारी सरकार उन कानूनों की समीक्षा करने के लिए दृढ़ है जो असंवैधानिक हैं, व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और राज्य की छवि, निवेश और रोजगार को प्रभावित करते हैं। हम आर्थिक और सामाजिक रूप से समरूप कर्नाटक बनाना चाहते हैं। हिजाब सर्कुलर लागू होने के बाद से कम से कम 18 हजार अल्पसंख्यक छात्र स्कूल से बाहर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे मुख्यधारा में वापस आएं और अपनी शिक्षा जारी रखें।
साथ ही, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया है कि पार्टी पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए गोहत्या विरोधी और धर्मांतरण विरोधी कानूनों को रद्द करने पर विचार कर रही है। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान, कांग्रेस ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा पारित सभी जाति-आधारित कानूनों को वापस लेने का वादा किया था। घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं तो कुछ नेताओं ने लोकसभा चुनाव दूर न होने के कारण इस पर आपत्ति जताई है।
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