भारत सरकार का आयुष मंत्रालय सूर्य नमस्कार के महत्वपूर्ण आसन ‘अष्टांग नमस्कार’ के बारें में विस्तार से जानकारी देता है। इसका रोजाना अभ्यास न केवल पेट की चर्बी कम करने में कारगर है, बल्कि हाथों को मजबूत बनाने के साथ-साथ पूरे शरीर को स्वस्थ और लचीला बनाता है।
अष्टांग नमस्कार सूर्य नमस्कार की श्रृंखला का छठा आसन है। इसमें शरीर के आठ अंग (दोनों हाथ, दोनों घुटने, छाती, ठोड़ी और दोनों पैरों की उंगलियां) एक साथ जमीन को स्पर्श करते हैं, इसलिए इसे ‘अष्टांग नमस्कार’ कहा जाता है। इस आसन में व्यक्ति पेट के बल लेटकर छाती और ठोड़ी को जमीन पर टिकाता है, जबकि कूल्हे हल्के ऊपर रहते हैं।
इसके अभ्यास से कई लाभ मिलते हैं। यह हाथों को मजबूत करता है, कोहनी मोड़कर शरीर का भार हाथों पर लेने से कलाइयों, बाजुओं और कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इस आसन में पेट जमीन की ओर दबता है, जिससे पेट और कमर की अतिरिक्त चर्बी घटती है।
नियमित अभ्यास से पूरे शरीर में लचीलापन बढ़ता है। अष्टांग नमस्कार करने से कुछ ही हफ्तों में पेट की चर्बी में कमी और शरीर में चुस्ती महसूस होने लगती है। हालांकि, इस दौरान कई सावधानियां रखने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं।
चुनाव परिणाम से पहले नेताओं का दावा-भारी बहुमत से बनेगी एनडीए सरकार!



