फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन 7 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 39 तक मनाया जा रहा है|इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने की परंपरा है। मान्यता है कि होलिका दहन की पूजा करने से विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। होलिका दहन करते समय कोई गलती नहीं करनी चाहिए। यह घर में नकारात्मकता लाता है। ऐसे में पूजा के लिए सही पूजा सामग्री का पता होना बहुत जरूरी है।
होलिका दहन के दिन गाय के गोबर और लकड़ी से गोबर जलाया जाता है। इस दिन पूजा सामग्री में रोल, कच्चा सूत, अक्षत, फूल, साबुत मूंग, बताशे, नारियल, गेहूं का चोकर और जल से भरे पात्र को शामिल करना चाहिए। इन सब चीजों से पूजा करें। होलिका दहन के बाद प्रदक्षिणा करना न भूलें|
होलिका दहन उपाय-
होली की राख घर लाएं। इसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर घर और व्यावसायिक स्थान पर छिड़कें। इस उपाय से नकारात्मकता दूर होगी। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है तो यह टोटका आपके व्यापार में नई चमक लाएगा। होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कना चाहिए। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार पर दोमुखी दीपक लगाना चाहिए। इस उपाय से आर्थिक परेशानी दूर होती है।
होली की सुबह एक बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोकामना करते हुए शिवलिंग पर चढ़ा दें। फिर किसी भी सोमवार को महादेव को पंचमेवा की खीर का भोग लगाएं| होली के दिन नरसिंह प्रकट हुए। ऐसे में इस दिन नरसिंह स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। साथ ही होलिका दहन की अग्नि में नारियल अर्पित करें। यह उपाय आपको सभी बाधाओं से दूर करता है|
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