लगभग ₹25,000 करोड़ की लागत से बनने वाली छत्रपति संभाजीनगर-पुणे एक्सप्रेसवे परियोजना फिलहाल भूमि अधिग्रहण से जुड़ी अड़चनों का सामना कर रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य पुणे और छत्रपति संभाजीनगर के बीच बेहतर सड़क संपर्क स्थापित करना था, लेकिन राज्य के वित्त विभाग ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
राज्य सरकार पहले ही कई अन्य महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओ के लिए ₹2,88,000 करोड़ की राशि आवंटित कर चुकी है, जिससे इस एक्सप्रेसवे के वित्तीय बोझ को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी कारण, महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना को फिलहाल टालने का निर्णय लिया है और इसके बजाय छोटे पैमाने की सड़क परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
सरकार ने पुणे-शिरूर छह लेन एलिवेटेड रोड और शिरूर-अहमदनगर-छत्रपति संभाजीनगर सड़क परियोजना को मंजूरी दी है। पुणे-शिरूर एलिवेटेड हाईवे, जिसकी लागत लगभग ₹7,515 करोड़ आंकी गई है, 53 किलोमीटर लंबा होगा और इसके लिए 41 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना का निर्माण कार्य जून या जुलाई 2025 में शुरू होने की संभावना है और इसे चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
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वहीं, शिरूर-अहमदनगर-छत्रपति संभाजीनगर सड़क परियोजना पर ₹2,050 करोड़ की लागत आएगी, जिससे इस मार्ग पर यात्रा करने वाले लोगों को बेहतर सड़क सुविधा मिल सकेगी। पुणे-शिरूर सड़क के निर्माण से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि इस मार्ग पर मौजूद गड्ढों जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं और वित्तीय चुनौतियों को देखते हुए, छत्रपति संभाजीनगर-पुणे एक्सप्रेसवे की शुरुआत फिलहाल अधर में लटक गई है। अब सरकार का ध्यान इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी सुधारने के लिए वैकल्पिक परियोजनाओं पर है, जिससे यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है।