अमेरिका में कंज़र्वेटिव कार्यकर्ता चार्ली कर्क की हत्या के बाद अब एफबीआई डायरेक्टर कश पटेल विवादों के घेरे में आ गए हैं। उनकी जल्दबाजी में की गई घोषणाओं और जांच के दौरान अपनाए गए रवैये को लेकर पूर्व एफबीआई अधिकारियों और राजनीतिक विश्लेषकों ने कड़ी आलोचना की है। यह मामला न सिर्फ एक हाई-प्रोफाइल हत्या की जांच तक सीमित है, बल्कि एफबीआई की नेतृत्व क्षमता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
चार्ली कर्क की हत्या
10 सितंबर को यूटा वैली यूनिवर्सिटी कैंपस में गोली लगने से चार्ली कर्क की मौत हो गई। कर्क अमेरिका के चर्चित कंज़र्वेटिव कमेंटेटर और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाते थे। घटना ने पूरे देश को हिला दिया।
हत्या के तुरंत बाद राज्य, स्थानीय और संघीय एजेंसियां सक्रिय हो गईं। लेकिन इसी बीच कश पटेल के बयानों ने हालात को और उलझा दिया। हमले की शाम को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि “संदिग्ध हिरासत में है।” जबकि हकीकत यह थी कि दो लोगों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया था और बाद में रिहा कर दिया गया। यूटा के गवर्नर स्पेंसर कॉक्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ किया कि असली शूटर अब भी फरार है।
कुछ ही घंटों में पटेल को अपनी बात बदलनी पड़ी और उन्होंने लिखा कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति छोड़ दिया गया है। पूर्व एफबीआई अधिकारियों ने इसे गलत समय पर अनावश्यक घोषणा बताते हुए कहा कि इससे जनता का भरोसा डगमगाया। पूर्व अधिकारी क्रिस्टोफर ओ’लीरी ने तो यहां तक कहा,“उसमें नेतृत्व का कोई अनुभव और क्षमता नहीं है।”
मामले को और तूल तब मिला जब खबरें आईं कि हमले वाली रात पटेल न्यूयॉर्क के मशहूर और महंगे रेस्तरां ‘रावो’ में डिनर कर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने एक्स पर पहले गिरफ्तारी और फिर रिहाई की जानकारी पोस्ट की। इस पर आलोचकों ने कहा कि राष्ट्रीय संकट की घड़ी में उनका इस तरह का व्यवहार बेहद गैर-जिम्मेदाराना था।
जांच में आंतरिक तनाव
अगले दिन, 11 सितंबर को, FBI के भीतर भी तनाव बढ़ गया। सूत्रों के मुताबिक, पटेल और उनके डिप्टी डैन बोंगीनो ने एजेंट्स के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल की, जिसमें उन्होंने गुस्से में यह शिकायत की कि उन्हें संदिग्ध की तस्वीरें समय पर क्यों नहीं मिलीं। कॉल के दौरान दबाव साफ झलक रहा था क्योंकि व्हाइट हाउस और प्रशासन दोनों ही जल्द गिरफ्तारी चाहते थे।
इसके बाद पटेल 9/11 स्मृति कार्यक्रम में शामिल हुए और फिर यूटा रवाना हो गए। अधिकारियों ने उन्हें सलाह दी कि जब तक गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक सार्वजनिक बयान न दें। उसी शाम वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखे, लेकिन कुछ नहीं बोले। एक अधिकारी के अनुसार यह “सही फैसला” था।
पूरे घटनाक्रम ने कश पटेल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर उनके जल्दबाजी में दिए गए बयानों ने जांच को उलझाया, वहीं दूसरी ओर निजी कार्यक्रमों ने उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह पैदा कर दिया। अब जब कांग्रेस की अहम सुनवाई होने वाली है, तो माना जा रहा है कि यह विवाद पटेल और एफबीआई, दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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