सारस से दोस्ती आरिफ़ को पड़ी महंगी, दर्ज हुआ FIR

देश में कुछ जानवरों को पालने पर पाबंदी है। जिसके अंतर्गत सारस भी आता है।

सारस से दोस्ती आरिफ़ को पड़ी महंगी, दर्ज हुआ FIR

Arif's friendship with Saras cost him dear, FIR lodged

उत्तर प्रदेश के अमेठी में रहनेवाले आरिफ गुर्जर और सारस की दोस्ती मिसाल कायम कर रही है, तो वहीं मुद्दा भी बनी हुई है। बता दें कि अगस्त 2022 में आरिफ की मुलाकात सारस से हुई। उस समय सारस जख्मी था। आरिफ ने उसकी जान बचाई। उसके बाद सारस उसके साथ परिवार में रहने लगा और भावनात्मक लगाव हो गया। दोस्ती की मिसाल इससे समझ लीजिए कि खुद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आरिफ से मिलने पहुंचे थे।

जब मन करता सारस अपनी मर्जी से उड़ जाता, फिर आकर आरिफ के साथ रहने लगता। ऐसे ही महीनों बीत गए। वहीं आरिफ और सारस की दोस्ती का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल होने लगा। लेकिन जैसे ही इस बात की भनक वन विभाग को लगी, उन्होंने सारस को आरिफ से अलग कर दिया। उसे समसपुर पक्षी विहार छोड़ दिया।

बावजूद आरिफ की तलाश में सारस उड़कर नजदीकी गांव जा पहुंचा। उसे दोबारा वन विभाग ने पकड़ लिया। इसके बाद उसे खुले में न रखकर कानपुर चिड़ियाघर में रखा गया। हालात यह हो गया कि सारस ने खाना-पीना छोड़ दिया है। ऐसे में अब सारस को वापस आरिफ के पास लाने की मुहिम छिड़ गई है।

दरअसल भारत देश में कुछ जानवरों को पालने पर पाबंदी है। जिसके अंतर्गत सारस भी आता है। यही वजह है कि आरिफ पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन करने के आरोप में धारा 2, 9, 29, 51 और धारा 52 के तहत केस दर्ज किया गया है।

भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। जिसका मकसद पशु-पक्षियों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना था। साथ ही वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। हालांकि साल 2023 में इसमें संशोधन किया गया, जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया। इसमें दंड और जुर्माना को और भी सख्त कर दिया गया है।

भारत में इन जानवरों को पाल सकते है जिसमें कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैस, बकरी, कबूतर (कुछ विशेष), भेड़, खरगोश, मुर्गा, छोटी मछली शामिल हैं।

भारत में इन जानवरों को पालने पर है पाबंदी जिसमें तोता, मोर, बत्तख (कुछ विशेष), तीतर, उल्लू, बाज, ऊंट, बंदर, हाथी, हिरन, सफेद चूहा, सांप, मगरमच्छ, एलिगेटर और ​​​​कछुआ शामिल हैं।

हालांकि अगर आप किसी भी प्रकार का कोई जानवर पालने का शौक रखते हैं तो अब इसकी जानकारी नगर निगम को देना जरूरी है। सालाना फीस भरकर उसका रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है। क्यूंकी रजिस्ट्रेशन के बिना आप अपने घर में कोई भी जानवर नहीं रख सकेंगे। शहर के सभी पशुपालकों को मवेशी या जानवर पालने के लिए लाइसेंस हर साल नवीनीकरण करवाना होगा।

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