बिहार में बाढ़ का कहर: अधिकारीयों का खौफ, जान जोखिम में डाल शिक्षक जाते स्कूल!

नौकरी बचाने लिए शिक्षक बाढ़ के पानी में चलने को मजबूर दिखे।

बिहार में बाढ़ का कहर: अधिकारीयों का खौफ, जान जोखिम में डाल शिक्षक जाते स्कूल!

नेपाल में भारी बारिश और अतिरिक्त पानी छोड़ने से बिहार में बाढ़ कहर बढ़ता दिखाई दे रहा है| इन दिनों बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट हैं| वही कई जिलों के दर्जनों गांव पूरी तरह से जल मग्न हो गए है| बाढ़ इस त्रासदी का शिकार बिहार की आमजन मानस होती दिखाई दे रही है| बिहार सरकार की ओर से बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए तटीय क्षेत्रों के नागरिकों को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने आदेश जारी किया गया है|

वही दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से बाढ़ से प्रभावित जिलों में प्राथमिक विद्यालयों को स्थिति सामान्य होने तक बंद रखने की बजाय स्कूलों को चालू रखने का आदेश दिया गया है| इस स्थिति में उनकी ओर से बाढ़ से घिरे क्षेत्रों में नाव और लाइफ जैकेट जैसी सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया गया है| इसके बावजूद अभी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर शिक्षक और विद्यार्थियों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर कमर भर पानी से होकर स्कूल जाने को मजबूर दिखाई दे रहे है|

बाढ़ से झुझते बिहार के कई जिलों में गंभीर स्थिति बनी हुई है| वही ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित दिखने लगा है। बाढ़ ग्रस्त इलाके के तिकेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर कॉपी मूल्यांकन करने अपने स्कूल निकल पड़े है।

बता दें कि बिहार सरकार ने जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां भी जाने लायक स्थिति ना हो, वहां या तो स्कूल बंद कर दिए जाएं या शिक्षकों, छात्रों और स्कूल के कर्मचारियों के लिए नाव की व्यवस्था की जाए। उस नाव पर यात्रियों की संख्या के हिसाब से लाइफ जैकेट अनिवार्य किया जाए। लेकिन, कई इलाकों में बिहार सरकार के निर्देशों की अनदेखी की जा रही है।

कॉपी मूल्यांकन कार्य मे लगे शिक्षक अपने सिर पर जांचने वाली कॉपी और हाथों में चप्पल-जूते और कंधे पर बैंग टांगकर जान को जोखिम में डालते हुए अपने ड्यूटी पर जाते दिख रहे हैं। इस दृश्य को देखकर समझा जा सकता है कि शिक्षकों में विभाग के अधिकारियों का डर कितना ज्यादा भरा है। नौकरी बचाने लिए शिक्षक बाढ़ के पानी में चलने को मजबूर दिखे। उन्हें यह भी स्कूल जाते वक्त नहीं पता था कि स्कूल में बैठने के जगह भी सुरक्षित बची है या बाढ़ के पानी ने स्कूल को भी अपने आगोश में लिए है।

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